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Big breaking :-गांवों में घर-घर जाकर बुजुर्गों का हाल-चाल जानेगी उत्तराखंड पुलिस, धामी सरकार ने जिलाधिकारियों को क्यों दिए निर्देश

गांवों में घर-घर जाकर बुजुर्गों का हाल-चाल जानेगी उत्तराखंड पुलिस, धामी सरकार ने जिलाधिकारियों को क्यों दिए निर्देश
देहरादून में सरकार ने बुजुर्ग नागरिकों को सरकारी योजनाओं का लाभ सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए हैं। जिलाधिकारियों को बुजुर्गों की पहचान कर उनकी देखभाल करने के निर्देश दिए गए हैं। पुलिस घर-घर जाकर उनका हाल-चाल लेगी। सरकार वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है और उन्हें योजनाओं का लाभ पहुंचाने के लिए प्रयासरत है। नियमों का उल्लंघन करने पर जुर्माना या जेल का प्रावधान है।

प्रदेश के सुदूरवर्ती और दुर्गम क्षेत्रों में रहने वाले वरिष्ठ नागरिकों को अब सरकारी योजनाओं का लाभ मिलने में परेशानी नहीं होगी।

सरकार ने सभी जिलाधिकारियों को इन क्षेत्रों में रह रहे बुजुर्गों को चिह्नित करते हुए उनकी विशेष देखरेख सुनिश्चित करने को निर्देशित किया गया है।

अपर सचिव प्रकाश चंद ने इस संबंध में आदेश जारी किए हैं। यही नहीं, पुलिस गांवों में घर-घर जाकर बुजुर्गों का हाल-चाल भी जानेगी।

सुदूरवर्ती गांव भी पलायन का दंश झेल रहे हैं। वहां के युवा रोजगार के लिए मैदानी जिलों की ओर रुख कर रहे हैं। गांवों में रहने वालों में बुजुर्गाें की संख्या अधिक है। विषम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते उन्हें इलाज, दवा या अन्य आवश्यकताओं के लिए खासी मशक्क्त करनी पड़ती है।

 

सरकार ऐसे एकाकी और बजुर्गों के कल्याण के लिए लगातार योजनाएं चला रही है। उन्हें इनका लाभ मिलना सुनिश्चित हो, इसके लिए अब पुख्ता व्यवस्था बनाई जा रही है। अपर सचिव समाज कल्याण प्रकाश चंद ने इस संबंध में आदेश जारी किए हैं।

 

इसमें कहा गया है कि राज्य में माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिकों के लिए भरण-पोषण अधिनियम, 2007 व उत्तराखंड माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण तथा कल्याण नियमावली, 2011 प्रभावी है।

इसमें बुजुर्गों को सभी योजना का लाभ देने की व्यवस्था की गई है। ऐसे में प्रदेश के वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण व भरण-पोषण के लिए लागू योजना का जिलेवार व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए।

साथ ही अधिकारियों को समाज कल्याण विभाग की वृद्धजन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ वृद्धजनों को ससमय व सुगम रूप से उपलब्ध कराने को कहा गया है।

अपर सचिव के अनुसार, नियमावली में प्रविधान है कि यदि बच्चे या उत्तराधिकारी माता-पिता की उपेक्षा करते हैं तो दोषी पाए जाने पर 5000 रुपये का जुर्माना या तीन महीने की जेल अथवा दोनों हो सकते हैं।

सरकार ने सभी पुलिस थानों को निर्देशित किया है कि वे अपने क्षेत्र में निवास करने वाले वरिष्ठ नागरिकों की सूची तैयार करें और हर माह उनके घर जाकर उनका हाल चाल जाने। आवश्यकता पड़ने पर त्वरित सहायता भी उपलब्ध कराई जाए।

उधर, संयुक्त नागरिक संगठन के कार्यकारी उपाध्यक्ष गिरीश चंद्र भट्ट और महासचिव सुशील त्यागी ने कुछ दिन पहले मुख्य सचिव आनंद वर्द्धन से मुलाकात कर माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिक भरण-पोषण नियमावली को सख्ती से लागू करने का सुझाव दिया था।

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Author: Swati Panwar
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