UTTARAKHAND NEWS

Big breaking :- देश में सबसे कम चल रही उत्तराखंड विधानसभा, विपक्ष के आरोप

NewsHeight-App

विपक्ष का आरोप, देश में सबसे कम चल रही उत्तराखंड विधानसभा

विधानसभा सत्रों की कम अवधि का मुद्दा विपक्ष कांग्रेस ने सदन में जोर-शोर से उठाया। कहा कि देश में उत्तराखंड की विधानसभा के सत्र सबसे कम चल रहे हैं। जिस पर संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि सत्र कब आहूत करना है इसकी अवधि कितनी होगी यह सरकार तय करती है। जिसके बाद सत्र की अवधि बिजनेस के आधार पर तय की जाती है।

विधानसभा सत्रों की कम अवधि का मुद्दा विपक्ष कांग्रेस ने सदन में जोर-शोर से उठाया। विपक्ष का आक्षेप था कि देश में उत्तराखंड की विधानसभा के सत्र सबसे कम चल रहे हैं। यह औसत से भी कहीं अधिक पीछे है। यह राज्य आंदोलनकारियों की भावना के अनुरूप नहीं है।

साल में विधानसभा के तीन सत्र होने चाहिए, जिनकी कुल अवधि 60 दिन हो। साथ ही सरकार पर आरोप लगाया कि वह प्रश्नों से बचने के लिए ऐसा कर रही है। सरकार की ओर से संसदीय कार्यमंत्री ने कहा कि सत्रों की अवधि बिजनेस के आधार पर तय होती है

विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण ने कहा कि वह भी चाहती हैं कि सत्र में उपवेशन अधिक हों, लेकिन यह सब बिजनेस पर निर्भर करता है। इसके साथ ही उन्होंने विपक्ष की ओर से इस संबंध में लाए गए व्यवस्था के प्रश्न के औचित्य को अग्राह्य कर दिया।

नियमावली के अनुरुप सत्रों की अवधि तय नहीं
विधानसभा सत्र में गुरुवार को प्रश्नकाल खत्म होते ही कांग्रेस विधायक काजी निजामुद्दीन ने व्यवस्था का प्रश्न उठाते हुए कहा कि विधानसभा की कार्य संचालन नियमावली के अनुरुप सत्रों की अवधि तय नहीं की जा रही।

एक संस्था के शोध का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि वर्ष 2017-2023 में देश के सभी राज्यों की विधानसभाओं के सत्रों की औसत अवधि 22 दिन रही, लेकिन उत्तराखंड तो इसमें भी न्यून स्तर पर है। राज्य विधानसभा वर्ष 2022 में आठ दिन, 2023 में 10 दिन और वर्ष 2024 में चार दिन चली। स्थिति यह है कि बजट भी एक ही दिन में पारित कर दिया जा रहा है।

 

सत्रों की अवधि का निरंतर कम होना दुर्भाग्यपूर्ण
नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि सत्रों की अवधि का निरंतर कम होना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि इसी सत्र के लिए विधायकों ने 500 प्रश्न लगाए हैं, तीन दिन में इनका जवाब कैसे मिलेगा। साथ ही प्रश्न किया कि सरकार विधायकों के प्रश्नों से क्यों बचना चाहती है।

नेता प्रतिपक्ष ने पिछले तीन साल में हुए विधानसभा सत्रों का हवाला देते हुए कहा कि ये कभी भी सोमवार से प्रारंभ नहीं किए गए।उन्होंने कहा कि सोमवार का दिन मुख्यमंत्री के विभागोंं के प्रश्नों से संबंधित होता है और मुख्यमंत्री के पास 40 विभाग हैं।

सत्र की अवधि बिजनेस के आधार पर तय
संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि आदर्श स्थिति यही है कि साल में विधानसभा के तीन उपवेशन हों, जिनकी अवधि 60 दिन हो। उन्होंने कहा कि सत्र की अवधि बिजनेस के आधार पर तय की जाती है। सरकार की मंशा साफ है कि सदन की कार्रवाई चले।

पीठ से विधानसभा अध्यक्ष खंडूड़ी ने कहा कि वह भी चाहती हैं कि सत्रों की अवधि अधिक हो, लेकिन यह भी ध्यान रखना जरूरी है कि इसके लिए सरकार के पास पर्याप्त बिजनेस हो। यदि अवधि कम भी हो तो देर तक सदन चलाया जा सकता है।

 

सत्र कब आहूत करना है, इसकी अवधि कितनी होगी, यह सरकार तय करती है। फिर कार्यमंत्रणा समिति तय करती है और उसी के अनुरूप बिजनेस आता है। उन्होंने यह भी कहा कि वह सत्तापक्ष व विपक्ष, दोनों के सदस्यों को अपनी बात रखने को पर्याप्त समय देती हैं।

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

न्यूज़ हाइट (News Height) उत्तराखण्ड का तेज़ी से उभरता न्यूज़ पोर्टल है। यदि आप अपना कोई लेख या कविता हमरे साथ साझा करना चाहते हैं तो आप हमें हमारे WhatsApp ग्रुप पर या Email के माध्यम से भेजकर साझा कर सकते हैं!

Click to join our WhatsApp Group

Email: [email protected]

Author

Author: Swati Panwar
Website: newsheight.com
Email: [email protected]
Call: +91 9837825765

To Top