Big breaking :-उत्तराखण्ड मेगा इण्डस्ट्रियल एवं इन्वेस्टमेंट नीति-2025 (मेगा पॉलिसी-2025) ये होंगे फायदे - News Height
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Big breaking :-उत्तराखण्ड मेगा इण्डस्ट्रियल एवं इन्वेस्टमेंट नीति-2025 (मेगा पॉलिसी-2025) ये होंगे फायदे

उत्तराखण्ड मेगा इण्डस्ट्रियल एवं इन्वेस्टमेंट नीति-2025 (मेगा पॉलिसी-2025) के प्राख्यापन के सम्बन्ध में कैबिनेट द्वारा लिया गया निर्णय।

राज्य में वृहत उद्यमों हेतु वर्तमान में लागू मेगा इण्डस्ट्रियल एवं इन्वेस्टमेंट नीति-2021 के अंतर्गत विभिन्न प्रकार के उपादान हेतु बार-बार आवेदन की जटिल प्रक्रिया एवं उक्त नीति दिनांक 30 जून, 2025 को समाप्त होने तथा केन्द्र सरकार द्वारा राज्य के लिये लागू औद्योगिक विकास योजना -2017 के वर्ष 2022 में समाप्त होने के कारण वृहत उद्यमों हेतु पूंजीगत उपादान की अन-उपलब्धता के दृष्टिगत पूर्व नीति में प्रावधानित सभी प्रकार के उपादानों को सम्मिलित कर पूंजीगत उपादान का प्रावधान करते हुये उत्तराखण्ड मेगा इण्डस्ट्रियल एवं इन्वेस्टमेंट नीति-2025 (मेगा पॉलिसी-2025) प्रस्तावित की गयी है।

इस योजना का उद्देश्य उत्तराखण्ड को राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पूंजी निवेश हेतु प्रतिस्पर्धी गंतव्य के रूप में स्थापित करने तथा वृहत श्रेणी के विनिर्माणक उद्यम में पूंजी निवेश के लिये अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करते हुये राज्य का आर्थिक विकास एवं अतिरिक्त रोजगार अवसरों का सृजन करना है।

यह नीति जारी होने की तिथि से प्रभावी होकर आगामी 05 वर्ष तक प्रवृत्त रहेगी। उक्त अवधि में सिंगल विण्डो पोर्टल पर कैफ ( सी.ए.एफ ) आवेदन करते हुये, नीति के अंतर्गत लाभ प्राप्त करने का आशय व्यक्त करने वाली इकाईयों को, वृहत उद्यम निवेश श्रेणी के अनुरूप अनुमन्यतानुसार वित्तीय प्रोत्साहन का लाभ देय होगा।

इस नीति के अंतर्गत स्थायी पूंजी निवेश (भूमि को छोड़कर) के आधार पर वृहत उद्यमों को 04 श्रेणी – लार्ज (रू. 50 करोड़ से अधिक, रू. 200 करोड़ तक), अल्ट्रा लार्ज (रू. 200 करोड़ से अधिक, रू. 500 करोड़ तक), मेगा (रू. 500 करोड़ से अधिक, रू. 1000 करोड़ तक) तथा अल्ट्रा मेगा (रू. 1000 करोड़ से अधिक) के अंतर्गत वर्गीकृत करते हुये इनके लिये क्रमशः 50, 150, 300 तथा 500 न्यूनतम स्थायी रोजगार की सीमा निर्धारित की गयी है। उक्त निवेश के लिये कैफ आवेदन की तिथि से 03 से 07 वर्ष की समय-सीमा निर्धारित की गयी है।

इस नीति के अंतर्गत स्थापित होने वाले उद्यमों द्वारा भूमि क्रय विलेख/ लीज डीड के निष्पादन पर देय स्टॉम्प ड्यूटी में 50 प्रतिशत (अधिकतम रू. 50 लाख) की प्रतिपूर्ति का प्रावधान किया गया है।

इस नीति के अंतर्गत लार्ज, अल्ट्रा लार्ज, मेगा, अल्ट्रा मेगा निवेश श्रेणी के वृहत उद्यमों को स्थायी पूंजी निवेश के सापेक्ष क्रमशः 10 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 15 प्रतिशत तथा 20 प्रतिशत के पूंजीगत उपादान का प्रावधान किया गया है, जो क्रमशः 08, 10, 12 तथा 15 वर्षों में उद्यमों को वाणिज्यिक उत्पादन में आने के उपरान्त वार्षिक किश्तों में देय होगा।

पर्वतीय क्षेत्रों में वृहत उद्यमों की स्थापना के प्रोत्साहन हेतु इस नीति के अंतर्गत श्रेणी-ए व बी के जनपदों में क्रमशः 02 एवं 01 प्रतिशत का अतिरिक्त पूंजीगत उपादान प्रावधानित किया गया है।

 

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Author: Swati Panwar
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