उत्तराखंड: फाइलों में ही रह गए ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के प्रोजेक्ट, योजना बंद, दो दिन में पैसा लौटाने के आदेश
ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के प्रोजेक्ट फाइलों में ही रह गए। दो दिन के भीतर सभी निकायों को पैसा लौटाने का आदेश जारी किया गया।
10 साल पहले सभी निकायों में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन (सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट) के लिए केंद्र ने जो पैसा दिया था, काम न होने के कारण अब उसे लौटाया जा रहा है। सभी निकायों को दो दिन के भीतर प्रोजेक्ट बंद करते हुए केंद्रीय अंश व राज्य का अंश लौटाने के आदेश दिए गए हैं।
स्वच्छ भारत मिशन 1.0 की शुरुआत वर्ष 2014 में हुई थी। इसके लिए उत्तराखंड को 35 प्रतिशत के हिसाब से केंद्रांश के तौर पर 71.58 करोड़ रुपये का बजट मिला था। बाकी पैसा राज्य सरकार ने दिया था। इस केंद्रांश में से 48.42 करोड़ रुपये निकायों को जारी कर दिए गए थे। इस पैसे से सभी निकायों में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन का काम होना था।
देहरादून का शीशमबाड़ा भी इसके बजट से तैयार हुआ है।10 साल से अधिक समय बीत गया लेकिन गंगोलीहाट, ऋषिकेश समेत तमाम ऐसे नगर पालिका, नगर पंचायत व नगर निगम हैं, जहां प्रोजेक्ट शुरू ही नहीं हो पाए। कहीं प्रोजेक्ट लगाने के लिए जमीन नहीं मिली तो कहीं वन भूमि हस्तांतरण नहीं हो पाया। ऋषिकेश सहित कई निकायों के इन प्रोजेक्ट का काम शुरू होते ही लोग कोर्ट चले गए और वह लंबे समय तक लटके रहे।
89 निकायों को 48.42 करोड़ रुपये किए गए थे जारी
नतीजा ये हुआ कि बड़ी संख्या में निकाय इससे संबंधित प्रोजेक्ट तैयार नहीं कर पाए। हाल ही में सचिव शहरी विकास की अध्यक्षता में एक बैठक हुई थी, जिसमें बताया गया कि केंद्रांश के 71.28 करोड़ में से 62 परियोजनाओं के लिए 89 निकायों को 48.42 करोड़ रुपये जारी किए गए थे। इनमें से 20.62 करोड़ रुपये के उपयोगिता प्रमाणपत्र तो केंद्र को भेजे जा चुके हैं। 15.17 करोड़ के निदेशालय को मिले हैं, जिन्हें जल्द ही केंद्र को भेज दिया जाएगा।
निर्णय लिया गया है कि केंद्रों व राज्यांश को प्रोजेक्ट क्लोजर रिपोर्ट के साथ समर्पित किया जाए। इसलिए सभी निकायों को दो दिन के भीतर यह धनराशि लौटानी होगी। इसके बाद 15 से 20 वर्ष की आवश्यकता को देखते हुए आधुनिक तकनीकी का समावेश कर ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की नई परियोजनाएं तैयार की जाएंगी।
ऋषिकेश अब टेंडर जारी नहीं कर सकेगा
नगर निगम ऋषिकेश ने लंबी जद्दोजहद के बाद अपने सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्रोजेक्ट को टेंडर तक पहुंचाया है, लेकिन अब इसकी राशि लौटानी होगी। कई निकाय लगातार डीपीआर बढ़ा रहे थे, जबकि केंद्र इसे 2023 में ही बंद कर चुका है और अब बजट नहीं मिल सकता।
शासन स्तर पर निर्णय होने के बाद सभी निकायों से केंद्रांश व राज्यांश लौटाने को कहा गया है। नए सिरे से प्रोजेक्ट बनवाए जाएंगे। उपयोगिता प्रमाण पत्र भी मांगे गए हैं। -डॉ. ललित नारायण मिश्र, अपर निदेशक, शहरी विकास

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