जब सरकारों के पास जनता को बताने के लिए कुछ नहीं होता है, तब वो पुराने कभी ब्रिटिश कालीन,कभी मुगलकालीन को बदलने का एक प्रपंच रचते हैं और अपनी विफलताओं से जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश करते हैं। यह कहानी उत्तराखंड में भी शायद दोहराई जा रही है। लैंसडाउन एक विश्व प्रसिद्ध नाम है। आप उस नाम को तो बदल रहे हैं लेकिन अंग्रेजों का जो कानून जिससे वहां की जो नागरिक आबादी है लैंसडाउन की, घुट रही है उसको नहीं बदलेंगे। उसी तरीके से हमारे देहरादून के अंदर कुछ कैंट एरियाज हैं, मसूरी में हैं, नामों में क्या रखा है? और यदि कुछ नाम अंग्रेजों ने रखे हैं, लेकिन वह विश्व प्रसिद्ध नाम हैं, मसूरी विश्व प्रसिद्ध नाम है, आप उनको बदलेंगे? लैंसडाउन व रानीखेत विश्व प्रसिद्ध नाम हैं, नैनीताल जिसको छोटा लंदन कहा जाता था तो क्या आप उसका नाम बदलेंगे, क्योंकि उसके साथ अंग्रेजों की पहचान लगी हुई है! तो यह जो भारतीय जनता पार्टी का नाम बदलने का जुमला है, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को इस जुमले में फंसने के बजाय राज्य के लोगों के भाग्य बदलने के काम में लगना चाहिए और कुछ जमीन पर दिखाना चाहिए जिससे लोग कह सकें, हाँ हमारी सरकार है।

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