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Big breaking :-नैनीताल कांड: दुष्कर्म के मुकदमे पर एसएसपी को खुद निगरानी के आदेश, हाईकोर्ट को देनी होगी प्रगति रिपोर्ट

नैनीताल कांड: दुष्कर्म के मुकदमे पर एसएसपी को खुद निगरानी के आदेश, हाईकोर्ट को देनी होगी प्रगति रिपोर्ट

हाईकोर्ट ने बच्ची से दुष्कर्म की घटना के मामले में एसएसपी को जांच की निगरानी स्वयं करने व प्रत्येक 15 दिन में प्रगति रिपोर्ट देने को कहा है। न्यायालय ने इस पूरे घटनाक्रम में पुलिस की कार्यप्रणाली की जमकर सराहना भी की।

नैनीताल हाईकोर्ट ने बच्ची से दुष्कर्म की घटना के मामले में एसएसपी को जांच की निगरानी स्वयं करने व प्रत्येक 15 दिन में प्रगति रिपोर्ट देने को कहा है। न्यायालय ने इस पूरे घटनाक्रम में पुलिस की कार्यप्रणाली की जमकर सराहना भी की। कोर्ट ने कहा कि पालिका व प्रशासन के कारण स्थिति खराब हुई, लेकिन पुलिस ने हालात बिगड़ने से रोकने में प्रभावी भूमिका निभाई।

पीड़ित पक्ष की ओर से हस्तक्षेप याचिका दाखिल कर अधिवक्ता शिव भट्ट ने मामले में पॉक्सो प्रावधान के तहत अभियुक्त के परिवार को भी आरोपी बनाने और सीबीआई जांच की मांग की है। मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने मंगलवार को इस पर सुनवाई की। वर्चुअल माध्यम से उपस्थित एसएसपी प्रह्लाद नारायण मीणा की ओर से बताया गया कि पीड़िता की जाति के क्रम में आरोपी पर एससी, एसटी एक्ट भी लगा दिया गया है और इसके अनुरूप मामले की जांच डीएसपी स्तर के अधिकारी से कराई जाएगी।

उनका पक्ष जानने के बाद एसएसपी को विवेचना पर पूरी निगाह रखने को कहा गया। आरोपी उस्मान की पत्नी हुस्न बानो की ओर से सुरक्षा दिए जाने की मांग और नोटिस का जवाब देने के लिए तीन माह का समय देने की मांग पर कोर्ट ने कहा कि नोटिस वापस लेने के बाद अब इसकी उपयोगिता नहीं है।

दूसरी तरफ प्रशासन और पालिका से हाईकोर्ट की दोबारा नाराजगी दिखी। पहले भी कोर्ट ने पालिका के ईओ और मजिस्ट्रेट की भूमिका पर नाराजगी जताई थी और कहा था कि उनके कारण पुलिस पर बोझ बढ़ गया था। मंगलवार को नगर पालिका की ओर से बताया गया कि उस्मान सहित 62 अन्य लोगों को जारी नोटिस निरस्त कर दिए गए हैं।

आरोपी के परिजनों पर साक्ष्य मिटाने का आरोप
अधिवक्ता शिव भट्ट ने याचिका में कहा कि आरोपी के परिवार को पुलिस सुरक्षा दे रही है, जो खून के धब्बे हटाने, पीड़ित को धमकी देने जैसे अपराधों में शामिल हैं। कहा, परिवार के सदस्यों के डीएनए और फिंगर प्रिंट नहीं लिए गए हैं, न ही परिवार के सदस्यों की मोबाइल लोकेशन पता की गई है। पीड़ित के लिए कोई मुआवजा भी अभी तक नहीं दिया गया है।
पॉक्सो प्रावधान के तहत रखी थी मांग
अधिवक्ता शिव भट्ट ने याचिका में कहा कि दुष्कर्म की घटना गैराज में हुई है, जिसमें पीड़िता को चाकू से भी डराया गया। अतः पॉक्सो की धारा 16, 29 और 30 के प्रावधान के तहत आरोपी के परिजनों को भी अभियुक्त बनाया जाए और मामले की जांच सीबीआई से कराई जाए।

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Author: Swati Panwar
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