तीन किमी क्षेत्र में हिमखंडों से गुजरेंगे तीर्थयात्री, गर्मी में भी मिलेगा ठंड का एहसास
हेमकुंड साहिब यात्रा पर इस बार श्रद्धालुओं को बर्फ से ढके रास्तों पर चलने का अनोखा अनुभव मिलेगा। अटलाकोटी से हेमकुंड के बीच तीन किमी क्षेत्र में बर्फ जमी हुई है जहां सेना ने रास्ता बनाया है। यात्रियों की सुरक्षा के लिए एसडीआरएफ और पुलिस बल तैनात हैं। घोड़े-खच्चरों को अटलाकोटी तक ही जाने की अनुमति है। चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध हैं और शौचालयों की मरम्मत की जा रही है।
हेमकुंड साहिब यात्रा मार्ग पर इस बार हिमशिखरों के बीच हिमखंडों में आवाजाही करने का श्रद्धालुओं को अलग ही आनंद मिलेगा। मैदानी क्षेत्रों में चिलचिलाती गर्मी से लोगों के पसीने छूट रहे हैं। हेमकुंड यात्रा पर आने वाले श्रद्धालु घांघरिया व हेमकुंड के बीच अटलाकोटी से हेमकुंड तक तीन किमी क्षेत्र में हिमखंडों से होकर गुजरेंगे। यह यात्रियों के लिए अलग अनुभव से कम नहीं होगा।
हेमकुंड साहिब में शीतकाल में भारी बर्फबारी हुई है। अभी भी हेमकुंड में अटलाकोटी से हेमकुंड के बीच चार से पांच फीट तक बर्फ जमी हुई है। हेमकुंड सरोवर में भी बर्फ की चादर बिछी हुई है। तीर्थयात्रियों को हेमकुंड यात्रा पर हिमखंड मानो स्वागत के लिए खडे हैं।
अटलाकोटी से हेमकुंड के बीच तीन किमी क्षेत्र में पूरा पहाड बर्फ से पटा हुआ है। यहां पर सेना ने बर्फ काटकर रास्ता बनाया है। हालांकि तेजी से बर्फ पिघल रही है लेकिन मई जून में हिमखंडों का दीदार यात्रियों को अलग ही एहसास दिलाएगा। यात्रियों की सुरक्षा के लिए अटलाकोटी हिमखंड सहित हेमकुंड में एसडीआरएफ सहित पुलिस फोर्स के 15 जवान यात्रियों की सुरक्षित आवाजाही कराएंगे।
घोडे़ खच्चरों को हेमकुंड तक जाने की अनुमति नहीं
अटलाकोटी हिमखंड अभी भी छह फुट ऊंचा व दौ सौ मीटर लंबा है। इस हिमखंड में पूर्व में भी हिमस्खलन के खतरे सामने आते रहे हैं। लिहाजा बर्फ के बीच घोडे़ खच्चरों से आवाजाही के दौरान संभावित खतरों को देखते हुए अटलाकेाटी तक ही घोडे़ खच्चर से यात्रा के लिए अनुमति है। यहां से तीन किमी आगे डंडी कंडी या पैदल ही चलना होगा। बताया गया कि डंडी कंडी के लिए हेमकुंड तक पैदल ट्रेक पर जाने की अनुमति है।
गुरुद्वारा प्रबंधक मैनजमेंट ट्रस्ट के सीईओ सरदार सेवा सिंह ने कहा कि बर्फ पिद्यल कर पैदल मार्ग पर खंडिचा दिखने के साथ ही घोडे खच्चरों को हेमकुंड तक जाने की अनुमति दी जाएगी।

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