मुझ पर एक बहुत संगीन आरोप लगाया जा रहा है कि मैं, कांग्रेस के लोगों का मनोबल तोड़ रहा हूं। मेरे एक #न्यूज_चैनल को दिए गए बयान को लेकर यह सब कुछ कहा जा रहा है। बिना मेरे बयान को देखे, बिना सुने, बिना पढ़े, इस तरीके की टिप्पणी बहुत दर्दनाक है। लोगों की सोच पर मुझे दो लाइनें याद आ रही हैं,
“सारी दुनिया वाकिफ है मेरी एह दे वफा से,
एक तेरे कहने से क्या मैं बेवफा हो जाऊंगा”!!
मैंने, #कार्यकर्ताओं का मनोबल तब नहीं टूटने दिया जब विधानसभा के चुनाव से पहले एक क्षेत्र में हुए उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी को हराने के लिए लोग मीडिया में भी दहाड़े थे और हर संभव उपाय किए थे ताकि कांग्रेस का उम्मीदवार हार जाए। मैंने कार्यकर्ताओं का मनोबल उस समय भी नहीं गिरने दिया, जब ठीक चुनाव के बीच में मुझे मालूम पड़ा कि हम पार्टी के उम्मीदवारों को दूसरी बार मदद पहुंचाने की स्थिति में नहीं है, मैंने कार्यकर्ताओं का मनोबल उस समय भी नहीं टूटने दिया और अपने को चुनाव में झौंक दिया। जब मुझे मालूम हो गया था कि मुझे
षडयंत्रपूर्वक तरीके से #लालकुआं में चुनाव लड़ने के लिए भेजा गया है। कांग्रेस पार्टी से बागी होकर के बने उम्मीदवार को जब लोग बार-बार बकअप कर रहे थे और वैकप कर रहे थे, पार्टी के कार्यकर्ताओं का मनोबल न गिरे इसलिए इस जहर को भी पिया और संघर्ष में जूझता रहा। कांग्रेस कार्यकर्ता, हरीश रावत और उसके संघर्ष की प्रवृत्ति को अच्छी तरीके से जानते हैं। वह यह जानते हैं कि इस उम्र में उपचुनावों में रात दिन 3-3, 4-4 किलोमीटर की चढ़ाई चढ़कर क्यों लोगों तक हरीश रावत पहुंच रहा है। मैंने जो बयान दिया है उस बयान के माध्यम से मैंने पार्टी के लोगों का आवाह्न किया है कि आप राष्ट्रीय नरेटिव के साथ स्थानीय नरेटिव भी खड़ा करिए ताकि हम जनता से जुड़े हुए सवालों पर #भाजपा के “बटोगे तो कटोगे” जैसे विभाजनकारी नारों का या नरेटिव का सफलतापूर्वक काट कर सकें। मेरा अनुभव और समझ, दोनों बूढ़ी हैं। यदि किसी के पास #उत्तराखण्डियत से बेहतर सुझाव या नरेटिव है, मैं उसका भी स्वागत करूंगा।
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