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Big breaking :-विद्यालयी शिक्षा हेतु पाठ्यचर्या की रूपरेख पारित, शिक्षा मंत्री डॉ. रावत की अध्यक्षता में आयोजित टास्क फोर्स ने दी हरी झंडी

*विद्यालयी शिक्षा हेतु पाठ्यचर्या की रूपरेख पारित*

*शिक्षा मंत्री डॉ. रावत की अध्यक्षता में आयोजित टास्क फोर्स ने दी हरी झंडी*

*अब सूबे के स्कूलों में 240 दिन चलेगी कक्षाएं, परीक्षा के लिये 20 कार्यदिवस तय*

देहरादून,
राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के प्रावधानों के तहत तैयार राज्य पाठ्यचार्य को राज्य स्तरीय टास्क फोर्स ने सर्वसम्मति से पारित कर दिया है। इसके तहत अब प्रदेशभर के विद्यालयों में 240 दिन अनिवार्य रूप से कक्षाओं का संचालन किया जायेगा। साथ ही प्रत्येक सप्ताह 32 घंटे का शैक्षणिक दिवस आवंटित किया गया है। इसके अलावा परीक्षा एवं मूल्यांकन कार्य हेतु 20 दिन तथा सहशैक्षणिक गतिविधियों व बस्ता रहित दिवसों हेतु 10-10 दिन तय किये गये हैं।

सूबे के विद्यालयी शिक्षा मंत्री व राज्य स्तरीय टॉस्क फोर्स के अध्यक्ष डॉ. धन सिंह रावत की अध्यक्षता में आज सचिवालय स्थित सभागार में विद्यालयी शिक्षा हेतु एनईपी-2020 के तहत तैयार किये गये राज्य पाठ्यचर्या की रूपरेखा पर विस्तृतर चर्चा की गई। जिसमें विभागीय अधिकारियों ने गठित टास्क फोर्स के समक्ष पावर प्वाइंट के माध्यम से बिन्दुवार प्रस्तुतिकरण दिया। जिस पर बैठक में उपस्थित मुख्य सचिव व विभागीय सचिव सहित अन्य सदस्यों ने पाठ्यचर्या की रूपरेखा को हरी झंडी दी। विभागीय मंत्री डॉ. रावत ने बताया कि एनईपी-2020 की सिफारिशों के तहत कुल 297 टास्क निर्धारित किये गये हैं जिसमें 202 टास्क राज्यों द्वारा लागू किये जाने हैं। उन्होंने बताया कि राज्य पाठ्यचर्या की संरचना को प्रमुख रूप से पांच भागों में बांटा गया हे। जिसके प्रथम भाग में विद्यालयी शिक्षा के व्यापक उद्देश्यों एंव लक्ष्यों के प्राप्त हेतु अपेक्षित मूल्य, स्वभाव, दक्षता, कौशल और ज्ञान की स्पष्टता को रखा गया है। जबकि दूसरे भाग में महत्वपूर्ण क्रॉस विषयों, मूल्य आधारित शिक्षा, पर्यावरणीय संवेदनशीलता, समावेशी, मार्गदर्शन एंव परामर्श तथा विद्यालयों शैक्षणिक प्रौद्योगिकी विषयों का समावेश निर्धारित किया गया है। तीसरे भाग में विषयों की विस्तृतता, शिक्षण मानक, उपयुक्त विषयवस्तु का चयन, शिक्षा शास्त्र और मूल्यांकन क्षेत्रों के लिये विशिष्ट दिशा निर्देशों का समावेश शामिल हैं। इसी प्रकार चौथे भाग में विद्यालयी संस्कृति क्रिया-कलाप एवं प्रक्रियाएं, विद्यालय में अनुकूलित शैक्षणिक एवं पर्यावरणीय वातावरण के साथ सामाजिक मूल्यों एवं स्वभावों को विकसित करने की गतिविधियों का समावेश है। जबकि पांचवें भाग में विद्यालयी शिक्षा की समग्र पारिस्थितिकी तंत्र के लिये शिक्षा क्षमताएं, सेवा-शर्ते, भौतिक एवं बुनियादी ढांचें तथा समुदाय व परिवार की भूमिका का समावेश किया गया है।

डॉ. रावत ने बताया कि नये पाठ्यचर्या के तहत विद्यालयों में 240 दिन अनिवार्य रूप से कक्षाओं का संचालन किया जायेगा। जबकि परीक्षा व आंकलन हेतु कार्य दिवसों का आवंटन किया गया है। साथ ही विद्यालयों में विभिन्न सहशैक्षणिक गतिविधियों के लिये 10 दिवस निर्धारित किये गये हैं, जबकि 10 दिवसों को बस्ता रहित श्रेणी में रखा गया है जो कि पृथक से आवंटित किये गये हैं। सप्ताह में 32 घंटे का शैक्षणिक दिवस निर्धारित किया गया है।

बैठक में मुख्य सचिव आनंद वर्द्धन, सचिव शिक्षा रविनाथ रमन, सचिव संस्कृति युगल किशोर पंत, अपर सचिव उच्च शिक्षा मनुज गोयल, निदेशक एससीईआरटी वंदना गर्ब्याल, अपर निदेशक पदमेन्द्र सकलानी, एनईपी सेल प्रभारी कृष्णानंद बिजल्वाण, कोर्डिनेटर रविदर्शन तोपवाल सहित अन्य सदस्य मौजूद थे।

 

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Author: Swati Panwar
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