*उत्तराखण्ड पुलिस एसटीएफ का दमदार एक्शन: 25 साल से फरार सुरेश शर्मा, 2 लाख का इनामी, झारखंड से गिरफ्तार।*
*श्री दीपम सेठ, पुलिस महानिदेशक ने कहा “उत्तराखण्ड पुलिस अपराधियों की धरपकड़ और राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।”*
*श्री दीपम सेठ, पुलिस महानिदेशक, उत्तराखण्ड महोदय* द्वारा उत्तराखण्ड राज्य में *जघन्य अपराधों में लम्बे समय से वांछित इनामी अपराधियों की गिरफ्तारी सुनिश्चित करने हेतु वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, एसटीएफ*, श्री नवनीत सिंह भुल्लर को विशेष दिशा-निर्देश दिए गए। उक्त निर्देश के क्रम में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, एसटीएफ श्री नवनीत सिंह द्वारा पुलिस उपाधीक्षक, एसटीएफ श्री आर0बी0 चमोला के निकट पर्यवेक्षण में एक टीम का गठन कर उपरोक्त लम्बे समय से फरार अपराधी की गिरफ्तारी हेतु उचित दिशा-निर्देश दिये गये।
*उत्तराखंड में संगठित अपराध और कुख्यात अपराधियों की गतिविधियों पर प्रभावी अंकुश लगाने के लिए वर्ष 2005 में स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) का गठन किया गया था। गठन के समय एसटीएफ को दो प्रमुख टास्क दिए गए थे:*
▪️ *अंग्रेज सिंह,* जो पुलिस अभिरक्षा से फरार हो गया था।
▪️ *सुरेश शर्मा*, जिसने बद्रीनाथ में सरेआम डीजीसी बालकृष्ण भट्ट की हत्या कर दी थी।
उत्तराखंड पुलिस ने *वर्ष 2007 में अंग्रेज सिंह को नागपुर में मुठभेड़* में मार गिराया था। हालांकि, सुरेश शर्मा लगातार फरार रहा और उसकी गिरफ्तारी के प्रयास उत्तराखंड एसटीएफ के अलावा उत्तर प्रदेश, दिल्ली और अन्य राज्यों के विशेष पुलिस बलों द्वारा किए जा रहे थे, लेकिन सफलता नहीं मिल पा रही थी।
*23 जनवरी 2025 को मिली बड़ी सफलता*
पकड़े गए ईनामी अपराधी सुरेश शर्मा की गिरफ्तारी के संबंध में *पुलिस महानिरीक्षक अपराध एवं कानून व्यवस्था, पुलिस मुख्यालय श्री नीलेश आनंद भरणे द्वारा जानकारी देते हुए बताया* कि एसटीएफ की टीम ने लंबे समय से फरार सुरेश शर्मा की पहचान स्थापित करने के लिए पूर्व में प्राप्त तकनीकी और भौतिक सूचनाओं का गहन विश्लेषण किया। प्राप्त सूचनाओं के आधार पर *निरीक्षक श्री अबूल कलाम के नेतृत्व में गठित टीम, जिसमें उप निरीक्षक विघादत्त जोशी, उप निरीक्षक नवनीत भंडारी, हेड कांस्टेबल संजय कुमार, कांस्टेबल मोहन असवाल और कांस्टेबल जितेंद्र शामिल थे, ने अभियुक्त सुरेश शर्मा को जमशेदपुर, झारखंड से गिरफ्तार किया।* यह गिरफ्तारी एसटीएफ के अथक प्रयास और बेहतरीन समन्वय का परिणाम है। उन्होंने टीम के प्रयासों की सराहना की और इसे संगठित अपराध पर एक बड़ी सफलता करार दिया।
*घटना का विवरण*
अभियुक्त सुरेश शर्मा पुत्र श्री दयाराम शर्मा मूल निवासी बद्रीश आश्रय, नियर अंकुर गैस एजेंसी, लिसा डिपो रोड, आशुतोष नगर ऋषिकेश का वर्ष 1988 से क्वालिटी नाम से तीर्थनगरी बद्रीनाथ में एक रेस्टोरेन्ट था । वर्ष 1999 में तत्कालीन डीजीसी, क्रिमनल श्री बालकृष्ण भट्ट, जो जनपद चमोली में तैनात थे जिनका सुरेश शर्मा से रेस्टोरेन्ट की भूमि को लेकर विवाद था जो बढ जाने के कारण अभियुक्त ने दिनांक 28.04.1999 को श्री बालकृण भट्ट की दिनदहाडे सरेआम चाकु से गोदकर हत्या कर दी, इस घटना से तीर्थ नगरी बद्रीनाथ दहल उठी अपराधी सुरेश शर्मा घटना में मौके पर गिरफ्तार हुआ परन्तु कुछ समय पश्चात अभियुक्त को जमानत मिल गई, परन्तु जमानत के कुछ दिनो पश्चात ही माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा उक्त अभियुक्त की जमानत खारिज कर दी गई। जिसके उपरान्त गिरफ्तारी से बचने हेतु अभियुक्त सुरेश शर्मा फरार हो गया ।
