उत्तराखंड: बड़े उद्योगों को देनी ही होगी बिजली की 45 दिन की एडिशनल सिक्योरिटी, आयोग ने तीन याचिकाएं कीं खारिज
नियामक आयोग के अध्यक्ष और सदस्य विधि की पीठ ने कहा कि 15 दिन का बिल जमा न कराने पर 15 दिन कूलिंग पीरियड होता है। इसके बाद 15 दिन का नोटिस दिया जाता है। इसके बाद कनेक्शन कटता है। लिहाजा 30 दिन के बजाय 45 दिन की सिक्योरिटी जमा कराना ही सही नियम है।
प्रदेश के तीन एमवीए (मेगावोल्ट-एम्पीयर) से ऊपर के उद्योगों को 30 नहीं बल्कि 45 दिन की एडिशनल सिक्योरिटी ही यूपीसीएल के पास जमा करानी होगी। इनकी सिक्योरिटी डिपॉजिट के तौर पर बैंक गारंटी भी नहीं चलेगी। उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने इस संबंध में आईं तीन याचिकाओं पर निर्णय सुनाया है।
काशी विश्वनाथ टैक्सटाइल मिल, कुमाऊं गढ़वाल चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री और गलवालिया इस्पात उद्योग ने नियामक आयोग में अलग-अलग याचिकाएं दायर की थीं। उनकी मांग थी कि चूंकि उनकी बिलिंग साइकिल 15 दिन की है, इसलिए सिक्योरिटी डिपॉजिट 30 दिन तक का लिया जाए।
30 दिन के बजाय 45 दिन की सिक्योरिटी जमा कराना ही सही नियम
नियामक आयोग के अध्यक्ष एमएल प्रसाद और सदस्य विधि अनुराग शर्मा की पीठ ने कहा कि 15 दिन का बिल जमा न कराने पर 15 दिन कूलिंग पीरियड होता है। इसके बाद 15 दिन का नोटिस दिया जाता है। इसके बाद कनेक्शन कटता है। लिहाजा 30 दिन के बजाय 45 दिन की सिक्योरिटी जमा कराना ही सही नियम है।
उद्योगों ने ये भी मांग की थी कि उनकी सिक्योरिटी राशि के तौर पर बैंक गारंटी को जमा किया जाए। इस पर नियामक आयोग ने स्पष्ट किया कि नियमावली के हिसाब से बैंक गारंटी का प्रावधान नहीं है। लिहाजा, उनकी यह मांग भी खारिज हो गई।
एडिशनल सिक्योरिटी का समय 45 से घटाकर 30 दिन करने के मामले में कुछ उद्योग प्रतिनिधियों ने अपीलेंटट्रिब्यूनल फॉर इलेक्ट्रिसिटी (एपटेल) का भी दरवाजा खटखटाया था। एपटेल ने अंतिम निर्णय होने तक एडिशनल सिक्योरिटी जमा न करा पाने वाले उद्योगों के कनेक्शन काटने पर रोक लगाई हुई है। अभी अंतिम आदेश आना बाकी है।
नियामक आयोग ने तीन याचिकाएं कीं खारिज, एपटेल से अंतिम निर्णय का इंतजार
प्रदेश के तीन एमवीए (मेगावोल्ट-एम्पीयर) से ऊपर के उद्योगों को 30 नहीं बल्कि 45 दिन की एडिशनल सिक्योरिटी ही यूपीसीएल के पास जमा करानी होगी। इनकी सिक्योरिटी डिपॉजिट के तौर पर बैंक गारंटी भी नहीं चलेगी। उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने इस संबंध में आईं तीन याचिकाओं पर निर्णय सुनाया है।
काशी विश्वनाथ टैक्सटाइल मिल, कुमाऊं गढ़वाल चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री और गलवालिया इस्पात उद्योग ने नियामक आयोग में अलग-अलग याचिकाएं दायर की थीं। उनकी मांग थी कि चूंकि उनकी बिलिंग साइकिल 15 दिन की है, इसलिए सिक्योरिटी डिपॉजिट 30 दिन तक का लिया जाए। नियामक आयोग के अध्यक्ष एमएल प्रसाद और सदस्य विधि अनुराग शर्मा की पीठ ने कहा कि 15 दिन का बिल जमा न कराने पर 15 दिन कूलिंग पीरियड होता है।
इसके बाद 15 दिन का नोटिस दिया जाता है। इसके बाद कनेक्शन कटता है। लिहाजा 30 दिन के बजाय 45 दिन की सिक्योरिटी जमा कराना ही सही नियम है। उद्योगों ने ये भी मांग की थी कि उनकी सिक्योरिटी राशि के तौर पर बैंक गारंटी को जमा किया जाए। इस पर नियामक आयोग ने स्पष्ट किया कि नियमावली के हिसाब से बैंक गारंटी का प्रावधान नहीं है। लिहाजा, उनकी यह मांग भी खारिज हो गई।
एडिशनल सिक्योरिटी का समय 45 से घटाकर 30 दिन करने के मामले में कुछ उद्योग प्रतिनिधियों ने अपीलेंटट्रिब्यूनल फॉर इलेक्ट्रिसिटी (एपटेल) का भी दरवाजा खटखटाया था। एपटेल ने अंतिम निर्णय होने तक एडिशनल सिक्योरिटी जमा न करा पाने वाले उद्योगों के कनेक्शन काटने पर रोक लगाई हुई है। अभी अंतिम आदेश आना बाकी है

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