उत्तराखंड में अब आम आदमी के लिए घर बनाना और महंगा हुआ है जी हां नए सर्किल रेट से कुछ इलाकों में लगभग 100% जमीनों के रेट बढ़ाए गए हैं वही कुछ इलाकों में 50 प्रतिशत भी बढ़ाया गया हैं वही कुछ जगहों पर कम भी किया गया हैं
राज्य सरकार ने उत्तराखंड में जमीनों के सर्किल रेट में 33.6 फीसदी की बढ़ोत्तरी कर दी है। पांच फीसदी इलाकों में जहां 100 फीसदी तक की बढ़ोत्तरी हुई, वहीं 85 फीसदी क्षेत्रों में 50 फीसदी से कम रेट बढ़ाए गए। मुख्यमंत्री पुष्कर धामी की अध्यक्षता में बुधवार को सीएम आवास में हुई कैबिनेट बैठक में ये फैसले में लिए गए।
पिछले तीन साल बाद सर्किल रेट की दरों में संशोधन किया गया। कहा कि जिन क्षेत्रों में हाई वे बने हैं या प्रस्तावित हैं, उन क्षेत्रों में रेट ज्यादा बढ़े हैं। इसके साथ ही पिछले तीन साल के दौरान विभिन्न जिलों में हुई रजिस्ट्रियों के आधार पर भी यह रेट तय किए गए।
उन्होंने बताया कि कृषि क्षेत्र में 32.47 और अकृष क्षेत्र में 34.83 फीसदी बढ़ोतरी की गई। पूरे राज्य में कृषि क्षेत्र में 22,912 और अकृषि कमें 34082 यूनिट (क्षेत्र) के आधार पर सर्किल रेट तय किया गया। राज्य में पांच फीसदी हिस्सों में 200 से ज्यादा, नौ फीसदी क्षेत्रों में 50 से 100 फीसदी जबकि 86 फीसदी क्षेत्रों में 50 फीसदी से कम की बढ़ोत्तरी हुई। वहीं दून व अल्मोड़ा के कुछ हिस्सों में मौजूदा सर्किल रेट में गिरावट भी आई है।आपत्तियों की सुनवाई को कमेटी गठित
किसी क्षेत्र में सर्किल रेट की असमानता होने पर राज्य सरकार ने मुख्य सचिव डा. एसएस संधु की अध्यक्षता में एक कमेटी भी बनाई है। कमेटी ऐसी सभी आपत्तियों का निस्तारण कर मुख्यमंत्री को प्रस्ताव भेजेंगे। मुख्यमंत्री इस पर अंतिम फैसला लेंगे।
जोशीमठ में 15 फीसदी तक की बढ़ोत्तरी आपदा प्रभावित जोशीमठ शहर में सर्किल रेट में 15 फीसदी की बढ़ोत्तरी की गई है। अभी वहां चार लाख रुपये प्रति नाली सरकारी दर है। अब इसे 4.60 लाख रुपये प्रति नाली कर दिया है। माना जा रहा है कि सर्किल रेट बढ़ने से सरकार को आपदा प्रभावितों को मुआवजा के रूप में अतिरिक्त रकम देनी पड़ती।
उत्तराखंड में तीन साल बाद जमीनों के सर्किल रेट बढ़ाए गए। दरअसल, कोविड के चलते सरकार ने लोगों को राहत देने के लिए सर्किल रेट नहीं बढ़ाए थे। अब चूंकि स्थिति सामने हो चुकी है। ऐसे में सरकार ने नए सर्किल रेट जारी कर दिए हैं। एक-दो दिन के भीतर पूरे राज्य में सर्किल रेट लागू होने की उम्मीद है।
वर्तमान में प्रवृत्त सर्किल दरों को प्रचलित बाजार दरों के सुसंगत एवं तर्कसंगत बनाने के दृष्टिगत पुनरीक्षित किया गया है। वर्ष 2020 और वर्ष 2021 में कोविड महामारी के चलते सर्किल दरों को पुनरीक्षित नहीं किया गया। वर्ष 2022 में विकासात्मक गतिविधियां तीव्र होने के पश्चात् सम्पत्तियों के क्रय-विक्रय में वृद्धि होने के साथ-साथ उनके सम्पत्ति के मूल्य में वृद्धि हुई। सर्किल दरों को पुनरीक्षित करने में अनौपचारिक बाज़ारी सर्वे जैसे कि तहसीलदार, नगर आयुक्त, अधिशासी अधिकारी आदि की रिपोर्ट, रियल स्टेट पोर्टल पर प्रख्यापित दरें, अधिक मूल्य पर पंजीकृत विलेखों के औसत के आधार पर प्राप्त दरें तहसील / जनपद स्तर पर व्यावसायिक गतिविधियों, अंर्तजनपदीय सीमाओं पर स्थित समतुल्य विकासात्मक दशाओं तथा नई टॉउनशिप प्रोजेक्ट, प्रस्तावित राजमार्ग / बाईपास आदि तथ्यों के अतिरिक्त जी०आई०एस० मैपिंग आधारित अध्ययन का भी विश्लेषण किया गया।
राज्य में कुल 49000 ( 86 प्रतिशत) क्षेत्रों में वृद्धि प्रतिशत 50 प्रतिशत से कम है, 5299 (9 प्रतिशत) क्षेत्रों में वृद्धि प्रतिशत 51-100 प्रतिशत के मध्य है तथा शेष 2832 (5 प्रतिशत) क्षेत्रों में वृद्धि प्रतिशत 100 प्रतिशत से अधिक है।
