अब Voter List में नहीं दिखेंगे मृतकों के नाम, चुनाव आयोग ने एक साथ लिए तीन फैसले; जानिए क्या क्या-बदलेगा
चुनाव आयोग ने मतदाता सूची को त्रुटिरहित बनाने और उससे मृतकों के नाम को तुरंत हटाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। अब महापंजीयक के मृत्यु पंजीयन डेटा से इलेक्ट्रॉनिक रूप से जानकारी प्राप्त करके निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी (ईआरओ) को मुहैया कराई जाएगी। मतदाता सूचना पर्ची (वीआईएस) को अधिक मतदाता अनुकूल बनाने के लिए उसके डिजाइन में बदलाव किया गया है
चुनाव आयोग ने सुधार की दिशा में तीन और बड़े फैसले लिए है। इनमें सबसे अहम फैसला मतदाता सूची को त्रुटिरहित बनाने और उससे मृतकों के नाम को तुरंत हटाने का है। इसके लिए उसको अब किसी औपचारिक आवेदन का इंतजार नहीं करना होगा बल्कि महापंजीयक के मृत्यु पंजीयन डेटा से मृतकों की जानकारी इलेक्ट्रॉनिक रूप हासिल करके निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी (ईआरओ) को मुहैया कराना होगा।
बाद में उसे बूथ लेवल आफीसर (बीएलओ ) से फील्ड विजिट कराकर उसे अपडेट कर दिया जाएगा। आयोग ने यह भी सुनिश्चित किया है कि उसे मृतकों की ब्यौरा समय-समय पर महापंजीयक की ओर से मिलता रहे।
मतदाता सूची से मृतकों के नाम हटाने की क्या थी प्रक्रिया?
मतदाता सूची से मृतक का नाम हटाने के लिए चुनाव आयोग की अब तक जो निर्धारित प्रक्रिया थी, उसके तहत इसे हटाने के लिए बीएलओ के पास फार्म-सात के तहत औपचारिक आवेदन देना होता था। जिसे मौके पर जांच के बाद बीएलओ उसे हटाने की मंजूरी देता है।
मृतकों के नाम हटाने में पहले लगता था काफी समय
अक्सर मृतकों के नाम हटाने के लिए औपचारिक आवेदन काफी लंबे समय समय बाद मिलते थे। ऐसे में वह नाम सूची में लंबे समय तक बना रहता था। आयोग ने सुधार की दिशा में दूसरा जो अहम कदम उठाया है, वह मतदाता सूचना पर्ची ( वीआईएस) को अधिक मतदाता अनुकूल बनाने के लिए उसके डिजाइन में बदलाव किया गया है। इसमें मतदाता का सीरियल नंबर और पार्ट नंबर को अब अधिक प्रमुखता और बड़े आकार में प्रदर्शित होगा, इससे मतदाताओं के लिए मतदान केंद्र की पहचान करना आसान होगा।
बीएलओ को चुनाव आयोग के पहचान पत्र देने का फैसला
साथ ही मतदान अधिकारियों के लिए मतदाता सूची में उनके नाम को खोजने में भी आसानी होगी। अभी सीरियल नंबर और पार्ट नंबर काफी छोटे रूप से पर्ची में प्रदर्शित किए जाते है। आयोग ने इस दिशा में तीसरा जो फैसला लिया है, वह बीएलओ को चुनाव आयोग के पहचान पत्र देने का है। यानी अब वह जब चुनाव के काम के लिए घर-घर जाएंगे तो वह चुनाव आयोग पर पहचान पत्र लेकर जाएंगे।
इससे जहां उनकी पहचान आसान होगी, वहीं मतदाता भी उनकी पहचान को लेकर भ्रमित नहीं होंगे। अभी बीएलओ के रूप में अलग-अलग विभागों के कर्मचारी ही काम करके है, जिसके पास अपने-अपने विभागों का पहचान पत्र होता है। ऐसे में कई बार लोग उन पर संदेह खड़ा करने लगते है। ऐसे में आयोग ने फैसला लिया है, कि वह सभी बीएलओ को अब चुनाव आयोग की ओर से पहचान पत्र लेगा। जिसमें उनका नाम, पद नाम और फोटो लगी रहेगी।

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