उत्तराखंड: ग्राम पंचायतों का कार्यकाल समाप्त, प्रशासकों की नियुक्ति के निर्देश
उत्तराखंड सरकार ने राज्य के पंचायत राज विभाग के माध्यम से एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। राज्य के हरिद्वार जिले को छोड़कर सभी जनपदों में ग्राम पंचायतों, क्षेत्र पंचायतों और जिला पंचायतों का कार्यकाल समाप्त हो गया है। संविधान के अनुच्छेद 243 के तहत पंचायतों का कार्यकाल पांच वर्षों का होता है, और अब नई पंचायतों के गठन तक प्रशासकों की नियुक्ति की जाएगी।
प्रशासकों को सौंपी जाएगी जिम्मेदारी
उत्तराखंड पंचायत राज अधिनियम, 2016 और संशोधित अधिनियम, 2020 के प्रावधानों के तहत, नई पंचायतों के गठन तक ग्राम पंचायतों का कार्यभार विकास खंड के सहायक विकास अधिकारियों को सौंपा जाएगा। ये प्रशासक पंचायतों के सामान्य प्रशासनिक कार्य संभालेंगे, लेकिन उन्हें नीतिगत निर्णय लेने की अनुमति नहीं होगी। यह व्यवस्था नई पंचायतों के चुनाव तक प्रभावी रहेगी।
हरिद्वार जिले में नहीं हुआ कार्यकाल समाप्त
राज्य के अन्य सभी जनपदों में पंचायतों का कार्यकाल समाप्त हो चुका है, लेकिन हरिद्वार जिले को इस निर्णय से अलग रखा गया है। हरिद्वार जिले की पंचायतों का कार्यकाल अभी जारी है, और उनके चुनाव की प्रक्रिया को लेकर कोई बदलाव नहीं किया गया है।
जिलाधिकारियों को दी गई जिम्मेदारी
सरकार ने जिलाधिकारियों को निर्देशित किया है कि वे जल्द से जल्द प्रशासकों की नियुक्ति करें। प्रशासक अपने क्षेत्र के पंचायत कार्यों का सुचारू संचालन सुनिश्चित करेंगे। प्रशासकों को केवल नियमित कार्यों की अनुमति होगी, और वे नीतिगत निर्णय लेने के अधिकारी नहीं होंगे।
नई पंचायतों के गठन का इंतजार
सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह व्यवस्था अस्थायी है और नई पंचायतों के गठन के बाद समाप्त हो जाएगी। चुनाव प्रक्रिया को पूरा करने में समय लग सकता है, इसलिए प्रशासकों की नियुक्ति सुनिश्चित की जा रही है ताकि विकास कार्य प्रभावित न हों।
सभी विभागों को दिए गए निर्देश
संबंधित अधिकारियों को समयबद्ध तरीके से निर्देशों का पालन करने के आदेश दिए गए हैं। चुनाव प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की देरी को रोकने और प्रशासनिक कार्यों को सुचारू रूप से चलाने के लिए यह निर्णय लिया गया है।
राजनीतिक और प्रशासनिक महत्व
यह निर्णय प्रशासनिक रूप से आवश्यक होने के साथ ही राजनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। नई पंचायतों के गठन और चुनाव प्रक्रिया के दौरान प्रशासनिक कार्यों को संभालने की यह योजना सरकार की तत्परता को दर्शाती है।
संभावित प्रभाव
इस फैसले से राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में विकास कार्यों को नियमित बनाए रखने में मदद मिलेगी। हालांकि, प्रशासकों को नीतिगत निर्णय लेने की अनुमति न होने के कारण कुछ परियोजनाओं पर असर पड़ सकता है। आगामी पंचायत चुनावों को लेकर ग्रामीण जनता में उत्सुकता बनी हुई है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस प्रक्रिया को कितनी जल्दी और प्रभावी तरीके से पूरा करती है।
उत्तराखंड में पंचायतों का यह बदलाव एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक कदम है। यह सुनिश्चित करेगा कि पंचायतों के कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी विकास कार्य बाधित न हों। सरकार की ओर से उठाए गए ये कदम स्थानीय शासन को मजबूत करने और सुचारू रूप से चलाने की दिशा में एक प्रभावी प्रयास है।
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