*ईनामी अपराधी की गिरफ्तारी हेतु की गई कार्यवाही का विवरणः-*
फरार अपराधी सुरेश शर्मा से सम्बन्धित पूर्व में किये गये तकनीकी एवं भौतिक सूचनाओं जैसे अपराधी का फिंगर प्रिन्ट, वाईस सैम्पल व अन्य दस्तावेजो का पुनः बारीकी से विशलेषण किया गया। विशलेषण से प्राप्त नए तथ्यों का डिजीटल एवं भौतिक सत्यापन हेतु टीम को महाराष्ट्र, पश्चिमबंगाल एवं झारखण्ड भेजा गया। टीम द्वारा एक संदिग्ध व्यक्ति को चिन्ह्ति किया गया जिसके पास मनोज जोशी पुत्र रामप्रसाद जोशी निवासी 24 परगना, पश्चिम बंगाल का आधार पहचान पत्र था चुकिः अपराधी का 24 वर्ष पुराना फोटोग्राफ होने के कारण वर्तमान में चेहरे की मिलान करना सम्भव नही हो पा रहा था। अतः टीम द्वारा उक्त संदिग्ध के सम्बन्ध में पतारसी सुरागरसी की गई एवं पूर्व में सुरेश शर्मा के कारागार चमोली से फिंगर प्रिन्ट प्राप्त कर उक्त संदिग्ध के उठने बैठने के सार्वजनिक स्थानों से गोपनीय रूप से प्रिंगर प्रिन्ट प्राप्त कर उनका मिलान किया गया एवं चेहरे के मिलान हेतु भी विभिन्न साफ्टवेयर का प्रयोग किया, टीम द्वारा पहचान को स्थापित हो जाने पर अभियुक्त को दिनांक 23.01.2025 को जमशेदपुर झारखंड से गिरफ्तार कर सम्बन्धित माननीय न्यायालय प्रस्तुत कर ट्रांजिट रिमाण्ड प्राप्त कर उत्तराखण्ड लाया गया।
अभियुक्त सुरेश शर्मा ने पूछताछ में बताया कि उपरोक्त अभियोग में मेरी 40 दिन के बाद जमानत हो गई थी और मैं छूटने के बाद अपने रिश्तेदारों के यहां मुंबई चला गया। कुछ दिन वहां रहने के पश्चात मुझे पता चला कि मेरी जमानत खारिज हो गई और मेरे घर वालों ने मुझे वापस बुलाया किंतु मैं घर वापस न जाकर कोलकाता चला गया। वहां पर मैंने पहले सड़क किनारे ठेली लगाकर खाना बनाने का काम शुरू किया। कुछ समय बाद मैने कपड़े का व्यापार किया तथा लॉकडाउन के बाद से मैं एक मेटल ट्रेडिंग कंपनी का व्यवसाय कर रहा था जो की स्क्रैप का काम करती है। कम्पनी के काम से मै भारतवर्ष के अलग-अलग शहरो में भ्रमण करता रहता हॅू तथा इसी कार्य से जमशेदपुर आया था। जहॅा मैने पहचान छिपाने के लिये मनीश शर्मा नाम रखा तथा उसके पश्चात मनोज जोशी के नाम से अपने दस्तावेज बना लिये। वर्तमान में मेरी एक पत्नी जिसका नाम रोमा जोशी जो पश्चिम बंगाल की रहने वाली है तथा दो पुत्र हैं।
*गिरफ्तारी में सम्मलित पुलिस टीमः-*
1. निरीक्षक श्री अबुल कलाम, एस0टी0एफ0
2. उपनिरीक्षक श्री विघादत्त जोशी, एस0टी0एफ0
3. उ0नि0 नवनीत भण्डारी, जनपद चमोली
4. हे0का0 संजय कुमार, एस0टी0एफ0
5. का0 मोहन असवाल, एस0टी0एफ0
6. का0 जितेन्द्र कुमार, एस0टी0एफ0
*मैनुवल एवं तकनीकी सहयोगी टीमः-*
1. उ0नि0 यादवेन्द्र बाजवा, एस0टी0एफ0
2. अ.उ.नि. संजय मेहरोत्रा, एस.टी.एफ.
3. स्व0 हे0का0 श्री वेद प्रकाश भट्ट (पूर्व नियुक्ति एस0टी0एफ0)
4. हे.का. महेन्द्र सिंह, एस.टी.एफ.
5. हे0का0 श्रवण कुमार, सी0सी0पी0एस0
6. हे.का. बृजेन्द्र चौहान, एस.टी.एफ.
7. कान्स गोविन्द बल्लभ, एस.टी.एफ.
8. का. कादर , एस.टी.एफ.
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