उत्तराखंड आवास नीति: पहाड़ों में कमजोर आय वर्ग को बाखली शैली के आवास बनाएंगे मजबूत, मिलेगा 4.5 लाख का अनुदान
नई आवास नीति के मुताबिक, बाखली शैली आवासीय परियोजना में न्यूनतम 10 आवास होना जरूरी है। इसका निर्माण दो मीटर के पहुंचमार्ग पर किया जा सकेगा।
राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में बाखली शैली के आवासों को सरकार ने पहली बार आवास नीति में शामिल किया है। इस शैली में बने आवास नौ लाख रुपये में मिलेंगे। जिनमें से 4.50 लाख रुपये का अनुदान केंद्र (1.5 लाख) व राज्य सरकार (3 लाख) देगी।
नई आवास नीति के मुताबिक, बाखली शैली आवासीय परियोजना में न्यूनतम 10 आवास होना जरूरी है। इसका निर्माण दो मीटर के पहुंचमार्ग पर किया जा सकेगा। इन आवासों में कम से कम दो मीटर चौड़ा सामूहिक आंगन बनाना होगा।
योजना बनाने वाले विकासकर्ताओं को मानचित्र स्वीकृति शुल्क में 80 प्रतिशत तक, भू-उपयोग परिवर्तन शुल्क में 40 प्रतिशत तक, भूमि क्रय के स्टांप शुल्क में 75 प्रतिशत तक, एसजीएसटी प्रतिपूर्ति 100 प्रतिशत तक, एसटीपी निर्माण की लागत प्रतिपूर्ति 25 प्रतिशत दी जाएगी। मानचित्र शुल्क व भू-उपयोग परिवर्तन शुल्क की छूट मानचित्र स्वीकृति के समय मिलेगी जबकि बाकी छूट का लाभ परियोजना निर्माण पूरा होने और पूर्णता प्रमाणपत्र मिलने के बाद दिया जाएगा।
आवासीय योजना के लिए भूमि खरीदने की अनुमति को सुगम बनाने के लिए उत्तराखंड आवास एवं नगर विकास प्राधिकरण स्तर पर एक सुगमता प्रकोष्ठ बनाया जाएगा। ये भी तय किया गया है कि भू-उपयोग परिवर्तन के आवेदन पर 10 हजार वर्ग मीटर प्राधिकरण स्तर पर तीन माह में, 10-50 हजार वर्ग मीटर पर आवास एवं नगर विकास प्राधिकरण को चार माह में, 50 हजार वर्ग मीटर से अधिक पर संबंधित प्राधिकरण या नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग को 15 दिन में निर्णय लेना होगा। मास्टर प्लान से बाहर भू-उपयोग परिवर्तन की प्रक्रिया एक माह में पूरी करनी होगी।
कत्यूर व चंद राजाओं की शैली है बाखली
पर्वतीय क्षेत्रों में जीवन, रहन-सहन की संस्कृति को बाखली शैली से समझा जा सकता है। दर्जनों परिवारों को एक साथ रहने के लिए पहाड़ में बनने वाले ये भवन सामूहिक रहन-सहन, एकजुटता और सहयोग की भावना को परिलक्षित करते हैं। इनकी बनावट ऐसी होती थी कि आपदा के समय में एक साथ होकर चुनौतियां का सामना कर सकें। बताया जाता है कि कत्यूर व चंद राजाओं ने भवनों के निर्माण की इस शैली को विकसित किया था।
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