पुल गिरने से तीन श्रमिकों की मौत का मामला, अभियंता और ठेकेदार समेत पांच दोषी करार, दो-दो साल की कैद
सहायक अभियोजन अधिकारी अलीशा खान ने बताया कि 4 फरवरी 2012 की सुबह 9ः40 बजे रुड़की में नगर पालिका के समीप गंगनहर पर निर्माणाधीन पैदल पुल अचानक टूटकर गंगनहर में समा गया था।
वर्ष 2012 में रुड़की में निर्माणाधीन पुल गिरने से तीन श्रमिकों की मृत्यु होने के मामले में न्यायिक मजिस्ट्रेट रुड़की शिवानी नाहर ने पांच अभियुक्तों को दोषी करार देते हुए 2-2 वर्ष के सश्रम कारावास और 10- 10 हजार रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई है। न्यायालय ने मामले में लापरवाही को लेकर भी टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसे मामलों में सरकार और निर्माण एजेंसी की जिम्मेदारी बनती है।
सहायक अभियोजन अधिकारी अलीशा खान ने बताया कि 4 फरवरी 2012 की सुबह 9ः40 बजे रुड़की में नगर पालिका के समीप गंगनहर पर निर्माणाधीन पैदल पुल अचानक टूटकर गंगनहर में समा गया था। हादसे में पुल पर कार्य कर रहे तीन श्रमिकों की मौत हो गई थी। मामले में हैदरअली की ओर से रुड़की कोतवाली में दर्ज कराए गए मुकदमे में बताया गया था कि वह अपने पांच साथियों शमीम, जीशान, मुरली, धीर सिंह और कुर्बान के साथ तीन माह से निर्माणाधीन पुल पर कार्य कर रहा था।
उसने बताया कि घटना वाले दिन कुर्बान छुट्टी पर था। काम करने के दौरान निर्माणाधीन पुल टूटकर पानी में गिर गया था। जिसमें तीन साथी जीशान निवासी बेडपुर, भगवानपुर जनपद हरिद्वार, धीर सिंह निवासी शंकरपुरी रुड़की और शमीम निवासी नजीबाबाद जनपद बिजनौर उप्र की पानी में डूबकर मौत हो गई थी। उसने यह सब अपनी आंखों से देखा था। उसने पुल के निर्माण में गुणवत्तापूर्ण सामग्री नहीं लगाए जाने और लापरवाही से हादसा होने का आरोप लगाया था
मामले में रुड़की कोतवाली में मुकदमा दर्ज कर विवेचना करने के बाद विवेचक ने पांच अभियुक्तों ठेकेदार मजहर अली निवासी भटवाड़ी रोड उत्तरकाशी, अपर सहायक अभियंता छबील दास निर्माण खड़ लोनिवि रुड़की, हैदर निवासी मेहंदीबाग नजीबाबाद, अनिल कुमार व दीपक निवासीगण लोनिवि कालोनी सिविल लाइन रुड़की के खिलाफ न्यायालय में आरोपपत्र दाखिल किया था। मामला न्यायालय में विचाराधीन था। इस दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से 13 गवाहों के बयान दर्ज कराए गए। तेरह वर्ष तक चली सुनवाई के बाद न्यायिक मजिस्ट्रेट शिवानी नाहर ने पांचों अभियुक्तों को दोषी करार देते हुए 2 – 2 वर्ष के सश्रम कारावास और 10 – 10 हजार रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई है। अर्थदंड नहीं देने पर दोषियों को एक माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।
टिप्पणी: पुल निर्माण में विभिन्न स्तर पर हुआ भ्रष्टाचार, सरकार और एजेंसी है जिम्मेदार
न्यायालय ने टिप्पणी करते हुए कहा कि केंद्र अथवा राज्य सरकारें जिस एजेंसी के द्वारा पुल निर्माण का कार्य कराती हैं, उसकी पूरी जिम्मेदारी केंद्र या राज्य सरकार तथा उस एजेंसी की होती है और यदि उनकी लापरवाही के कारण कोई दुर्घटना होती है तो इसकी संपूर्ण जिम्मेदारी केंद्र या राज्य सरकार तथा उस एजेंसी की होगी। इस पुल निर्माण में विभिन्न स्तर पर भ्रष्टाचार हुआ है, निर्माणदायी संस्था के अभियंताओं और वरिष्ठ अधिकारियों ने कथित पुल निर्माण में घोर लापरवाही बरती जिससे जन और धन की हानि हुई। कोई भी सरकारी योजना में निर्माण कार्य जनता के पैसों से होता है। यदि इसकी बर्बादी अभियंताओं और वरिष्ठ अधिकारियों की घोर लापरवाही के कारण होती है तो उनको सजा मिलनी ही चाहिए।

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