वाडिया संस्थान में धराली आपदा पर अध्ययन हुआ शुरू, कारणों को जानने में जुटे वैज्ञानिक
वर्ष-2021 में चमोली के रैणी में आई आपदा के कारण जानने और प्रभाव को लेकर वाडिया संस्थान ने अध्ययन किया था।
धराली में आई आपदा का कारण बादल फटना माना गया है। इस आपदा को लेकर वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान ने अध्ययन शुरू कर दिया है। संस्थान के वैज्ञानिक आपदा के हर कारणों (बादल का फटना, झील का टूटना) समेत सभी पहलुओं को लेकर अध्ययन कर रहे हैं। जल्द ही संस्थान के वैज्ञानिक स्थलीय निरीक्षण के लिए आपदा प्रभावित क्षेत्र में जाएंगे।
वर्ष-2021 में चमोली के रैणी में आई आपदा के कारण जानने और प्रभाव को लेकर वाडिया संस्थान ने अध्ययन किया था। इस अध्ययन में वैज्ञानिक अमित कुमार और मनीष मेहता शामिल थे। वैज्ञानिकों की टीम ने एक सप्ताह में रैणी में आई आपदा के कारणों का पता लगाकर अपनी रिपोर्ट संस्थान को सौंप दी थी, जिसे विज्ञान एवं प्रैद्योगिकी विभाग (डीएसटी) भी भेजा गया था
सेटेलाइट इमेज से जुटा रहे जानकारी
अब धराली में आई आपदा को लेकर भी वाडिया संस्थान ने अध्ययन शुरू किया है। अभी इस अध्ययन में सेटेलाइट इमेज आदि के माध्यम से आपदा के कारणों को जानने का प्रयास किया जा रहा है। वैज्ञानिक यह जानने का प्रयास कर रहे हैं कि घटना बादल या झील फटने के कारण हुई है। क्षेत्र में कोई एवलॉन्च तो नहीं आया है इसके अलावा कोई भूस्खलन तो नहीं हुआ है। सूत्रों के अनुसार इस आंशका को भी देखा जा रहा है की बारिश के कारण पहले कोई भूस्खलन हुआ हो, इसके बाद इलाके में कहीं पानी जमा हो गया हो। बाद में फिर हुए भूस्खलन के बाद जहां पानी जमा था, वह आकृति टूट गई और पानी नीचे की तरफ आया हो। वैज्ञानिक अमित कुमार कहते हैं कि अभी अभी सेटेलाइट चित्रों के जरिए कारणों की तलाश करने की कोशिश कर रहे हैं । इसके अलावा क्षेत्र में वर्षा का रिकॉर्ड आदि को भी देखा जा रहा है।
आपदा प्रभावित क्षेत्र में भी जाने की योजना है जिससे ग्राउंड से और अधिक सटीक जानकारी मिल सकेगी । सभी पहलुओं को देखने के बाद ही अंतिम निष्कर्ष पर पहुंच कर ही वैज्ञानिक आधार पर कहा जा सकेगा। वाडिया संस्थान की निदेशक डॉ. विनीत गहलोत कहते हैं कि संस्थान में अध्ययन चल रहा है सभी बिंदुओं को देखा जा रहा है।

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