पौड़ी जिला पंचायत के दो कनिष्ठ अभियंता बर्खास्त, निविदाओं में सामने आई थी अनियमितताएं
सुदर्शन सिंह रावत के खिलाफ निर्माण कार्य की आपूर्ति एवं सेवाओं की निविदाओं संबंधी अनियमितताएं सामने आने पर पिछले साल 21 अक्तूबर को उन्हें निलंबित कर दिया गया था।
शासन ने पौड़ी जिला पंचायत के निलंबित दो तदर्थ कनिष्ठ अभियंताओं की जांच के बाद सेवाएं समाप्त कर दी हैं। दोनों ने जिस फर्म को लाभ पहुंचाया, उसमें उनकी पत्नियों की 25 फीसदी हिस्सेदारी थी।
पंचायतीराज सचिव चंद्रेश कुमार ने जारी आदेश में कहा, सुदर्शन सिंह रावत को जिला पंचायत पौड़ी में पांच अप्रैल 2021 को तदर्थ कनिष्ठ अभियंता के पद पर नियुक्त किया गया था। उनके खिलाफ निर्माण कार्य की आपूर्ति एवं सेवाओं की निविदाओं संबंधी अनियमितताएं सामने आने पर पिछले साल 21 अक्तूबर को उन्हें निलंबित कर दिया गया था। निदेशक पंचायती राज ने जांच में पाया कि सुदर्शन ने प्रभारी अभियंता के रूप में भवन व होटल के मानचित्रों को खुद स्वीकृत किया। जबकि यह अधिकार अपर मुख्य अधिकारी को है। व्यक्तिगत लाभ के लिए उन्होंने गैर कानूनी काम किया।
मैसर्स बुटोला इंटरप्राइजेज नाम की फर्म, जिसे एक करोड़ 47 लाख से अधिक का भुगतान किया, उस फर्म में सुदर्शन की पत्नी की 25 प्रतिशत की हिस्सेदारी थी। अपनी पत्नी की फर्म में हिस्सेदारी की सूचना जिला पंचायत को न देकर उन्होंने पद का दुरुपयोग कर फर्म को लाभ पहुंचाया। आदेश में कहा गया कि सुदर्शन की निलंबन की तिथि से सेवाएं समाप्त की जाती हैं। शासन ने पौड़ी जिला पंचायत में तदर्थ रूप से कार्यरत कनिष्ठ अभियंता आलोक रावत की भी सेवा समाप्त की है।
उनके खिलाफ भी जांच में पाया गया कि जिस फर्म को एक करोड़ 47 लाख से अधिक का भुगतान किया गया था, उसमें उनकी पत्नी की 25 फीसदी की हिस्सेदारी थी। जांच में यह भी पाया गया कि कनिष्ठ अभियंता आलोक रावत के भाई अखिलेश रावत ठेकेदार हैं। जो शासनादेश एक नवंबर 1993 के खिलाफ है। आदेश में कहा गया कि उन्हें पद पर बनाए रखना जनहित में नहीं है, उनकी सेवाएं भी समाप्त कर दी गई हैं।

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