स्थानांतरण अधिनियम, 2017 के प्राविधानों का अनुपालन किये जाने के संबंध में। महोदय,
उपर्युक्त विषयक अवगत कराना है कि उत्तराखण्ड लोक सेवकों के वार्षिक स्थानांतरण आदि के लिए एक उचित, निष्पक्ष, वस्तुनिष्ठ तथा पारदर्शी स्थानांतरण प्रक्रिया निर्धारित किये जाने हेतु “उत्तराखण्ड लोक सेवकों के लिए वार्षिक स्थानांतरण अधिनियम, 2017 का प्रख्यापन किया गया है।
2-उक्त के संबंध में मुझे यह कहने का निदेश हुआ है कि अधिनियम की धारा 3 (घ) में गम्भीर रोगों के आधार पर स्थानांतरण का प्राविधान किया गया है तथा इस धारा में गम्भीर रोगों का उल्लेख किया गया है। स्थानांतरण अधिनियम की धारा-3 (घ) में परिभाषित ‘गंभीर रोग’ में “लीवर ट्रांसप्लांट एवं लीवर से सम्बन्धित गंभीर रोग” को भी सम्मिलित किये जाने का निर्णय लिया गया है। इस हेतु पात्र कार्मिकों के स्थानान्तरण सम्बन्धी प्रकरण, अधिनियम की धारा 3 (च) में परिभाषित “सक्षम अधिकारी का प्रमाण पत्र” के अनुसार ही विभागों द्वारा नियमानुसार सम्पादित किये जायेंगे।
3-कतिपय विभागों द्वारा स्थानान्तरण अधिनियम, 2017 की धारा 6 और धारा-17 में स्थानान्तरण के क्रम के सम्बन्ध में स्थिति स्पष्ट किये जाने का अनुरोध किया गया है। अतः इस सम्बन्ध में स्पष्ट किया जाना है कि वार्षिक स्थानान्तरण अधिनियम, 2017 की धारा-6 में केवल वार्षिक स्थानान्तरण के प्रकार उल्लिखित हैं। प्रत्येक वर्ष वार्षिक स्थानान्तरण अधिनियम, 2017 की धारा-23 के अन्तर्गत निर्धारित समय सारिणी के अनुसार सामान्य स्थानान्तरण के सम्बन्ध में धारा-17 में उल्लिखित क्रमानुसार ही स्थानांतरण की कार्यवाही सुनिश्चित की जायेगी। अधिनियम के अन्य सभी प्राविधान यथावत् लागू रहेंगे।
4-उत्तराखण्ड सरकारी सेवकों के लिए वार्षिक स्थानान्तरण अधिनियम, 2017 की धारा 17(2)घ में निम्नलिखित प्राविधान किया गया हैः-
“घ-सरकारी सेवकों के मान्यता प्राप्त सेवा संघों के अध्यक्ष / सचिव, जिनमें जिला शाखाओं के अध्यक्ष / सचिव भी सम्मिलित हैं, के स्थानान्तरण, उनके द्वारा संगठन में पदधारित करने की तिथि से पद पर बने रहने अथवा 02 वर्ष की अवधि, जो भी पहले हो, तक की अवधि
में नहीं किये जा सकेंगे, परन्तु इस अधिनियम के शेष प्राविधान उन पर भी यथावत लागू होंगे।”
इस सम्बन्ध में समस्त विभाग यह सुनिश्चित करेंगे कि उक्तानुसार सेवा संघों के पदाधिकारियों के स्थानान्तरण उक्त धारा-17 (2) (घ) के प्राविधानुसार हों और पुनर्निर्वाचन की स्थिति में भी यह प्रावधान यथावत् लागू रहेगा।
5- स्थानान्तरण अधिनियम, 2017 की धारा-18 (5) के सम्बन्ध में स्पष्ट किया जाना है कि धारा 18(1) से 18 (4) के अनुसार की जाने वाली तैनाती / स्थानान्तरण, अधिनियम की धारा-23 में वार्षिक सामान्य स्थानान्तरण से सम्बन्धित निर्धारित समय सारिणी से पृथक एवं भिन्न अवधि में भी सक्षम प्राधिकारी द्वारा किये जा सकेंगे और इसके लिए प्रकरण को स्थानान्तरण समिति के समक्ष ले जाने की आवश्यकता नहीं होगी;
