दून में हो रहा था प्रतिबंधित थाई मांगुर मछली का पालन, कराया बंद, 50 हजार रुपये का किया गया चालान
तालाब में बीमारी के कारण मछलियां मर रही थीं और क्षेत्र में दुर्गंध फैल रही थी। इस पर लोगों ने पार्षद रोहन चंदेल से शिकायत की। इसके बाद नगर निगम और मत्स्य विभाग की टीम ने चालान की कार्रवाई की।
शहर में तालाब बनाकर किए जा रहे प्रतिबंधित थाई मांगुर मछली के पालन को नगर निगम और मत्स्य पालन विभाग ने बंद करा दिया। इससे पहले बुधवार को टीम ने मछलियां मरने की शिकायत पर कार्रवाई करते हुए 50 हजार रुपये का चालान किया था।
पिछले कई दिनों से चंदरनगर स्थित इस तालाब में बीमारी के कारण मछलियां मर रही थीं और क्षेत्र में दुर्गंध फैल रही थी। इस पर लोगों ने पार्षद रोहन चंदेल से शिकायत की। इसके बाद नगर निगम और मत्स्य विभाग की टीम ने चालान की कार्रवाई की। बृहस्पतिवार को मेयर सौरभ थपलियाल मौके पर पहुंचे और प्रतिबंधित मछली का पालन बंद कराया। तालाब में जेसीबी से मिट्टी भर दी गई। ताकि, यहां दोबारा मछली पालन न हो सके। इस दौरान तालाब में करीब छह हजार मछलियां थीं
पार्षद रोहन चंदेल के अनुसार पिछले करीब 14 साल से एक व्यक्ति निजी तालाब बनाकर मछली पालन कर रहा था। करीब दो साल पूर्व भी तालाब को बंद कराया गया था, लेकिन फिर गुपचुप तरीके से मछली पालन शुरू हो गया। इस दौरान मत्स्य पालन विभाग के निरीक्षक फैसल अहमद, सहायक नगर आयुक्त राजवीर सिंह चौहान, मुख्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अविनाश खन्ना, पार्षद अमिता सिंह आदि मौजूद रहे।
कैंसर जैसी बीमारी का रहता है खतरा
इस मछली को थाईलैंड में कुछ छात्रों ने शोध के लिए जेनेटिक रूप से बनाया था। यह पूरी तरह बिहार की देसी मांगुर की तरह दिखती है। यह देसी मांगुर के मुकाबले ज्यादा तेजी से विकसित होने के साथ ही बड़ी भी होती है। इसके पालन में मुनाफा ज्यादा होता है, लेकिन इसे खाने से कैंसर जैसी बीमारी का खतरा रहता है। इसके अलावा पारिस्थितिकी तंत्र को भी अधिक नुकसान होता है। इसकी के मद्देनजर भारत में एनजीटी की ओर से इस मछली का पालन प्रतिबंधित किया गया है
मामला बेहद गंभीर था। चालान के अलावा मछली पालन पूरी तरह से बंद कराना जरूरी था। इसी के चलते मत्स्य पालन विभाग के साथ मौके पर जाकर तालाब को मिट्टी से भर दिया गया। – सौरभ थपलियाल, मेयर

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