कब सुधरेंगे हालात…जर्जर सड़क पर हुई देर, गर्भवती ने 108 में नवजात को दिया जन्म
परिजनों ने गांव से ही एक टैक्सी किया और आशा कार्यकर्ता उर्मिला देवी के साथ ऋषिकेश सरकारी अस्पताल के लिए निकल गए। गांव से ऋषिकेश करीब 40 किमी दूर है। गांव से 10 किमी आगे नैल गांव के समीप 108 एंबुलेंस भी पहुंच चुकी थी।
विकासखंड के पिलखेड़ी गांव की महिला मालती देवी ने अस्पताल जाते वक्त 108 में बच्चे को जन्म दिया। शनिवार की शाम को करीब छह बजे मालती देवी को अचानक प्रसव पीड़ा शुरू हुआ। परिजनों ने फोन किया तो 108 एंबुलेंस कर्मियों ने खराब सड़क का हवाला देते हुए एक घंटे का समय लगने की बात कही।
ऐसे में परिजनों ने गांव से ही एक टैक्सी किया और आशा कार्यकर्ता उर्मिला देवी के साथ ऋषिकेश सरकारी अस्पताल के लिए निकल गए। गांव से ऋषिकेश करीब 40 किमी दूर है। गांव से 10 किमी आगे नैल गांव के समीप 108 एंबुलेंस भी पहुंच चुकी थी। यहां गर्भवती मालती को टैक्सी से एंबुलेंस में शिफ्ट किया गया।
108 में सवार होने के कुछ देर बाद ही लगभग आठ बजे मालती ने मोहनचट्टी के समीप स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया। मोहनचट्टी से ऋषिकेश करीब 20 किमी दूर है। 108 में तैनात चालक सुनील नेगी एवं टेक्नीशियन अमन भट्ट ने बताया कि जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ हैं।
सड़कों की स्थिति जर्जर अवस्था में
विकास खंड में सड़कों की जर्जर स्थिति स्थानीय निवासियों पर भारी पड़ रही है। स्थिति यह है कि जर्जर सड़कों पर आने से 108 सेवा इंकार कर देती है। जिससे कई बार गर्भवती को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है।
वर्ष 2008 में बनी थी सड़क
करीब 70 किमी लंबे बिजनी-कपोल काटल-नैल बनचूरी-नाली खाल मोटर मार्ग का निर्माण वर्ष 2008 में हुआ था। लेकिन शुरुआत के करीब 16 किमी दायरे में सड़क का डामरीकरण नहीं किया गया है। स्थानीय निवासी अजय सिंह रावत ने कहा कि उन्होंने लोनिवि को सड़क की मरम्मत के लिए पिछले वर्ष भी पत्र लिखा था। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। सड़क की जर्जर स्थिति ग्रामीणों के लिए जानलेवा बनी हुई है। सड़क से करीब दो दर्जन गांव जुड़े हुए हैं। यह मार्ग क्षेत्र को कोटद्वार से भी जोड़ता है।
कच्ची सड़क पर नहीं जाती 108
नियमानुसार 108 सेवा का संचालन कच्ची सड़क पर नहीं होता है। फिर भी जहां तक संभव हो सके 108 सेवा का वाहन पहुंचता है। 108 सेवा से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि 108 में कई जीवन रक्षक उपकरण होते हैं। कच्ची सड़कों पर चलने से गिरने व टूटने का भय रहता है।
परिजन गर्भवती की शुरू से ही ऋषिकेश स्थित राजकीय उप जिला अस्पताल में जांच करवा रहे थे। 108 में जन्मा बच्चा एवं माता दोनों स्वस्थ हैं।
– डॉ. राजीव कुमार, प्रभारी चिकित्साधिकारी यमकेश्वर
– 108 एंबुलेंस का संचालन कच्ची सड़कों पर होता तो है लेकिन सड़क अधिक खराब होने की दशा में और मशीनरी एवं औषधियों की सुरक्षा को देखते हुए संचालन नहीं होता है।
– शुभम चौहान जिला कार्यक्रम अधिकारी पौड़ी 108
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