Big breaking :-उद्योग विभाग प्रोत्साहन नीति का प्रस्ताव तैयार कर रहा है। इससे स्थानीय उत्पादों के साथ रोजगार को बढ़ावा मिलेगा। - News Height
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Big breaking :-उद्योग विभाग प्रोत्साहन नीति का प्रस्ताव तैयार कर रहा है। इससे स्थानीय उत्पादों के साथ रोजगार को बढ़ावा मिलेगा।

 

उद्योग विभाग प्रोत्साहन नीति का प्रस्ताव तैयार कर रहा है। इससे स्थानीय उत्पादों के साथ रोजगार को बढ़ावा मिलेगा।

प्रदेश में स्थापित सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) को उत्पादन व रोजगार के आधार पर विशेष प्रोत्साहन देने की तैयारी चल रही है। इसके लिए उद्योग विभाग की ओर से प्रोत्साहन नीति का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। राज्य की अर्थव्यवस्था में तेजी लाने व रोजगार के नए अवसर सृजित करने के लिए सरकार औद्योगिक नीतियों में संशोधन कर प्रोत्साहन बना रही है।

अब एमएसएमई उद्योगों को उत्पादन व रोजगार बढ़ाने पर विशेष प्रोत्साहन देने की तैयारी चल रही है। लंबे समय से उद्योग संगठन भी उत्पादन व रोजगार के आधार पर प्रोत्साहन देने की मांग कर रहे थे। उनका मानना है कि विशेष प्रोत्साहन से पहाड़ों पर स्थानीय संसाधनों पर निर्भर उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा।

 

कोई उद्योग सालाना उत्पादन बढ़ाने के साथ रोजगार के ज्यादा अवसर सृजित करता है तो उसे उसी आधार पर प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए। राज्य में कृषि व बागवानी आधारित खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों की काफी संभावनाएं है। इन उद्योग को प्रोत्साहन मिलने से स्थानीय कृषि उत्पादों को बाजार मिलेगा। साथ ही स्थानीय लोगों को रोजगार उपलब्ध होगा।
प्रदेश में 89 हजार से अधिक एमएसएमई उद्योग
राज्य गठन से लेकर अब तक प्रदेश में एमएसएमई उद्योगों की संख्या 89 हजार पार हो चुकी है। इन उद्योगों में 17189 करोड़ निवेश और 4.50 लाख लोगों को रोजगार मिला है। एमएसएमई उद्योगों की प्रदेश व देश की जीडीपी में 30 प्रतिशत अधिक योगदान है। कम पूंजी निवेश में छोटे उद्योग की ज्यादा रोजगार देने की क्षमता होती है।

पर्वतीय क्षेत्रों में उद्योग लगाने को चार करोड़ तक सब्सिडी
प्रदेश सरकार ने एमएसएमई नीति 2023 में सब्सिडी बढ़ाई है। पर्वतीय क्षेत्रों में एमएसएमई उद्योग को 50 लाख से लेकर अधिकतम चार करोड़ तक सब्सिडी का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा पहाड़ों में निवेश करने पर स्टांप शुल्क में सौ प्रतिशत प्रतिपूर्ति भी दी जा रही है। नीति में सूक्ष्म उद्योगों में पूंजी निवेश के लिए एक करोड़, लघु उद्योगों के लिए 1 से 5 करोड़, मध्यम उद्योगों में 10 से 50 करोड़ निवेश की सीमा निर्धारित की गई।

लंबे समय में हम सरकार से मांग कर रहे हैं कि स्थानीय संसाधनों पर आधारित उद्योगों को उत्पादन व रोजगार के आधार पर इंसेंटिव दिया जाए, इससे भी दुर्गम क्षेत्र में स्थापित उद्योग को ज्यादा प्रोत्साहन मिले। हमें खुशी है कि इस मांग पर उद्योग विभाग विशेष प्रोत्साहन नीति का प्रस्ताव तैयार कर रहा है। केंद्र सरकार की ओर से मोबाइल विनिर्माण उद्योग को उत्पादन के आधार पर प्रोत्साहन दिया जा रहा है। आज भारत मोबाइल मेन्युफैक्चरिंग हब बन रहा है। -पंकज गुप्ता, अध्यक्ष, इंडस्ट्री एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड

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Author: Swati Panwar
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