प्रदेश में असुरक्षित पुलों की संख्या बढ़कर 40 हुई, इस बरसात में भी पहुंचा नुकसान
हाल ही में जांच के बाद 36 पुल असुरक्षित श्रेणी में माने गए थे। यह संख्या और बढ़ गई है, लोक निर्माण विभाग ने प्रदेश में 40 पुल को असुरक्षित श्रेणी में रखा है।
उत्तराखंड में एक-दो नहीं बल्कि चालीस पुल असुरक्षित श्रेणी के हैं। लोनिवि का दावा है कि आधे से अधिक पुल की मरम्मत का काम चल रहा है। पर अभी भी 19 पुल हैं, जिनकी मरम्मत संबंधी प्रक्रिया के शुरू होने का इंतजार है।
पिछले साल जुलाई में तेज बारिश के चलते कोटद्वार में मालन नदी पर बना पुल क्षतिग्रस्त हो गया था। इसी तरह हरिद्वार के रोशनाबाद में आनेकी नदी पर बने पुल को भी नुकसान पहुंचा। दोनों पुल के क्षतिग्रस्त होने से शासन स्तर तक में खलबली मच गई थी। मामले में जांच के आदेश भी दिए गए थे। उस समय राज्य में 36 पुल असुरक्षित श्रेणी में माने गए थे। यह संख्या और बढ़ गई है, लोक निर्माण विभाग ने प्रदेश में 40 पुल को असुरक्षित श्रेणी में रखा है।
यह स्थिति है
लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों का दावा है कि चालीस पुल असुरक्षित श्रेणी में हैं। इसमें पुल में जो कमी है, उसे दूर करने का काम चल रहा है। जबकि 19 पर काम शुरू होना बाकी है। इसमें सात मामलों तो शासन स्तर पर स्वीकृतियां चाहिए।
इस बरसात में भी पहुंचा नुकसान
इस बरसात में पुलों को नुकसान पहुंचा है। लोक निर्माण विभाग के प्रमुख अभियंता दीपक यादव कहते हैं कि इसमें एक पैदल पुल चंपावत जिले में था, जिसे नुकसान हुआ है। इसके अलावा रामनगर- भतरौजखान मार्ग पर बने पुल को भी नुकसान हुआ है। मालन नदी पर जो पुल क्षतिग्रस्त हुआ था, उसके निर्माण का काम चल रहा है। बरसात के समय पुल के पास आवागमन के लिए वैकल्पिक मार्ग बनाया गया था, उसे भी नुकसान पहुंचा, जो पुल असुरक्षित श्रेणी में हैं, उनको ठीक करने का काम चल रहा है। इसमें एनएच से लेकर ग्रामीण मार्ग तक पर बने पुल शामिल हैं। कई पुल पूरी तरह भी ध्वस्त हुए थे
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