जज और वकीलों की ट्रोलिंग पर सरकार ने क्यों नहीं लिया एक्शन? HC ने नाराजगी जताते हुए पूछा सवाल
नैनीताल हाई कोर्ट ने दुष्कर्म मामले में जजों और वकीलों की ट्रोलिंग पर कड़ी नाराजगी जताई है। कोर्ट ने एसएसपी नैनीताल को मामले की जांच कर सोमवार तक रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस तरह की ट्रोलिंग भारतीय नागरिक संहिता के अंतर्गत अपराध है और सरकार ने इस पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की।
यह बेहद आपत्तिजनक है कि जज व अधिवक्ता को ट्रोल किया जा रहा है और इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। जबकि ऐसा करना भारतीय नागरिक संहिता के अंतर्गत अपराध की श्रेणी में आता है। फिर भी सरकार ने एक्शन क्यों नहीं लिया
पूरे प्रकरण में कड़ी नाराजगी जताते हुए हाई कोर्ट ने एसएसपी नैनीताल को मामले में जांच कर सोमवार को रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए।
गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी नरेंद्र व न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने नैनीताल में नाबालिग से दुष्कर्म के आरोपित उस्मान अली के पुत्र लोनिवि में अपर सहायक अभियंता रिजवान खान के खटीमा से घनसाली (गढ़वाल) स्थानांतरण आदेश को चुनौती देती याचिका पर सुनवाई की।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता कार्तिकेय हरि गुप्ता ने कहा कि बिना नोटिस व ठोस आधार के स्थानांतरण कर दिया गया। 30 अप्रैल को दुष्कर्म मामले के बाद पांच गई को प्रशासनिक आधार पर अभियंता रिजवान का ट्रांसफर किया गया।
तबादला आदेश याचिकाकर्ता तक पहुंचने से पहले ही ही कतिपय हिंदूवादी नेताओं ने इंटरनेट मीडिया में पोस्ट कर दिया। जज, अधिवक्ता व अभियंता के विरुद्ध भी इंटरनेट मीडिया में आपत्तिजनक पोस्ट की गई। अधिवक्ता गुप्ता की ओर से याचिकाकर्ता तथा उसके परिवार के विरुद्ध लिखे गए घृणास्पद भाषणों की फेसबुक पोस्ट भी दिखाई गई।
कहा गया कि केवल उन घृणास्पद भाषणों के प्रभाव में ही स्थानांतरण आदेश पारित किया गया है। दबाव समूहों की ओर से स्थानांतरण आदेश का जश्न मनाया गया तथा उसे परेशान करने के लिए आनलाइन प्रसारित किया गया। कोर्ट ने पाया कि इस प्रकार के दंडात्मक स्थानांतरण आदेश कानून में टिक नहीं सकते।
प्रशासनिक आधार पर स्थानांतरण से पूर्व जांच होनी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि घृणास्पद भाषणों का न्यायिक संज्ञान ले सकते हैं। घृणास्पद भाषणों में उच्च न्यायालय के नाम का दुरुपयोग हुआ और प्रशासन ने कुछ नहीं किया।
इस दौरान महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर व मुख्य स्थायी अधिवक्ता चंद्रशेखर रावत ने बताया कि तबादला नियमानुसार किया गया है। कोर्ट ने अपर सहायक अभियंता को फिलहाल कोई राहत नहीं देते हुए अगली सुनवाई सोमवार के लिए नियत कर दी।
बिना जांच के ही कर दिया स्थानांतरण
सुनवाई के दौरान रिजवान खान के स्थानांतरण आदेश को अधिवक्ता ने उत्तराखंड स्थानांतरण अधिनियम 2017 का उल्लंघन बताया। कहा कि एक्ट में यह प्रविधान है कि प्रशासनिक आधार पर स्थानांतरण से पहले कर्मचारी के विरुद्ध उचित जांच होनी चाहिए। जो इस मामले में नहीं की गई।
स्थानांतरण आदेश में उल्लेख किया गया है कि याचिकाकर्ता काम के प्रति लापरवाह है और वरिष्ठों के आदेशों का पालन नहीं करता है। जबकि याचिकाकर्ता अपर सहायक अभियंता की सेवाएं उत्कृष्ट हैं। पिता के विरुद्ध आपराधिक मामले के बाद अचानक वह कैसे लापरवाह हो गया। उसे कभी कोई कारण बताओ नोटिस नहीं दिया गया।

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