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PG करने वाले सरकारी डॉक्टरों के लिए बदला नियम, उत्तराखंड में करना होगा मरीजों का इलाज; रोक लगाने की यह तैयारी

सचिव चिकित्सा शिक्षा डॉ. आर राजेश कुमार ने पुष्टि करते हुए बताया कि इस संदर्भ में प्रस्ताव तैयार किया गया है। उन्होंने कहा कि कैबिनेट की मंजूरी के बाद इस योजना को लागू किया जाएगा। डॉक्टरों के सामने संकट राज्य में विशेषज्ञ डॉक्टरों के 600 के करीब पद अभी खाली चल रहे हैं

उत्तराखंड के सरकारी मेडिकल कॉलेजों से पीजी की पढ़ाई करने वाले डॉक्टर दो साल तक दूसरे राज्यों में नौकरी नहीं कर सकेंगे। राज्य में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी दूर करने के लिए सरकार यह व्यवस्था बनाने जा रही है।

चिकित्सा शिक्षा विभाग की ओर से इस संदर्भ में प्रस्ताव तैयार किया गया है जिस पर शासन में विचार विमर्श किया जा रहा है। विदित है कि राज्य में विशेषज्ञ डॉक्टरों के छह सौ से अधिक पद खाली चल रहे हैं।

जिस वजह से मरीजों के इलाज में दिक्कतें आ रही है। खासकर राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में लोगों को इससे भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस परेशानी को देखते हुए सरकार ने विशेषज्ञ डॉक्टर बढ़ाने का फैसला किया है।

इसके तहत पहले चरण में विशेषज्ञ डॉक्टरों की सेवानिवृत्ति उम्र साठ साल से बढ़ाकर 65 साल की गई और इसके बाद अब पीजी करने वाले डॉक्टरों को भी राज्य में ही रोकने की योजना है। जल्द ही यह मामला कैबिनेट में लाया जाएगा अगला जिसके बाद इस पर अंतिम मुहर लगाई जाएगी। लेख

सचिव चिकित्सा शिक्षा डॉ. आर राजेश कुमार ने पुष्टि करते हुए बताया कि इस संदर्भ में प्रस्ताव तैयार किया गया है। उन्होंने कहा कि कैबिनेट की मंजूरी के बाद इस योजना को लागू किया जाएगा। डॉक्टरों के सामने संकट राज्य में विशेषज्ञ डॉक्टरों के 600 के करीब पद अभी खाली चल रहे हैं।

लेकिन बैकलॉग के पदों को छोड़कर एमबीबीएस डॉक्टरों के लिए अब पद नहीं बचे हैं। ऐसे में प्लेन एमबीबीएस डॉक्टरों के सामने अब सरकारी नौकरी की समस्या खड़ी हो गई है। स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों ने अनुसार बांड के तहत तैनाती की वजह से राज्य में डॉक्टरों की तैनाती कुल पदों से ज्यादा हो चुकी है। ऐसे में आने वाले समय में बिना पीजी करने वाले डॉक्टरों को सरकारी नौकरी मिल पाना संभव नहीं हो पाएगा।

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राज्य में विशेषज्ञ डॉक्टरों के पद दो से तीन साल में भरने की उम्मीद

राज्य में वर्तमान में पीजी की कुल 170 सीटें हैं। पढ़ाई पूरी करने के बाद एक साल में तकरीबन इतने ही विशेषज्ञ डॉक्टरों का बैच निकलेगा और दो से तीन सालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों के सभी पद भर जाने की उम्मीद है। अधिकारियों ने बताया कि डॉक्टरों की रिटायरमेंट उम्र भी बढ़ाई गई है। ऐसे में आने वाले कुछ सालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की समस्या पूरी तरह दूर होने की उम्मीद है।

शर्तों में बदलाव करेगी सरकार

चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि प्रस्ताव के अनुसार सरकार बॉन्ड की शर्तों में बदलाव करेगी। शर्तों में यह अनिवार्य किया जाएगा कि राज्य के कॉलेजों से पीजी करने वाले डॉक्टर पासआउट होने के बाद दो साल तक राज्य के अस्पतालों में ही सेवा देंगे। इससे राज्य में काफी हद तक विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी दूर हो जाएगी।

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Author: Swati Panwar
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