राज्य में 22912 कृषि क्षेत्रों के अंतर्गत 87 प्रतिशत क्षेत्रों में दरों की वृद्धि 50 प्रतिशत से कम है और इन क्षेत्रों में औसत प्रतिशत वृद्धि 32.47 प्रतिशत है। अकृषि क्षेत्र राज्य में 34082 अकृषि क्षेत्रों में से 85 प्रतिशत क्षेत्रों में दरों की वृद्धि 50 प्रतिशत से कम हैं और इन क्षेत्रों में औसत प्रतिशत वृद्धि 34.83 प्रतिशत है। राज्य में उक्त वृद्धि 03 वर्ष के अंतराल पर है। राजस्व को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से एवं भूमि की बाजारी मूल्य में औसत वार्षिक वृद्धि को न्यूनतम 10 प्रतिशत की दर से लेते हुए सम्पूर्ण प्रदेश के 85 प्रतिशत क्षेत्रों में वृद्धि अधिकतम 10 प्रतिशत प्रति वर्ष तक है तथा औसत उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) की दर 7 प्रतिशत प्रति वर्ष को सम्मिलित करते हुए 17 प्रतिशत प्रति वर्ष है। पर्वतीय जनपदों के कृषि एवं अकृषि क्षेत्रों में औसत प्रतिशत वृद्धि 5 प्रतिशत प्रति वर्ष से कम है, जोकि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) से भी कम उल्लेखनीय है कि सर्किल दरों में विसंगति दूर करने के लिए 48 पर्वतीय क्षेत्रों में 40 प्रतिशत तक की कमी की गई है एवं सम्पूर्ण प्रदेश में 658 यूनिट ईकाईयों में कोई वृद्धि प्रस्तावित नहीं की गई है।
जनपद अल्मोड़ा के गरकोट, लोहेडा, रीठा, कुनियाल गांव आदि कुल 47 क्षेत्रों के सर्कल रेट में 46 प्रतिशत तक की कमी की गयी है अर्थात 49 लाख से घटाकर 25 लाख प्रति हेक्टर की गयी है। जनपद देहरादून के विकासनगर के भलैर, पपडियान, बावनधार, मदर्स एवं मटोगी आदि क्षेत्रों में कोई वृद्धि नहीं की गयी है। जनपद नैनीताल के डोली गांव, जसपुरिया लाईन कसेरा लाईन, खन्सयू, काला आगर आदि 33 क्षेत्रों में 10 प्रतिशत से कम वृद्धि की गयी है। जनपद हरिद्वार के रोशनाबाद- बिहारीगढ़ मार्ग पर सर्किल रेट में कोई वृद्धि नहीं की गयी है। हरिद्वार के अब्दुल हसनपुर, अलमासपुर1300 से 1350 रू प्रति वर्ग मी०. सलेमपुर बकवाल 3350 से 3500 रू प्रति वर्ग गी०, पठानपुरा में 18000 से 19000 रु प्रति वर्ग मी०, भगवानपुर मेन बजार, मेवड़ खुर्द, अलमासपुर इत्यादि 13 क्षेत्रों में वृद्धि 10 प्रतिशत से भी कम है। जनपद चमोली में बदीनाथ, बामडी एवं अन्य 526 क्षेत्रों में वृद्धि 10 प्रतिशत से भी कम है। जनपद रूद्रप्रयाग में दानकोट बडकोट बासी, धारकोट, नरकोटा, जखोली, कोठीपाडा आदि कुल 203 क्षेत्रों में वृद्धि 10 प्रतिशत से भी कम है। जनपद अल्मोड़ा के लोअर माल रोड, जनपद देहरादून के विकास नगर में इस्ट हॉप टाउन, केशोदाला आरकेडिया ग्राण्ट, डोईवाला, जनपद हरिद्वार में बी०एच०ई०एल० रोड एवं जनपद नैनीताल के माल रोड (झील के किनारे) क्षेत्रों में 50-100 प्रतिशत तक वृद्धि की गयी है। जनपद देहरादून के गुनियाल गांव, जनपद हरिद्वार के बहादराबाद जनपद ऊधम सिंह नगर के किच्छा में एम्स / पराग फॉम / इण्डस्ट्रीयल पार्क एवं जनपद नैनीताल के सतरंगा क्षेत्रों में 100 प्रतिशत से अधिक वृद्धि की गयी है।
उक्त क्षेत्रों में विकासात्मक गतिविधियां जैसे कि नई टाउनशीप / प्रस्तावित नेशनल हाइवे / रिंग रोड / रेल परियोजनाएं एवं औद्योगिक विकास आदि के तीव्र होने एवं अनौपचारिक बाजारी सर्वे एवं रियल स्टेट पोर्टल पर उच्च दरें तथा उपनिबंधक कार्यालयों में उच्च मूल्य पर लेख पत्र पंजीकृत होने के दृष्टिगत सर्किल दरों का पुनरीक्षण किया गया है।
सर्किल दरों के पुनरीक्षण से राजस्व वृद्धि के अतिरिक्त काश्तकारों की मुआवजा राशि में वृद्धि होगी, भू स्वामी को उचित दाम प्राप्त होगा, गृह स्वामी / व्यवसायियों एवं निवेशकों को वित्तीय संस्थाओं से ऋण की प्राप्ति होगी, जिससे विकास को गति मिलेगी एवं सर्किल दरों और प्रचलित वास्तविक बाजार दरों में अंतर को कम करने से रियल स्टेट में काले धन के प्रवाह को रोकने में सहायता प्राप्त होगी।
अतः सर्किल दरों के पुनरीक्षण में राजस्व वृद्धि के साथ-साथ जनहित के समन्वय को उचित महत्व दिया गया है।
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