हलाला से लेकर बहुविवाह तक सब खत्म… UCC के लागू होते ही उत्तराखंड में बदल जाएंगी ये चीजें, आप भी जान लें
उत्तराखंड में बहुचर्चित कानून यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) 27 जनवरी से लागू हो जाएगा. इसकी जानकारी सूबे के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दी. सीएम धामी ने कहा कि प्रदेश में सोमवार से समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू कर दी जाएगी और इसके साथ ही यह भारत का पहला राज्य होगा, जहां यह कानून प्रभावी होगा.
यूसीसी के लागू होते ही बहुत सारी चीजें बदल जाएंगी, जिसको लेकर जागरूकता अभियान भी चलाया जाएगा. आइए जानते हैं यूसीसी के लागू होने के बाद कौन-कौन सी चीजें बदल जाएंगी.
यह होगा बदलाव
यूसीसी के लागू होने के बाद शादी का अनिवार्य रूप से रजिस्ट्रेशन कराना होगा. हर ग्राम सभा लेवल पर भी रजिस्ट्रेशन की सुविधा होगी.
किसी भी जाति, धर्म या संप्रदाय का व्यक्ति हो, उसके लिए तलाक का एक समान कानून होगा. फिलहाल देश में हर धर्म के लोग इन मामलों का निपटारा अपने पर्सनल लॉ के जरिए करते हैं.
इसके अलावा सूबे में बहुविवाह पर रोक लगेगी. लड़कियों की शादी की उम्र चाहे वह किसी भी जाति-धर्म की हो, एक समान होगी. यानी कि लड़की की शादी की उम्र 18 साल होगी.
यूसीसी के लागू होने के बाद सभी धर्मों में बच्चों को गोद लेने का अधिकार मिलेगा. हालांकि दूसरे धर्म के बच्चे को गोद नहीं लिया जा सकेगा.
यूसीसी के लागू होने के बाद उत्तराखंड में हलाला जैसी प्रथा भी बंद हो जाएगी. वहीं उत्तराधिकार में लड़कियों को लड़कों के बराबर की हिस्सेदारी होगी.
उत्तराखंड में यूसीसी लागू होने के बाद लिव-इन रिलेशनशिप का रजिस्ट्रेशन कराना कपल के लिए अनिवार्य होगा. वहीं अगर कपल 18 से 21 साल के हैं तो उन्हें रजिस्ट्रेशन के दौरान अपने माता-पिता का सहमति पत्र भी देना होगा.
यूसीसी के तहत लिव-इन रिलेशन से पैदा होने वाले बच्चे को भी शादीशुदा जोड़े के बच्चे की तरह ही अधिकार मिलेगा.
यूनिफॉर्म सिविल कोड के नियम-कानून से शेड्यूल ट्राइब को पू्र्ण रूप से बाहर रखा गया है. इसके अलावा ट्रांसजेंडर और धार्मिक मामलों जैसे पूजा-पद्धति व परंपराओं से किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं की गई है
2022 में किया गया था वादा
उत्तराखंड में यूसीसी को लागू करना 2022 में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा किए गए प्रमुख वादों में से एक था. मार्च में दोबारा सत्ता संभालते ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में मंत्रिमंडल की पहली ही बैठक में यूसीसी प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए उसका मसौदा तैयार करने के लिए विशेषज्ञ समिति के गठन पर मुहर लगा दी गयी थी.
करीब ढाई साल पहले गठित की गई थी समिति
उच्चतम न्यायालय की सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में 27 मई 2022 को विशेषज्ञ समिति गठित की गई थी, जिसने लगभग डेढ़ वर्ष में विभिन्न वर्गों से बातचीत के आधार पर चार खंडों में तैयार अपनी विस्तृत रिपोर्ट दो फरवरी 2024 को राज्य सरकार को सौंपी. रिपोर्ट के आधार पर सात फरवरी 2024 को राज्य विधानसभा के विशेष सत्र में यूसीसी विधेयक पारित कर दिया गया और उसके एक माह बाद 12 मार्च 2024 को राष्ट्रपति ने भी उसे अपनी मंजूरी दे दी.
यूसीसी लागू होने वाला पहला राज्य बनेगा उत्तराखंड
यूसीसी अधिनियम बनने के बाद पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह की अध्यक्षता में गठित की गई एक समिति ने इसके क्रियान्वयन के लिए नियमावली तैयार की, जिसे हाल ही में राज्य मंत्रिमंडल ने भी मंजूरी दे दी. सोमवार को यूसीसी लागू होने के बाद उत्तराखंड ऐसा कराने वाला भारत का पहला राज्य बन जाएगा. असम सहित देश के कई राज्य उत्तराखंड के यूसीसी अधिनियम को एक मॉडल के रूप में अपनाने की इच्छा जाहिर कर चुके हैं. उत्तराखंड यूसीसी विवाह, तलाक, उत्तराधिकार, सहवासी संबंध तथा इनसे संबंधित अन्य विषयों को नियंत्रित और नियमित करेगा.
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