शहरी विकास मंत्री डॉ प्रेमचंद अग्रवाल ने केंद्रीय शहरी विकास मंत्री मनोहर लाल खट्टर से नई दिल्ली स्थित उनके आवास पर मुलाकात की। इस दौरान डॉ अग्रवाल ने पांच सूत्रीय मांगपत्र भी सौंपा। साथ ही पूर्व में बाह्य सहायतित मद में धनराशि देने पर आभार व्यक्त किया।
शनिवार डॉ अग्रवाल ने मांगपत्र सौंपते हुए स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत 264 करोड़ रुपए का अनुरोध किया है, जिसमें शीशमबाडा, देहरादून में अवस्थित लिगेसी वेस्ट के निस्तारण हेतु रु० 50.00 करोड की धनराशि, नगर निगम देहरादून, ऋषिकेश तथा काशीपुर में अवस्थित सीएण्डडी वेस्ट के निस्तारण हेतु रु० 21.00 करोड़ की धनराशि तथा नव गठित 13 नगर निकायों की प्रस्तावित ठोस अपशिष्ट प्रबंधन परियोजनाओं हेतु रु० 193 00 करोड़ की धनराशि स्वीकृत करने का अनुरोध है।
डॉ अग्रवाल ने अमृत योजना के अंतर्गत 490.42 करोड़ रुपए का अनुरोध किया है। जिसमें राज्य के 7 नगर निकाय जो अन्य योजना से आच्छादित नही हो पा रही है, को जल आपूर्ति से पूर्ण आच्छादित करने हेतु रु० 490.42 करोड़ के अतिरिक्त धनराशि निर्गत किये जाने का अनुरोध है। वहीं, पूर्व निर्गत रु० 46.35 करोड़ का उपयोगिता प्रमाण पत्र भारत सरकार को प्रेषित किया जा चुका है, द्वितीय किस्त रु० 92.70 करोड की धनराशि निर्गत किये जाने का अनुरोध है। इसके अलावा राज्य की 16 नगर निकायों में जलापूर्ति की परियोजनाओं को पूर्व में अन्य योजना से आच्छादित किया जाना प्रस्तावित था परन्तु कतिपय कारणों से आच्छादित नही किया जा सका, वर्तमान में उक्त 16 नगर निकायों की परियोजनओं हेतु ई०ए०पी०/ए०डी०बी० के अंतर्गत 1089.00 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता प्रदान करने का अनुरोध है।
डॉ अग्रवाल ने प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के लिए 480.00 करोड़ रुपए देने का अनुरोध किया है। जिसमें मलिन बस्ती पुर्नविकास (ISSR) घटक में पीपीपी भागीदारों के लिए परियोजना को लागू करने के लिए मलिन बस्तियों की भूमि वित्तीय रूप से व्यवहार्य नहीं हो पा रही है, अतः प्रति आवास निर्माण हेतु रु० 4.00 लाख बढ़ाये जाने की आवश्यकता है। वहीं, लाभार्थी आधारित निर्माण घटक में पहाड़ी क्षेत्रों में आवास निर्माण में लाभार्थी अंश (4.00 -5.50 लाख रुपये) आता है, कम आय वाले लाभार्थियों (रु० 3 लाख) के लिए आवास निर्माण कठिन हो रहा है जो परियोजना छोड़ने का कारण बन रहा है। भारत सरकार का अंश 1.50 लाख रुपये से बढ़ाकर 4.00 लाख किये जाने का अनुरोध है, जिससे लाभार्थियों का बोझ कम हो सकता है और परियोजनाओं में तेजी आ सकती है।
