उत्तराखंड में कांग्रेस को जो उत्साह मंगलौर और बद्रीनाथ जीतकर मिला था वो उत्साह हरियाणा चुनाव हारने के बाद थोड़ा ठंडा दिखाई दें रहा हैं हालांकि कांग्रेस नेता कह रहें हैं कि केदारनाथ जीतेंगे लेकिन संगठन और नेताओं केबीच में गुटबाजी साफ दिखाई देरही हैं, इस समय कांग्रेस के केदारनाथ सेबडे दावेदार मनोज रावत हैं लेकिन करन महारा और रावत केबीच के सम्बन्ध कैसे हैं सभी जानते हैं हाल में केदारनाथ यात्रा के दौरान जो hot talk गणेश गोदियाल, मनोज रावत, प्रदीप थपलियाल और करन महारा के बीच हुई थी वो राजनैतिक हलको में ये बताने के लिए काफ़ी हैं कि सम्बन्ध कैसे हैं वही पर्यवेक्षकों की बात की जाए तो सैलजा के साथ दिल्ली में हुई बैठक में केदारनाथ सीट के लिए मंत्री प्रसाद नैथानी और लखपत बटोला को पर्यवेक्षक बनाने की बात की गई थी लेकिन करन महारा के सुझाव पर पर्यवेक्षक बनाए गए भु वन कापड़ी और वीरेंद्र जाति जिसका पार्टी का अंदरखाने ही विरोध शुरू हो गया वही प्रदेश प्रभारी कुमारी शैलजा ने जो नई list निकाली उसमे गणेश गोदियाल और लखपत बटोला को पर्यवेक्षक बनाया गया हैं जो करन महारा को झटका बताया जा रहा हैं
क्यूंकि गणेश गोदियाल के करीबी बताए जाते हैं मनोज रावत जिसको टिकट मिले करन महारा नहीं चाहते, करन चाहते हैकि या तो जिलाध्यक्ष को टिकट मिल जाए वही हरक का नाम भी बीच बीच में उठ रहा हैं ऐसे में साफ हैं टिकटो की इस लड़ाई में कौन जीतता हैं
शैलजा और माहरा के बीच नहीं है ऑल वेल? केदारनाथ उपचुनाव से पहले कांग्रेस में उभरी गुटबाजी; क्या है वजह
केदारनाथ विधानसभा सीट पर उपचुनाव से ठीक पहले उत्तराखंड कांग्रेस की गुटबाजी सतह पर आ गई। पार्टी के एक खेमे का कहना है कि प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया के तहत दो दिन पूर्व हाईकमान के स्तर से की गई दो नए पर्यवेक्षकों की नियुक्ति
केदारनाथ विधानसभा सीट पर उपचुनाव से ठीक पहले उत्तराखंड कांग्रेस की गुटबाजी सतह पर आ गई। पार्टी के एक खेमे का कहना है कि प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया के तहत दो दिन पूर्व हाईकमान के स्तर से की गई दो नए पर्यवेक्षकों की नियुक्ति से पहले प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष करन माहरा से राय नहीं ली गई। इससे माहरा नाराज बताए जा रहे हैं।
केदारनाथ उपचुनाव से पहले कांग्रेस हाईकमान की ओर से पर्यवेक्षकों के नाम मांगे गए थे। प्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर से युवा विधायक और उपनेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी और वीरेंद्र जाती का नाम भेज दिया गया था। जिन्हें हाईकमान की मंजूरी के बाद विधिवत घोषणा भी कर दी गई थी। लेकिन, अचानक दो दिन बाद दो अन्य पर्यवेक्षकों के नाम सामने आ गए। इनमें पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल को बतौर मुख्य पर्यवेक्षक और विधायक लखपत बुटोला को पर्यवेक्षक के तौर पर शामिल कर लिया गया।
पूर्व में घोषित दो नामों को भी यथावत रखा गया। जिस वक्त दो नए पर्यवेक्षकों की घोषणा की गई, उस वक्त प्रदेश अध्यक्ष माहरा गुंजी (धारचूला) के दौरे पर थे। बताया जा रहा है कि इस मुद्दे पर मंगलवार देर रात माहरा ने प्रदेश प्रभारी कुमारी सैलजा और सह प्रभारी सुरेंद्र शर्मा से बात की।
पार्टी सूत्रों के अनुसार, इस मामले में भीतरखाने डैमेज कंट्रोल भी शुरू हो गया है। हाईकमान तक ये संदेश पहुंच चुका है कि ऐन चुनाव से पहले पार्टी के बड़े नेताओं के बीच इस तरह की तल्खी पार्टी को नुकसान पहुंचा सकती है। हाल में हरियाणा चुनाव में पार्टी के भीतर उपजी गुटबाजी के परिणाम सबके सामने हैं। इस गुटबाजी में वहां भी मुख्य किरदार में उत्तराखंड प्रदेश प्रभारी का ही नाम सामने आ रहा है।
प्रभारी सैलजा पूर्व में निरस्त कर चुकीं कई नियुक्तियां
माहरा और सैलजा के बीच संबंध शुरू से ही बेहतर नजर नहीं बताए जा रहे थे। इससे पूर्व माहरा की ओर से जिलों और ब्लाक स्तर पर कुछ नियुक्तियां की गईं थीं, जिन्हें प्रभारी ने बिना पीसीसी से चर्चा किए एकतरफा हटा दिया। इसे लेकर भी माहरा खफा बताए जा रहे थे।
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