परन्तु यह कि प्रशासनिक आधार पर किये जाने वाले स्थानान्तरणों पर सक्षम अधिकारी को एक स्तर ऊपर के अधिकारी से अनुमोदन प्राप्त करना आवश्यक होगा।
उक्त के सम्बन्ध में स्पष्ट किया जाना है कि अधिनियम की धारा 18 (1) से 18(4) में उल्लिखित प्रकृति की तैनाती / स्थांनातरण, सामान्य स्थानान्तरण की पात्रता सूची में आने वाले कार्मिकों से इतर, प्रत्येक स्थानान्तरण सत्र वर्ष के दौरान, सक्षम प्राधिकारी द्वारा एवं प्रशासनिक आधार पर स्थानांतरण, सक्षम स्तर से एक स्तर उच्च अधिकारी के अनुमोदन से किसी भी समय सम्पन्न किये जा सकेंगे।
इस प्रकार उपरोक्त प्रकृति के स्थानांतरण, सामान्य स्थानांतरण अवधि में बिना स्थानांतरण समिति के अनुमोदन के किये जा सकते हैं। अधिनियम के इन प्राविधानों का अनुपालन सुनिश्चित किया जाय।
6-स्थानांतरण अधिनियम की धारा-21 (3) में यह प्राविधान है कि समूह ‘क’ एवं समूह ‘ख’ के अधिकारियों का स्थानान्तरण, धारा-23 में उल्लिखित समय सारिणी में निर्दिष्ट तिथि के उपरान्त स्थानान्तरण अधिनियम, 2017 की परिधि में आने वाले अधिकारियों का स्थानान्तरण केवल माननीय मुख्यमंत्री के पूर्वानुमोदन से ही किया जा सकेगा और समूह ‘ग’ एवं समूह ‘घ’ के कार्मिकों का स्थानान्तरण, स्थानान्तरण अधिनियम, 2017 की परिधि में आने वाले कार्मिकों का स्थानान्तरण, स्थानान्तरण हेतु अधिकृत सक्षम स्तर से एक स्तर उच्चाधिकारी द्वारा अनुमोदित किया जायेगा।
यह प्राविधान प्रत्येक स्थानांतरण सत्र में हुए किसी अपरिहार्य विलम्ब / कठिनाई के निवारण के संबंध में है। इस धारा का उपयोग प्रत्येक स्थानांतरण सत्र में पात्र हो रहे कार्मिकों के स्थानांतरण हेतु ही किया जा सकता है। इस प्राविधान का कठोरता के साथ पूर्ण अनुपालन सुनिश्चित किया जायेगा।
7- धारा-23 के अनुसार प्रत्येक वर्ष सामान्य स्थानान्तरण हेतु समय सारिणी विनिर्दिष्ट की गई है। समस्त विभागों सामान्य स्थांनान्तरण प्रक्रिया को अधिनियम में निर्दिष्ट समय सारिणी के अनुरूप एवं समयबद्ध रूप से सम्पन्न करेंगे।
8-धारा-24(3) में यह प्राविधान है कि जो कोई, इस अधिनियम के अधीन दिए गए किसी आदेश या निदेश का, ऐसे समय के भीतर, जो उक्त आदेश या निदेश में विनिर्दिष्ट किया जाय, अनुपालन करने में असफल रहेगा या इस अधिनियम के किन्हीं उपबन्धों का उल्लंघन करेगा या उल्लंघन करने का प्रयत्न करेगा, वह “उत्तराखण्ड सरकारी सेवक (अनुशासन एवं अपील) नियमावली, 2003 (समय-समय पर यथासंशोधित) के संगत प्राविधानों के अधीन दण्डनीय होगा। उक्तानुसार यदि कोई अधिकारी / कर्मचारी अधिनियम

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