हादसे के बाद दीवार से हटाया गया मीटर और बिजली के तार, उठ रहे सवाल, खामियां आईं सामने
मनसा देवी मंदिर मार्ग पर हुए हादसे के बाद ऊर्जा निगम की खामियां सामने आईं है। दीवार पर एक बंद मीटर छोड़ा और उसके बराबर में लगा दूसरा मीटर हटाया गया। हादसे के अगले दिन मार्ग पर बनी मंदिर की दुकानों पर लगे बिजली के तार भी बदले गए
मनसा देवी मंदिर के सीढ़ी मार्ग पर रविवार को मची भगदड़ के बाद सिर्फ हादसे की जड़ से ध्यान भटकाने की कोशिश की गई। जिस जगह भगदड़ मची और करंट लगने की अफवाह फैली, वहां हादसे के तुरंत बाद बिजली का मीटर ही दीवार से हटा दिया गया। इतना ही नहीं, मीटर से जुड़ी तार भी गायब कर दी गई और दूसरा पुराना बंद मीटर यूं ही छोड़ दिया गया। हटाए गए मीटर का निशान इसकी गवाही दे रहा है।
वहीं हादसे के अगले ही दिन मंदिर मार्ग की दुकानों और भवनों में लगी पुरानी बिजली लाइनों को आनन-फानन में बदला गया। सवाल है कि अगर करंट लगने की कोई वजह नहीं थी तो फिर इतनी हड़बड़ी में तार और मीटर क्यों बदले गए? क्या यह महज संयोग है या किसी सच्चाई पर पर्दा डालने की कोशिश?
सोमवार को अमर उजाला की टीम ने मनसा देवी मंदिर और मार्ग पर पड़ताल की। सुबह करीब 11:30 बजे जब हादसे वाले प्वाइंट पर पहुंचे तो यहां बिल्कुल सन्नाटा पसरा था और कुछ दूरी पर दो पुलिसकर्मी तैनात थे। यहां दीवार पर एक बंद पड़ा मीटर लगा हुआ था जबकि इसकी बराबर से एक मीटर को हटाने का निशान था।
इस निशान को देखने से ही प्रतीत हो रहा था कि यहां से हाल ही में मीटर को हटाया गया है। जब इससे एक दिन पहले रविवार को हादसे के बाद ही सामने आई मीटर की तस्वीरों की पड़ताल की तो सामने आया कि हादसे के बाद आनन-फानन में मीटर तो हटा दिया गया। पुराने मीटर पर एक बिजली की तार लगी रह गई। सोमवार को बंद पड़े मीटर से ये तार भी गायब मिली।
जब कुछ कदम की दूरी पर मंदिर परिसर में बनी दुकानों की तरफ बढ़े तो यहां ऊर्जा निगम के अलावा कई निजी कर्मचारी दुकानों व भवन के ऊपर लगे बिजली के पुराने तारों को बदल रहे थे। यहां आने से लोगों को भी रोका जा रहा था। मंदिर में दाखिल होने वाले रास्ते पर चैनल गेट के बराबर में लगे बड़े मीटर की भी बिजली की तारें बदली जा रही थी।
लाइनों की स्थिति देखने से ही साफ प्रतीत हो रही थी कि ये काफी पुरानी और जर्जर हो चुकी हैं। वहीं, नीचे की तरफ सीढ़ियों पर आगे बढ़े तो बराबर में पहाड़ी की तरफ लोहे की बैंचे व अन्य सामान फेंका हुआ था। ये सामान मार्ग पर अवैध तरीके से दुकानें लगाने वाले लोगों का प्रतीत हो रहा था।
हादसे के दौरान जब मौत का तांड़व चल रहा था तो दूसरी तरफ कुछ लोग घटनास्थल के आसपास से सामान हटाने में लगे हुए थे। जानकारी जुटाने पर ये भी पता चला कि ऊर्जा निगम के कुछ कर्मचारी भी तुरंत मौके पर पहुंच गए थे, जिसके बाद आसपास फैली बिजली की तारों को हटा दिया गया। इस बात से सवाल उठता है कि कहीं ऊर्जा निगम के कर्मचारियों ने ही तो मीटर नहीं हटाया। मीटर हटाने के पीछे क्या कोई बड़ी खामी को छिपाना था

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