वनाग्नि पर HC ने PCCF से पूछा- दिशा निर्देशों का कितना पालन हुआ? कोर्ट में पेश होने के निर्देश
राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि इससे संबंधित विशेष अपील सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन है। इसलिए राज्य सरकार को वर्तमान स्थिति के बारे में अवगत कराने के लिए एक सप्ताह का समय दिया जाए।
नैनीताल हाइकोर्ट ने हाल ही में चकराता देहरादून व पौड़ी में लगी आग का संज्ञान लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद पीसीसीएफ को बुधवार 19 फरवरी को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने उनसे पूछा है कि 2021 में हाईकोर्ट ने वनाग्नि रोकने के लिए जो दिशानिर्देश दिए थे उस आदेश का कितना अनुपालन हुआ। मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र एवं न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई।
राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि इससे संबंधित विशेष अपील सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन है। इसलिए राज्य सरकार को वर्तमान स्थिति के बारे में अवगत कराने के लिए एक सप्ताह का समय दिया जाए। इसका विरोध करते हुए न्यायमित्र ने कोर्ट के समक्ष कहा कि यह मामला अलग है और जो मामला सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन है वह अलग है। इस मामले का कोर्ट ने कोविडकाल के दौरान स्वतः संज्ञान लिया था।
जब संज्ञान लिया था तब प्रदेश के जंगलों में मानवों की कम आवाजाही होने के बावजूद जंगल धधक रहे थे। हाईकोर्ट ने जो दिशानिर्देश राज्य सरकार को दिए थे उनका अभी तक अनुपालन नहीं किया गया है, जबकि अभी फॉरेस्ट के फ्रंट लाइन कहे जाने वाले फॉरेस्ट गार्ड अपनी सुरक्षा व अन्य सुविधाओं के लिए हड़ताल पर हैं।
पूर्व में कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा था कि वन विभाग में खाली पड़े 65 प्रतिशत पदों को छह माह में भरें और ग्राम पंचायतों को मजबूत करने के साथ-साथ वर्षभर जंगलों की निगरानी करने को लेकर शपथपत्र पेश करें। कोर्ट के आदेश के क्रम में सरकार की ओर से शपथपत्र पेश किया गया लेकिन इसमें खाली पदों पर पदोन्नति और नई भर्ती का कोई जिक्र नहीं किया गया था। मसलन, कब भर्ती होगी, कितने पदों पर होगी और कितने पद रिक्त हैं आदि। इस पर कोर्ट ने पीसीसीएफ को व्यक्तिगत रूप से पेश होने के आदेश दिए हैं।
यह है मामला
पर्यावरण मित्र अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली ने पूर्व में हाईकोर्ट के समक्ष प्रदेश के जंगलों में लग रही आग को लेकर मुख्य समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों का हवाला पेश किया था। इस पर कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेकर राज्य सरकार को वन, वन्यजीव व पर्यावरण को बचाने के लिए कई दिशानिर्देश जारी किए थे। हाइकोर्ट ने 2016 में भी जंगलों को आग से बचाने के लिए गाइडलाइन जारी की थी। कोर्ट ने जारी दिशानिर्देशों में कहा था कि गांव स्तर से ही आग बुझाने के लिए कमेटियां गठित की जाएं जिस पर आज तक अमल नहीं किया गया। सरकार जहां आग बुझाने के लिए हेलिकॉप्टर का उपयोग कर रही है उसका खर्चा भी अधिक है। इसके बावजूद पूरी तरह से आग नहीं बुझती है
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