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Big breaking :-भूस्खलन न्यूनीकरण हेतु उत्तराखण्ड को भारत सरकार से ₹125 करोड़ की परियोजना स्वीकृत

*भूस्खलन न्यूनीकरण हेतु उत्तराखण्ड को भारत सरकार से ₹125 करोड़ की परियोजना स्वीकृत*

*प्रथम चरण में ₹4.5 करोड़ की धनराशि अवमुक्त*

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के सतत प्रयासों एवं मार्गदर्शन में उत्तराखण्ड राज्य को भूस्खलन न्यूनीकरण एवं प्रबंधन हेतु भारत सरकार से ₹125 करोड़ की महत्वपूर्ण परियोजना की स्वीकृति प्राप्त हुई है। यह परियोजना राज्य के चिन्हित सर्वाधिक अतिसंवेदनशील भूस्खलन क्षेत्रों में दीर्घकालिक समाधान हेतु प्रस्तावित की गई है।

सीएम के निर्देशों के क्रम में राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (USDMA) एवं उत्तराखण्ड भूस्खलन न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केन्द्र (ULMMC), देहरादून द्वारा तैयार किए गए प्रस्तावों को भारत सरकार को प्रेषित किया गया था। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी एवं केन्द्रीय गृहमंत्री श्री अमित शाह के दिशा-निर्देशों के क्रम में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) एवं गृह मंत्रालय द्वारा त्वरित कार्रवाई करते हुए ₹125 करोड़ की परियोजना को स्वीकृति प्रदान की गई है।

प्रथम चरण में ₹4.5 करोड़ की अग्रिम धनराशि अन्वेषण कार्यों एवं विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) की तैयारी हेतु अवमुक्त की गई है। मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने इस सहयोग हेतु प्रधानमंत्री एवं गृहमंत्री के प्रति राज्य सरकार व प्रदेशवासियों की ओर से आभार व्यक्त किया है।

मुख्यमंत्री श्री धामी ने कहा कि यह परियोजना राज्य के भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों में दीर्घकालिक समाधान की दिशा में एक निर्णायक पहल है। उन्होंने भूस्खलन से अत्यधिक प्रभावित पाँच संवेदनशील स्थलों को प्राथमिकता के आधार पर चयन किया है।

*मनसा देवी हिल बाईपास रोड, हरिद्वार*
मनसा देवी पहाड़ी पर लगातार हो रहे भू-स्खलन व चट्टानों के गिरने से जनसुरक्षा को खतरा उत्पन्न हो रहा है। यह मार्ग कांवड़ यात्रा के दौरान वैकल्पिक मार्ग के रूप में उपयोग होता है। अनुमानित 50,000 से अधिक स्थानीय नागरिक इस आपदा से प्रभावित हैं।

*गलोगी जलविद्युत परियोजना मार्ग, मसूरी (देहरादून)* देहरादून-मसूरी मार्ग के किमी 25 पर स्थित यह क्षेत्र वर्षा ऋतु में लगातार भू-स्खलन से प्रभावित होता है, जिससे आवागमन बाधित होता है एवं सड़क संरचना को गंभीर क्षति पहुंची है।

*बहुगुणा नगर भू-धंसाव क्षेत्र, कर्णप्रयाग (चमोली)* कर्णप्रयाग स्थित इस क्षेत्र में भूमि धंसने की गंभीर घटनाओं के कारण आवासीय भवन व सड़कों को व्यापक नुकसान हुआ है। यह क्षेत्र भूगर्भीय दृष्टिकोण से अत्यधिक अस्थिर है।

*चार्टन लॉज भूस्खलन क्षेत्र, नैनीताल*
सितम्बर 2023 में हुए व्यापक भू-स्खलन से कई घर प्रभावित हुए तथा अनेक परिवारों को अस्थायी रूप से विस्थापित किया गया। जल निकासी की अपर्याप्त व्यवस्था एवं लगातार बारिश इसके प्रमुख कारक रहे।

*खोतिला-घटधार भूस्खलन क्षेत्र, धारचूला (पिथौरागढ़)* – भारत-नेपाल सीमा पर स्थित यह क्षेत्र अत्यधिक वर्षा एवं भू-कटाव से प्रभावित है, जिससे सीमा क्षेत्र में गंभीर भू-क्षरण की स्थिति उत्पन्न हुई है।

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Author: Swati Panwar
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