साइबर हमले से ई-डीपीआर योजना को भी लगा झटका, सारा फीडबैक हुआ गायब
पारदर्शिता और जवाबदेही को लेकर भी लोनिवि में ई-डीपीआर की व्यवस्था को लागू करने का फैसला किया गया।
स्टेट डाटा सेंटर पर साइबर हमले की मार लोक निर्माण की ई-डीपीआर योजना पर भी पड़ी है। इस हमले में राष्ट्रीय सूचना केंद्र (एनआईसी) ने ईडीपीआर के लिए जो तैयारी की थी और फीडबैक लिया था, वह गायब हो गया।
काफी कोशिशों के बाद भी इसे दोबारा प्राप्त नहीं किया जा सका। इस झटके से एनआईसी ही नहीं लोनिवि के अधिकारियों की भी पेशानी पर बल पड़ गए हैं। पारदर्शिता और जवाबदेही को लेकर भी लोनिवि में ई-डीपीआर की व्यवस्था को लागू करने का फैसला किया गया। इसके लिए पोर्टल तैयार करने का काम एनआईसी कर रहा था
जब यह तैयार हुआ तो उसमें लोनिवि समेत अन्य विभागों ने अपने कमेंटेंस दिए, इसके बाद उसमें एनआईसी के माध्यम से बदलाव किया गया। इस बदलाव के बाद लोनिवि को ई-डीपीआर की व्यवस्था को लागू होना था। लोनिवि के अनुसार, इस बीच वायरस का हमला हो गया, इसके चलते ई-डीपीआर के लिए साफ्टवेयर में जो बदलाव किया गया था, वह हट गए हैं।
अभी जो ई-डीपीआर का जो पुराना वर्जन था, वह रिस्टोर हो सका है, जो करेक्शन के बाद वर्जन तैयार हुआ था उसे दोबारा प्राप्त नहीं किया जा सका।
एक साल में 5,400 से अधिक तैयार होती डीपीआर
लोक निर्माण विभाग में 54 डिवीजन हैं, हर डिवीजन से औसतन एक साल में सौ तक कई कार्याें के लिए डीपीआर का गठन किया जाता है। इस तरह एक साल में करीब 5,400 तक डीपीआर तैयार होती हैं। इसमें अधिशासी अभियंता तक डीपीआर तैयार होने के बाद अधीक्षण अभियंता तक पहुंचती है। इसके बाद अगले चरण में मुख्य अभियंता तक डीपीआर स्वीकृत के लिए पहुंचती है। यहां शासन में सचिव के पास फाइल जाती है। इस प्रक्रिया में कागजी कार्रवाई होती है, इसके साथ ही समय भी लगता है। कई बार फाइल को लेकर कर्मचारी को उपस्थिति भी होना पड़ता है। बताया जा रहा कि लोक निर्माण विभाग के अलावा सिंचाई विभाग, ग्रामीण अभियंत्रण विभाग को भी ई-डीपीआर की व्यवस्था को लागू करना है। इस व्यवस्था को 16 सितंबर तक लागू करने का आदेश भी हुआ था।
ई-डीपीआर व्यवस्था को लागू किया जाना है। इससे कार्य में तेजी आने के साथ पारदर्शिता बढ़ेगी और जवाबदेही भी तय होगी। ई-डीपीआर के लिए पोर्टल बनाने का काम एनआईसी से हो रहा है। इसे जल्द लागू किया जाना था, पर हाल में वायरस के कारण समस्या आई है। उम्मीद है कि जल्द ही यह व्यवस्था लागू हो जाएगी।
-दीपक यादव, विभागाध्यक्ष लोनिवि
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