UTTRAKHAND NEWS

Big breaking :-जोशीमठ क़ो लेकर PMO में हुई महत्वपूर्ण बैठक, ये दिए गए निर्देश, 9 जनवरी क़ो केंद्र की टीम करेगी दौरा

 

प्रधान मंत्री के प्रधान सचिव, डॉ पी के मिश्रा ने आज 8 जनवरी 2023 को जोशीमठ में भवन क्षति और भूमि धंसने की उच्च स्तरीय समीक्षा की। कैबिनेट सचिव; गृह सचिव; भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारी; और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य, उत्तराखंड के मुख्य सचिव और डीजीपी, जोशीमठ के डीएम और अधिकारी; उत्तराखंड के वरिष्ठ अधिकारी; और आईआईटी रुड़की, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के विशेषज्ञ भी वीसी के माध्यम से समीक्षा में शामिल हुए।

यह बताया गया कि माननीय पीएम  नरेंद्र मोदी चिंतित हैं और उन्होंने मुख्यमंत्री के साथ स्थिति की समीक्षा की है।

मुख्य सचिव उत्तराखंड ने बताया कि केंद्रीय विशेषज्ञों के सहयोग से राज्य और जिले के अधिकारियों ने जमीनी स्थिति का आकलन किया है। उन्होंने बताया कि करीब 350 मीटर चौड़ी जमीन की पट्टी प्रभावित हुई है। एनडीआरएफ की एक टीम और एसडीआरएफ की चार टीमें जोशीमठ पहुंच चुकी हैं। जिला प्रशासन प्रभावित परिवारों के साथ भोजन, आश्रय और सुरक्षा की पर्याप्त व्यवस्था के साथ उन्हें सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित करने के लिए काम कर रहा है। एसपी और एसडीआरएफ के कमांडेंट मौके पर तैनात हैं। जोशीमठ के निवासियों को घटनाक्रम से अवगत कराया जा रहा है और उनका सहयोग लिया जा रहा है। लघु-मध्यम-दीर्घकालीन योजनाओं के निर्माण के लिए विशेषज्ञों की सलाह ली जा रही है।

इसके अलावा, सचिव, सीमा प्रबंधन और एनडीएमए के चारों सदस्य 9 जनवरी को उत्तराखंड का दौरा करेंगे। वे हाल ही में जोशीमठ से लौटे तकनीकी दल (एनडीएमए, एनआईडीएम, एनडीआरएफ, जीएसआई, एनआईएच, वाडिया संस्थान, आईआईटी रुड़की) के निष्कर्षों का विस्तृत आकलन करेंगे और राज्य सरकार को सलाह देंगे। स्थिति को संबोधित करने के लिए तत्काल, लघु-मध्यम-दीर्घकालिक कार्रवाइयों पर।

प्रधान मंत्री के प्रधान सचिव ने जोर देकर कहा कि राज्य के लिए तत्काल प्राथमिकता प्रभावित क्षेत्र में रहने वाले लोगों की सुरक्षा होनी चाहिए। राज्य सरकार को प्रभावित लोगों के साथ एक स्पष्ट और निरंतर संचार माध्यम स्थापित करना चाहिए। व्यवहार्य उपायों के माध्यम से स्थिति में गिरावट को रोकने के लिए तत्काल प्रयास किए जाने चाहिए। प्रभावित क्षेत्र की एक अंतर-अनुशासनात्मक जांच की जानी चाहिए। कई केंद्रीय संस्थानों के विशेषज्ञ- राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA), राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान (NIDM), भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI), भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) रुड़की, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी (WIHG) , राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान (NIH) और केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (CBRI) को “संपूर्ण सरकार” दृष्टिकोण की भावना से उत्तराखंड राज्य के साथ मिलकर काम करना चाहिए। एक स्पष्ट समयबद्ध पुनर्निर्माण योजना तैयार की जानी चाहिए। निरंतर भूकंपीय निगरानी की जानी चाहिए। इस अवसर का उपयोग करते हुए जोशीमठ के लिए एक जोखिम संवेदनशील शहरी विकास योजना भी विकसित की जानी चाहिए।

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

To Top