यमुनोत्री धाम की सुरक्षा व्यवस्था अधर में, 17 करोड़ के कार्यों का नहीं खुला टेंडर
यमुनोत्री धाम की सुरक्षा व्यवस्था में लापरवाही सामने आई है। सिंचाई विभाग के 17 करोड़ के सुरक्षा कार्यों का टेंडर अभी तक नहीं खुला है। मंदिर समिति ने नाराजगी जताई है कि हर साल केवल आश्वासन दिए जाते हैं और सुरक्षा कार्य अधूरे हैं। उनका कहना है कि मंदिर की पूर्ण सुरक्षा के लिए दीवारों और घाटों का निर्माण जरूरी है।
यमुनोत्री धाम की सुरक्षा व्यवस्था एक बार फिर लापरवाही की भेंट चढ़ती नजर आ रही है। कपाट खुलने से पूर्व भले ही जिला प्रशासन ने सुरक्षा कार्यों की तैयारियों के दावे किए हों, लेकिन जमीन हकीकत इससे कोसों दूर है।
सिंचाई विभाग द्वारा प्रस्तावित करीब 17 करोड़ रुपये के सुरक्षात्मक कार्यों का टेंडर अब तक नहीं खोला गया है, जिससे व्यवस्थाओं को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। सिंचाई विभाग के अधिशासी अभिंयता पन्नी लाल ने जानकारी देते हुए बताया कि मयुनोत्री धाम में अब तक मात्र 15 मीटर लंबी और आठ मीटर ऊंची सुरक्षा दीवार का निर्माण किया गया है, वह भी बिना टेंडर और भुगतान के।
टेंडर व यह कार्य केवल सुरक्षात्मक उपायों के अंतर्गत आपात रूप से कराया गया है। वहीं, दूसरी ओर जानकीचट्टी व यमुनोत्री धाम के बाकी प्रमुख कार्य जैसे सुरक्षा दीवारें, पुलिया और घाट निर्माण अभी तक कागजों में ही सिमटे हुए हैं।
यमुनोत्री मंदिर समिति के सचिव सुनील उनियाल ने गहरी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि हर वर्ष केवल आवश्वासन दिए जाते हैं। जबकि यमुनोत्री की उपेक्षा निरंतर जारी है। जबकि यमुनोत्री की उपेक्षा निरंतर जारी रहती है।
इस बार भी मात्र रसोई घर के पास सीमित सुरक्षा कार्य हुआ है, जिससे यमुना नदी के जलस्तर में वृद्धि होने पर कुछ हद तक राहत मिल सकती है, लेकिन मंदिर क्षेत्र की संपूर्ण सुरक्षा के लिए दीवारों, घाटों व हेलीपैड मार्ग की पुलिया का निर्माण अत्यंत आवश्यक है।
पूर्व जिलाधिकारी मेहरबान सिंह बिष्ट ने भारी मशीनों की उपलब्धता के बाद कार्य प्रारंभ होने की बात कही थी, लेकिन उनके स्थानांतरण के बाद अब आश्वासनों की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न लग गया है। समिति का कहना है कि निर्माण एजेंसियों को मौके पर रहकर गुणवत्तापूर्ण कार्य करना चाहिए, ताकि बजट का सही उपयोग सुनिश्चित हो।

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