*प्रदेशभर में दवा दुकानों और फैक्ट्रियों की होगी कड़ी जांच, दवाओं की गुणवत्ता से नहीं किया जायेगा कोई समझौता- ताजबर सिंह*
*जनता को केवल प्रमाणिक, सुरक्षित और प्रभावी औषधियाँ ही उपलब्ध कराई जा रही हैं- ताजबर सिंह*
*अंतरराज्यीय नेटवर्क्स पर करारी चोट, 83 संयुक्त छापेमारी अभियान, 53 केस, 89 गिरफ्तारियां- ताजबर सिंह*
राज्यभर में औषधि निर्माण और विक्रय प्रतिष्ठानों का सघन निरीक्षण अभियान चलाया जाएगा। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन के आयुक्त डॉ आर राजेश के निर्देशों के बाद अपर आयुक्त ताजबर सिंह जग्गी ने सभी वरिष्ठ औषधि निरीक्षकों को अपने अधीनस्थ निरीक्षकों के साथ मिलकर कार्रवाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन के अपर आयुक्त एवं औषधि नियंत्रक ताजबर सिंह जग्गी बताया कि अभियान के तहत दवा दुकानों, गोदामों और फैक्ट्रियों से औषधियों के नमूने एकत्र किए जाएंगे, जिन्हें राजकीय विश्लेषक को जांच के लिए भेजा जाएगा। राजकीय विश्लेषक से प्राप्त जांच रिपोर्ट के आधार पर यदि किसी दवा को अधोमानक पाया जाता है, तो संबंधित प्रतिष्ठान के खिलाफ त्वरित जांच और जरूरत पड़ने पर अभियोजन की प्रक्रिया भी की जाएगी। इसके लिए औषधि नियंत्रक से अनुमोदन प्राप्त करना अनिवार्य होगा।
उन्होंने कहा यह कदम राज्य सरकार की उस प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जिसमें जन स्वास्थ्य के साथ किसी भी प्रकार का समझौता स्वीकार नहीं किया जाएगा। उनका कहना है कि दवा व्यापार में गुणवत्ता और पारदर्शिता सुनिश्चित करना अब सर्वोच्च प्राथमिकता है। ताजबर सिंह जग्गी ने स्पष्ट कहा कि हम औषधियों की गुणवत्ता के मामले में न तो कोई कोताही बरत रहे हैं, और न ही कोई समझौता किया जाएगा। राज्यभर में दवा निर्माण इकाइयों की नियमित निगरानी और दोषपूर्ण उत्पादों पर तत्काल कार्रवाई की जा रही है।
*संयुक्त छापेमारी अभियान चलाया*
औषधि नियंत्रक ताजबर सिंह जग्गी ने बताया कि कुछ मामलों में यह भी पाया गया है कि अन्य राज्यों में कुछ असामाजिक तत्व उत्तराखण्ड की फार्मा कंपनियों के नाम का अवैध रूप से इस्तेमाल करते हुए नकली औषधियों का निर्माण कर रहे हैं। ताजबर सिंह जग्गी ने बताया कि विभाग ने इस तरह के मामलों पर त्वरित कार्रवाई करते हुए भारत सरकार के महाऔषधि नियंत्रक (CDSCO) तथा तेलंगाना, महाराष्ट्र, हरियाणा, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के औषधि नियंत्रकों के साथ मिलकर संयुक्त छापेमारी अभियान चलाया है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड औषधि विभाग केवल राज्य की सीमाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर समन्वय बनाकर काम कर रहा है ताकि दवा व्यापार में किसी भी तरह की गैरकानूनी गतिविधि को रोका जा सके। औषधि नियंत्रक ताजबर सिंह जग्गी ने बताया कि उत्तराखण्ड के नाम पर यदि कोई भी अन्य राज्य में अवैध निर्माण कर रहा है, तो हम चुप नहीं बैठेंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि विभाग पारदर्शिता और जवाबदेही के सिद्धांतों पर काम कर रहा है और जनस्वास्थ्य से जुड़े हर विषय पर अत्यंत संवेदनशील है। औषधि विभाग अपनी जिम्मेदारी को गंभीरता से निभा रहा है। राज्यभर में हमारी टीम लगातार काम कर रही है नियमित निरीक्षण, नमूना परीक्षण और आवश्यकता अनुसार कार्रवाई करना हमारी प्राथमिकता है। राज्य औषधि विभाग का यह रुख न केवल औद्योगिक पारदर्शिता बनाए रखने में सहायक है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि उत्तराखण्ड की फार्मा इकाइयों की प्रतिष्ठा, गुणवत्ता और निष्ठा किसी प्रकार के अवैध लेबलिंग से प्रभावित न हो।
*53 केस, 89 गिरफ्तारियां*
औषधि नियंत्रक ताजबर सिंह जग्गी ने बताया कि 2023 से 2025 तक की कार्रवाई के ठोस आँकड़े इस बात का स्पष्ट प्रमाण हैं कि उत्तराखण्ड औषधि विभाग नकली और अधोमानक दवाओं के खिलाफ पूरी तरह सतर्क और सक्रिय है। इस अवधि में विभाग द्वारा 53 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें कुल 89 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया, जिनमें कई अंतरराज्यीय गिरोहों के सदस्य भी शामिल थे। औषधि विभाग ने 83 से अधिक संयुक्त छापेमारी एवं निरीक्षण अभियानों को अंजाम दिया, जिसके चलते 33 निर्माण इकाइयों को ‘उत्पादन बंद करने’ (Stop Production Orders) के आदेश जारी किए गए। इसके अतिरिक्त NDPS एक्ट और नकली दवा से जुड़े मामलों में 65 से अधिक व्यक्तियों की पहचान कर उनके विरुद्ध कार्रवाई की गई है। यह आंकड़े न केवल विभाग की सख्ती को दर्शाते हैं, बल्कि जनस्वास्थ्य को लेकर उसकी प्रतिबद्धता का भी सशक्त प्रमाण हैं।
