क्यों खास है बाबा केदार की पंचमुखी उत्सव मूर्ति? साक्षात शिव होते हैं विराजमान, जानिए रोचक बातें
पंचमुखी डोली बताती है कि भगवान आशुतोष जीवन के सभी तत्वों में मौजूद हैं। यह पंचमुखी मूर्ति भगवान आशुतोष की पांच क्रियाओं को भी दर्शाती है
केदारनाथ की पंचमुखी उत्सव मूर्ति में साक्षात शिव विराजते हैं। पंचमुखी डोली पांच दिशाओं में निवास कर रहे वर्णों, मूर्तियों और पंचाक्षरों का प्रतीक है। यह दिव्य मूर्ति ईशान, तत्पुरूश, अघोर, वामदेव तथा सद्योजात शिव के पांच साक्षात स्वरूप भी हैं।
सोमवार को ओंकारेश्वर मंदिर से बाबा केदार की पंचमुखी उत्सव मूर्ति को चल उत्सव डोली में विराजमान किया गया। यह मूर्ति भगवान शिव के सिर की दिशा श्वेत वर्ण, पूर्व में सुवर्ण, दक्षिण में नीलवर्ण, पश्चिम में स्फटिक शुभ उज्जवल वर्ण और उत्तर में जपापुष्प या प्रवाल स्वरूप को दर्शाती है। साथ ही पांच रूप संसार के सभी रंगों और वर्णों की अपनी मासहत्ता को भी बयां करती हैं।
यही नहीं, पंचमुखी मूर्ति भगवान आशुतोष की पांच क्रियाओं को भी दर्शाती है, जिसमें क्रीड़ा, तपस्या, लोक संहार, अहंकार और ज्ञान शामिल है। मानव जीवन में इन पांच क्रियाओं का विशेष महत्व है।
पंचमुखी डोली बताती है कि भगवान आशुतोष जीवन के सभी तत्वों में मौजूद हैं। केदारनाथ के वयोवृद्ध तीर्थपुरोहित और बीकेटीसी के सदस्य श्रीनिवास पोस्ती बताते हैं पंचाक्षर ऊं नम: शिवाय के आधार पर पंचमुखी डोली के उत्तर में अकार, पश्चिम में उकार, दक्षिण में मकार, पूर्व में बिंदु और मध्य में नाद मौजूद है।
त्रिपदा गायत्री का प्रकाट्य पंचमुखी मूर्ति से हुआ है। बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली के साथ चांदी की प्रभा भी धाम पहुंचती है, जिसे केदारनाथ के त्रिकोणीय लिंग के ऊपर विधि-विधान से स्थापित किया जाता है।
चांदी की प्रभा की धाम में मुख्य पुजारी व वेदपाठी नियमित पूजा करते हैं। धाम में जो श्रद्धालु पंचमुखी मूर्ति के दर्शन करते हैं, उन्हें सुख, शांति, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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