विश्वविद्यालय के तीनों परिसरों की शैक्षणिक सत्र 2022-23 की सशर्त मान्यता प्राप्त होने के कारण सम्बद्ध चिकित्साधिकारियों की सम्बद्धता यथावत रखे जाने विषयक।
उपरोक्त विषयक शासन के पत्रांक 2604/XL-1 / 2022-175/2010 T.C.-5 दिनांक 17 दिसम्बर 2022 एवं निदेशक, आयुर्वेदिक एवं यूनानी सेवाये, उत्तराखण्ड के पत्र संख्या 9811-20/जी-125/2022-23/ अघि दिनांक 17 दिसम्बर 2022 एवं पुन शासन के पत्रांक 2659/XL-1/2022-175/2010 T.C.-5 दिनांक 23 दिसम्बर 2022 के क्रम में जो कुलपति / कुलसचिव, उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय एवं सम्बन्धित परिसर निदेशक को पृष्ठांकित है, के क्रम में आपको सादर अवगत कराना है कि वर्तमान में विश्वविद्यालय के परिसरों में सम्बद्ध चिकित्साधिकारियों को भारतीय चिकित्सा पद्धति राष्ट्रीय आयोग (NCISM) नई दिल्ली, के मानको की पूर्ति हेतु शैक्षणिक सत्र 2022-23 में शिक्षक एवं चिकित्साधिकारी पदो के सापेक्ष दर्शाया गया था जिसके फलस्वरूप विश्वविद्यालय के तीनों परिसरों की शैक्षणिक सत्र 2022-23 की सशर्त मान्यता दिनांक 21 दिसम्बर 2022 को प्राप्त हो चुकी है। तथा विश्वविद्यालय में स्नातकोत्तर विभागों में नये विषयों को संचालित करने हेतु Letter of Intent (Lol) प्राप्त हो चुका है। शीघ्र ही नये स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम प्रारम्भ करने हेतु Letter of Permission (LoP) प्राप्त होनी है।
विश्वविद्यालय के तीनों परिसरों (ऋषिकुल एवं गुरुकुल परिसर, हरिद्वार तथा आयुर्वेद संकाय, मुख्य परिसर, देहरादून) की NCISM के अन्तर्गत शैक्षणिक सत्र 2022-23 की सशर्त मान्यता को बनाये रखने के लिए सम्बद्ध चिकित्साधिकारियों की सम्बद्धता यथावत रखे जाने का अनुरोध किया गया था, परन्तु शासन के पत्रांक 2659/XL-1 / 2022-175/2010 T.C.-5 दिनांक 23 दिसम्बर 2022 के क्रम में 19 सम्बद्ध चिकित्साधिकारी बिना कार्यमुक्त हुए विश्वविद्यालय से चले गये है, जिस कारण शैक्षणिक सत्र 2022-23 की भारतीय चिकित्सा पद्धति राष्ट्रीय आयोग (NCISM) नई दिल्ली द्वारा प्रदान की गयी सशर्त मान्यता खतरे में पड़ गयी है साथ ही बीच सत्र में छात्र-छात्राओं का अध्यापन कार्य भी प्रभावित हो रहा है।
जिसके संज्ञानार्थ विश्वविद्यालय ने परिसरों की सशर्त मान्यता को ध्यान में रखते हुए मा० उच्च
न्यायालय में रिट संख्या WPMS No. 3463 of 2022 दायर की गयी जिसमें मा0 उच्च न्यायालय द्वारा दिनांक 12 जनवरी 2023 को सुनवायी की तिथि निर्धारित है।
अत: आपसे अनुरोध हैं कि विश्वविद्यालय छात्रहित एवं जनहित को ध्यान में रखते हुए
चिकित्साधिकारियों की सम्बद्धता विश्वविद्यालय में यथावत रखी जाये।
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