*अंतरराज्यीय नेटवर्क्स पर करारी चोट*
औषधि नियंत्रक ताजबर सिंह जग्गी ने बताया कि वर्ष 2017 से 2025 के बीच उत्तराखण्ड औषधि विभाग ने कई निर्णायक कार्रवाइयों को अंजाम दिया है, जो राज्य की फार्मा इंडस्ट्री को सुरक्षित और पारदर्शी बनाए रखने की दिशा में मील का पत्थर हैं। विभाग ने रड़की, हरिद्वार, देहरादून और ऊधमसिंह नगर जैसे औद्योगिक क्षेत्रों में विशेष अभियानों के माध्यम से कई संगठित गिरोहों पर कड़ी कार्रवाई की है। इन अभियानों के दौरान न केवल नकली और नशीली दवाओं का भंडारण और वितरण उजागर हुआ, बल्कि NDPS एक्ट के अंतर्गत दर्जनों आरोपियों को गिरफ्तार भी किया गया। यही नहीं, उत्तराखण्ड औषधि विभाग ने CDSCO तथा तेलंगाना, महाराष्ट्र, हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के औषधि नियंत्रकों के साथ मिलकर अंतरराज्यीय नेटवर्क्स पर करारी चोट की है। जांच के दौरान 10 से अधिक गैरकानूनी निर्माण इकाइयों पर कार्रवाई की है, जो उत्तराखण्ड की वैध फार्मा कंपनियों के नाम का दुरुपयोग कर अवैध दवाओं का निर्माण कर रही थीं। यह कार्रवाई न केवल राज्य की प्रतिष्ठा की रक्षा के लिए आवश्यक थी, बल्कि देशभर में नकली दवाओं के नेटवर्क को तोड़ने की दिशा में एक निर्णायक कदम भी साबित हुई है।
*100% सैंपलिंग, कोई समझौता नहीं*
औषधि नियंत्रक ताजबर सिंह जग्गी ने बताया कि “रिस्क-बेस्ड इंस्पेक्शन” नीति के तहत निर्माण इकाइयों से 100% नमूने लिए जा रहे हैं और वैज्ञानिक लैब में परीक्षण किया जा रहा है ताकि एक भी अधोमानक दवा बाजार में न पहुंचे। हमारी नीति स्पष्ट और कठोर है उत्तराखण्ड में नकली दवाओं के लिए कोई जगह नहीं। जनस्वास्थ्य हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है, और हर आरोप, हर गतिविधि का उत्तर कार्रवाई से दिया जा रहा है।
*भविष्य की रणनीति*
उत्तराखण्ड औषधि विभाग भविष्य को ध्यान में रखते हुए एक व्यापक रणनीति पर काम कर रहा है, जिसका उद्देश्य न केवल नकली और अधोमानक दवाओं पर रोक लगाना है, बल्कि समूचे औषधि आपूर्ति तंत्र को पारदर्शी, सुरक्षित और जिम्मेदार बनाना भी है। विभाग डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम के माध्यम से दवाओं की निगरानी को स्रोत से लेकर अंतिम बिक्री बिंदु तक डिजिटली ट्रैक करने की योजना पर कार्य कर रहा है, जिससे दवा की हर खेप पर नजर रखी जा सके। साथ ही जनजागरूकता अभियान के ज़रिए आम जनता को नकली औषधियों की पहचान करने और संदिग्ध मामलों की रिपोर्ट करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। स्वास्थ्य कर्मियों और विक्रेताओं को प्रशिक्षण देकर उन्हें फील्ड स्तर पर नकली और अधोमानक औषधियों की पहचान करने में दक्ष बनाया जा रहा है, ताकि किसी भी स्तर पर लापरवाही की गुंजाइश न रहे। विभाग की यह भी रणनीति है कि सामाजिक सहभागिता को बढ़ावा दिया जाए—इसके तहत स्थानीय निकायों, नागरिकों और मीडिया की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है, ताकि नकली दवाओं के खिलाफ यह अभियान एक साझा जनआंदोलन का रूप ले सके।
*सतर्कता व प्रतिबद्धता के साथ कार्रवाई*
औषधि नियंत्रक ताजबर सिंह जग्गी ने बताया कि कम स्टाफ और सीमित संसाधनों के बावजूद, विभाग ने राज्य के सभी ज़िलों में थोक विक्रेताओं, मेडिकल स्टोर्स और निर्माण इकाइयों पर निगरानी बढ़ाई है। अपर आयुक्त खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग एवं औषधि नियंत्रक ताजबर सिंह जग्गी ने स्पष्ट किया कि राज्य औषधि विभाग आम नागरिकों को आश्वस्त करता है कि स्वास्थ्य सुरक्षा से जुड़े हर पहलू की गहन निगरानी की जा रही है। विभाग कर्तव्यपरायणता, पारदर्शिता और जनहित के साथ कार्य कर रहा है और भविष्य में भी इस दिशा में कोई समझौता नहीं किया जाएगा। उत्तराखण्ड की जनता को केवल प्रमाणिक, सुरक्षित और प्रभावी औषधियाँ ही उपलब्ध कराई जाएंगी।

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