91 फ्लैट खरीदारों का क्या होगा? बुकिंग में दिए थे 10 करोड़, Dehradun के नामी बिल्डर की मौत के बाद अधर में लटकता दिख रहा प्रोजेक्ट
सतेंद्र साहनी ने सहस्रधारा रोड और राजपुर रोड पर दो बड़े आवासीय प्रोजेक्ट 60 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ संबंधित भूमि के मालिकों के साथ शुरू किया था। लेकिन बात तब बिगड़ गई जब सतेंद्र साहनी ने साइलेंट पार्टनर के रूप में गुप्ता बंधु को एंट्री दे दी।
गुप्ता बंधु के दक्षिण अफ्रीका के भ्रष्टाचार के इतिहास को नजरंदाज कर दिलाई गई साइलेंट पार्टनरशिप के बाद भी दोनों परियोजनाओं में…शहर के नामी बिल्डर सतेंद्र साहनी की आत्महत्या के बाद वह प्रोजेक्ट अधर में लटकते दिख रहे हैं, जिन्हें साहनी ने ज्वाइंट डेवलपमेंट एग्रीमेंट के तहत पूरा कराने का जतन शुरू किया था। सतेंद्र साहनी ने अपने सुसाइड नोट में जिस पब्लिक मनी की चिंता जताई थी, वह वही पैसा है, जो फ्लैट बुकिंग के नाम पर विभिन्न व्यक्तियों से लिया गया था।रेरा में दर्ज कराए गए विवरण के मुताबिक, साहनी के एक प्रोजेक्ट में 91 फ्लैट की बुकिंग की जा चुकी थी। जिसमें करीब 10 करोड़ रुपए खरीदारों से लिए गए थे। हालांकि, अभी साहनी के दूसरे प्रोजेक्ट का विवरण उपलब्ध नहीं हो सका है। फिर भी उस प्रोजेक्ट में भी वही स्थिति उत्पन्न होने से इनकार नहीं किया जा सकता।सतेंद्र साहनी ने साइलेंट पार्टनर के रूप में दी थी गुप्ता बंधु को एंट्री
सतेंद्र साहनी ने सहस्रधारा रोड और राजपुर रोड पर दो बड़े आवासीय प्रोजेक्ट 60 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ संबंधित भूमि के मालिकों के साथ शुरू किया था। लेकिन, बात तब बिगड़ गई जब सतेंद्र साहनी ने साइलेंट पार्टनर के रूप में गुप्ता बंधु को एंट्री दे दी।
गुप्ता बंधु के दक्षिण अफ्रीका के भ्रष्टाचार के इतिहास को नजरंदाज कर दिलाई गई साइलेंट पार्टनरशिप के बाद भी दोनों परियोजनाओं में अपेक्षित प्रगति नहीं दिख रही थी। साथ ही सहस्रधारा रोड के ईश्वरा नेचर प्लस प्रोजेक्ट के फेज-1 के अलावा फेज दो की तरफ बिना साझा सहमति के कदम बढ़ा दिया गया था।
रियल एस्टेट एक्ट के नियमों का पालन कराए जाने की मांग
इसको लेकर एक प्रमोटर ने कुछ दिन पहले रेरा (रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथारिटी) को पत्र लिखकर चिंता व्यक्त की थी। साथ ही मांग उठाई गई थी कि प्रोजेक्ट में रियल एस्टेट (रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट) एक्ट के नियमों का पालन कराया जाए।
कुछ ऐसी ही चिंता राजपुर रोड के प्रोजेक्ट को लेकर मुंबई के प्रमोटर ने भी जताई थी, लेकिन उनकी ओर से रेरा को पत्र नहीं भेजा जा सका था।
परियोजनाओं में गुप्ता बंधु की एंट्री और हस्तक्षेप से बढ़ी मुश्किलों को लेकर स्वयं सतेंद्र साहनी भी चिंतित थे। अपनी 40 प्रतिशत हिस्सेदारी का 85 प्रतिशत भाग गुप्ता बंधु को सौंप देने के बाद वह कुछ खास करने की स्थिति में भी नहीं थे। अंदर ही अंदर वह घुटे जा रहे थे और उन्होंने भी आशंका जाहिर कर दी थी कि पब्लिक मनी के साथ किसी तरह ही गड़बड़ नहीं होनी चाहिए।दोनों प्रोजेक्ट का भविष्य में क्या होगा?
अब साहनी की मौत के बाद ज्वाइंट डेवलपमेंट एग्रीमेंट भी असंतुलित हो गया है। अभी यह साफ नहीं हो पा रहा है कि दोनों प्रोजेक्ट का भविष्य क्या होगा और वह पैसा कौन लौटाएगा, जो फ्लैट की बुकिंग के लिए लिया जा चुका था। प्रकरण में यह पेचीदगी तब और बढ़ जाएगी, जब खरीदार अपनी रकम वापसी के लिए रेरा में शिकायत दर्ज कराने सामने आने लगेंगे
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