यूसीसी लागू होने के बाद क्या होगी विवाह पंजीकरण की व्यवस्था, जानें इससे जुड़ी जरूरी बातें
डीजीपी दीपम सेठ ने कहा कि संहिता लागू होने से इसके दंड परिणामों के सापेक्ष पुलिस के क्या कर्तव्य होंगे, यह सब भविष्य में कार्यशालाओं के माध्यम से बताया जाएगा।
समान नागरिक संहिता में विवाह पंजीकरण को लेकर फैल रही भ्रांतियों को भी दूर करने का प्रयास किया है। विवाह पंजीकरण अनिवार्य तो होगा, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है कि पंजीकरण नहीं हुआ तो विवाह अमान्य हो जाएगा। तय अवधि के बाद जुर्माना अदा करने के बाद पंजीकरण कराया जा सकता है।
इसके अलावा 26 मार्च 2010 से पहले हुए विवाह के लिए भी पंजीकरण अनिवार्य नहीं है। हालांकि, इनके लिए पंजीकरण कराने की समयावधि छह महीने है। इसके जुर्माने और दंडात्मक प्रक्रिया को समय-समय पर निर्धारित किया जाएगा। इसे लेकर बुधवार को पुलिस मुख्यालय में भी डीजीपी दीपम सेठ की अध्यक्षता में कार्यशाला आयोजित की गई। इसमें विभिन्न वर्गों से आए लोगों ने समान नागरिक संहिता पर चर्चा की।
डीजीपी दीपम सेठ ने कहा कि संहिता लागू होने से इसके दंड परिणामों के सापेक्ष पुलिस के क्या कर्तव्य होंगे, यह सब भविष्य में कार्यशालाओं के माध्यम से बताया जाएगा। इसके अलावा लोगों में पंजीकरण की अनिवार्यता, कानूनी परिणामों और उनके कानूनी अधिकारों पर क्या प्रभाव पड़ेंगे और संहिता का सफल क्रियान्वयन किस तरह किया जाएगा यह भी बताया जाएगा। शासन और पुलिस मिलकर इस कानून को लेकर चल रही भ्रांतियों को भी जन जागरूकता के माध्यम से दूर करेंगे।
इस कार्यशाला में अपर सचिव गृह डीआईजी निवेदिता कुकरेती ने सभी पहलुओं को विस्तार से बताया। इस दौरान लोगों की शंकाओं को भी दूर किया गया। इस वर्कशॉप में पुलिस अधिकारियों के अलावा मदरसा शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष मुफ्ती शमून कासमी, वक्फ ट्रिब्यूनल के सदस्य नदीम जैदी, अभियोजन अधिकारी जावेद अहमद, राज्य अल्पसंख्यक आयोग की पूर्व सदस्य सीमा जावेद, श्रीगुरु सिंह सभा के प्रधान गुरबक्श सिंह राजन, क्लर्जी फलोशिप के अध्यक्ष सैमुअल लाल, नेहरू ग्राम चर्च के फादर अभिनव जैकब, डीएवी कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ. देवेंद्र भसीन आदि उपस्थित रहे।
ये हैं व्यवस्थाएं और प्रक्रियाएं
विवाह के लिए पात्रता
– दोनों पक्षों में से किसी के पास जीवित जीवनसाथी नहीं होना चाहिए।
– दोनों मानसिक रूप से स्वस्थ और विवाह की अनुमति देने में सक्षम हों।
– पुरुष की न्यूनतम आयु 21 वर्ष और महिला की 18 वर्ष होनी चाहिए।
– दोनों पक्षकार निषिद्ध संबंधों की परिधि में न हों।
विवाह पंजीकरण की अनिवार्यता
– अधिनियम लागू होने के बाद, विवाह का पंजीकरण 60 दिनों के भीतर अनिवार्य होगा।
– 26 मार्च 2010 से अधिनियम लागू होने तक हुए विवाहों का पंजीकरण 6 महीने के भीतर करना होगा।
– पूर्व में नियमानुसार पंजीकरण करा चुके व्यक्तियों को दोबारा पंजीकरण कराने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन उन्हें पावती देनी होगी।
पंजीकरण प्रक्रिया
– विवाह पंजीकरण ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से किया जा सकेगा।
– आवेदन प्राप्त होने के 15 दिनों के भीतर उप-निबंधक को निर्णय लेना अनिवार्य है।
– 15 दिनों के भीतर निर्णय न होने पर आवेदन स्वतः निबंधक को अग्रेषित होगा।
– पावती से संबंधित आवेदन 15 दिन के बाद स्वतः स्वीकृत माना जाएगा।
– झूठा विवरण देने वालों को दंड दिया जाएगा
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