डॉ अग्रवाल ने राज्य विशिष्ट माँग 200.00 करोड़ रुपए देने का अनुरोध किया है। जिसमें राज्य की 03 नगर निकायों (गंगोत्री, बद्रीनाथ, केदारनाथ) जो 04 धाम के मुख्य धाम है को 15 वें वित्त आयोग द्वारा अनुदान से आच्छादित नही किया गया है जिस कारण उक्त तीन निकायों के प्रशासन एवं संचालन में कठिनाई आ रही है। निकायों के कार्यालय भवन, कर्मचारियों के आवास एवं मूल भूत सुविधाओं के निर्माण विकास तथा रखरखाव हेतु रु० 50.00 करोड़ की धनराशि प्रति निकाय को निर्गत किये जाने का अनुरोध किया है। उन्होंने बताया कि केन्द्रीय वित्त आयोग द्वारा नगर निकायों के अनुदान की गणना वास्तविक जनसंख्या के आधार पर की जाती है जबकि राज्य में चलायमान जनसंख्या (Floating Population) अत्याधिक होने के कारण नगर निकायों को बुनियादी सुविधाओं को देने में कठिनाई होती है, उन्होंने आगामी केन्द्रीय वित्त आयोग द्वारा अनुदान की गणना में चलायमान जनसंख्या पर विचार करते हुए अनुदान की गणना किये जाने का विशेष अनुरोध है।
डॉ अग्रवाल ने बताया कि राज्य की कतिपय पर्वतीय निकायों द्वारा 15वें वित्त आयोग की अनुशंसा के अनुरुप सम्पति कर संग्रहण में बढ़ोतरी न होने के कारण आयोग द्वारा वर्ष 2024-25 से अनुदान धनराशि को रोक दिया गया है। उक्त निकायों की जनसँख्या एवं निवासरत परिवार की संख्या कम होने के कारण सम्पति कर के संग्रहण में बढ़ोतरी करने में निकाय सक्षम नहीं है। उन्होंने इन पर्वतीय छोटी निकायों के मूल भूत सुविधाओं के विकास हेतु अनुदान राशि निर्गत किये जाने का अनुरोध किया है। उन्होंने बताया कि चार धाम यात्रा के अंतर्गत 30 निकायों में चलायमान जनसंख्या (Floating Population) अत्याधिक होने के कारण नगर निकायों को सफाई व्यवस्था सुचारु करने में में कठिनाई होती है, निकायों की भौगोलिक परिस्थियों के दृष्टिगत निकायों को स्वचालित सफाई मशीन क्रय किये जाने हेतु रु० 50.00 करोड़ की वित्तीय सहायता प्रदान करने का अनुरोध किया है।
डॉ अग्रवाल ने वाह्य सहायतित परियोजनाओं के लिए 3300 करोड़ देने का अनुरोध किया है। जिसमें देहरादून-मसूरी क्षेत्र में यातायात पर्यावरण अनुकूल सुगम किये जाने हेतु पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम जिसमें इलेक्ट्रिक बसों एवं इसहेतु अवस्थापना (सड़को का उच्चीकरण, फलाईओवर, मल्टिलेवल पार्किंग, सीसीटीवी०, ई-चार्जिंग स्टेशन इत्यादि) उपलब्ध कराये जाने का प्रस्ताव जिसकी कुल लागत लगभग रू0-1750 करोड़ अनुमानित है को एशियन डेवलपमेंट बैंक की ऋण के माध्यम से विकसित किया जाना है। उपरोक्त के सम्बन्ध में प्रस्ताव भारत सरकार स्तर पर लम्बित है, अतएव इस प्रकरण पर शीघ्रता का अनुरोध किया है।
डॉ अग्रवाल ने बताया कि राज्य के 02 मुख्य जनपदों (उधमसिंहनगर, पिथौरागढ़) में पेयजल आपूर्ति, सीवर योजना तथा शहरी आधारभूत संरचना हेतु प्रस्ताव भारत सरकार को प्रेषित है। उपरोक्त के सम्बन्ध में यूरोपियन इन्वेंस्टमेंट बैंक से लगभग रू0-1570 करोड़ की ऋण हेतु उच्च स्तर पर सहमति प्राप्त की जा चुकी है। उक्त ऋण को शीघ्र स्वीकृत कराये जाने का अनुरोध किया है।
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