UTTRAKHAND NEWS

Big breaking :-हद हैं पुरे शहर मे विज्ञापन के लिए क्या जगह नहीं मिली जो देहरादून के दिल घंटाघर क़ो भी विज्ञापन साइट बना डाला

NewsHeight-App

 

पुरे देहरादून क़ो विज्ञापन साइट बना रखा हैं चलिए उससे हमें कोई परेशानी नहीं लेकिन अब देहरादून के दिल यानि घंटाघर क़ो भी विज्ञापन साइट बना डाला

जी हाँ सोशल मीडिया पर राजधानी देहरादून का घंटाघर खूब ट्रेंड कर रहा है सोशल मीडिया यूजर्स घंटाघर की तस्वीर लगा कर इसे ढकने का विरोध कर रहे हैं।

जन जागरूकता अभियान के तहत घर से अपना खुद का बैग लेकर चलें इस जन जागरूकता विज्ञापन पर लिखा गया है जिसमें एक रेडियो और ओएनजीसी और कुछ अन्य संस्थाओं के नाम लिखे गए हैं सोशल मीडिया पर यूजर्स कह रहे हैं कि राजधानी देहरादून का घंटाघर उत्तराखंड की शान है इसे ऐसे नहीं ढकना चाहिएतो कोई जिसने यह आइडिया इजाद किया है उसे अपनी भाषा में व्यंग्यात्मक टिप्पणी कर रहे हैं ।

कुल मिलाकर देहरादून नगर निगम और मेयर सुनील उनियाल गामा को लोग सोशल मीडिया पर इसे हटाने की अपील कर रहे हैं।

 

देहरादून के प्रसिद्ध घंटाघर का इतिहास संक्षिप्त में

 

लाला बलबीर न्यायाधीश व इस शहर के जाने माने रईस थे. 22 सितम्बर 1936 को रईस बलबीर की मृत्यु हो गई. मनभरी देवी उनकी पत्नि और आनंद सिंह उनके लड़के हुए. आनंद सिंह ने अपने रईस व न्यायाधीश पिता बलबीर सिंह की समृति में ’’बलबीर क्लाक टावर’’ निर्माण का प्रस्ताव सीटी बोर्ड को दिया. उस समय आनंद स्वरूप गर्ग सीटी बोर्ड के अघ्यक्ष थे. इस शहर में और भी रईस थे. प्रतिष्ठा की आपसी प्रतिद्वदिंता के चलते शहर के दूसरे रईसों को यह बात रास नही आई कि किसी दूसरे रईस की स्मृति में इस शहर के क्लाक टावर का निर्माण हो. इस कारण से इसके निर्माण में भूमि के स्वमित्व , ठेकेदार की कोटेशन तांगा चालकों का विवाद आदि को लेकर निर्माण रोकने के तरह की रूकावटें खड़ी करने की कोशिशें की.
तत्कालीन जिलाधिकारी व सुपरिन्टेंडेन्ट आफ दून तटस्थ रहे. सीटी बोर्ड अध्यक्ष आनंद स्वरूप गर्ग नगर की सुन्दरता के लिये इस निर्माण के पक्षधर थे. उन्होंने तमाम पेंचीदगियां सुलझाते हुये आनन्द सिंह को यह युक्ति भी सुझाई कि वे इस घंटाघर के निर्माण के शिलान्यास के लिये यूपी की तत्कालीन गवर्नर सरोजनी नायडू को तैयार करें तो सारी अड़चनें स्वतः ही समाप्त हो जायेंगी. सरोजनी नायडू से शिलान्यास करवाने में आनंद सिंह सफल हुये.

इस तरह 24 जुलाई सन् 1948 को गर्वनर सरोजनी नायडू ने ’’बलबीर क्लाक टावर’’ का शिलान्यास किया. इसके ठेकेदार ईश्वरी प्रसाद चौधरी नत्थूलाल व नरेन्द्र देव सिंघल और वास्तुकार हरिराम मित्तल व रामलाल थे. पहले इसका डिजाइन चौकोर था जो बाद में षट्कोणीय करा गया जिसके लिये पूर्व में स्वीकृत बजट में मात्र 900 रूपये की बढ़ोत्तरी की गई.
उस समय अस्सी फीट ऊँचे इस पूरे देश में अनूठे किस्म का घंटाघर बना जिसका नाम ’’बलबीर क्लाक टावर’’ रखा गया. यह षट्कोणीय है जिसमें प्रवेश के लिये 6 दरवाजे हैं ऊपर जाने के लिये गोल घुमावदार सीढी है. छह कोनों में छह घड़ियां लगी जो उस समय स्वीटजरजलेंड से भारी-भरकम मशीनों के साथ लायी गई थी.

इसके निर्माण के लिये मनभरी और उनके परिवार ने पच्चीस हजार रूपये दान में दिये गये. इस आशय का पत्थर वहां आज भी लगा हुआ है. 23 अक्तूबर 1953 की शाम के पौने पांच बजे तत्कालीन रेल यातायात मंत्री भारत सरकार लाल बहादुर शास्त्री के कर कमलों द्वारा किया गया, उसी दिन इसे नगर पालिका को सौंप दिया गया. उस समय श्री केशव चंद नगर पालिका के अघ्यक्ष थे. इसी समय वहां घंटाघर की सामने प्रकाश टाकीज भी बना जो बाद में दिग्विजय हुआ

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

न्यूज़ हाइट (News Height) उत्तराखण्ड का तेज़ी से उभरता न्यूज़ पोर्टल है। यदि आप अपना कोई लेख या कविता हमरे साथ साझा करना चाहते हैं तो आप हमें हमारे WhatsApp ग्रुप पर या Email के माध्यम से भेजकर साझा कर सकते हैं!

Click to join our WhatsApp Group

Email: [email protected]

Author

Author: Swati Panwar
Website: newsheight.com
Email: [email protected]
Call: +91 9837825765

To Top