ऐसे होगा उत्तराखंड के पहाड़ों का विकास! 10 साल में मंत्रियों-MLAs ने सिर्फ 34 दिन गैरसैंण में गुजारे
पिछले साल फरवरी-मार्च 2023 में बजट सत्र के बाद से गैरसैंण में पसरा सन्नाटा बुधवार को मानसूत्र के साथ टूटा है। सुबह से गैरसैंण में रौनक दिखी। गाड़ियां दौड़ रही हैं, अफसर फाइलें लेकर इधर से उधर दौड़ रहे हैं, लेकिन यह…
राज्य आंदोलनकारियों के सपनों की राजधानी माने जाने वाले गैरसैंण में विधानसभा का सत्र आयोजित होते हुए दस साल का वक्त बीत चुका है, लेकिन राज्य के मंत्री-विधायकों ने यहां 35 दिन भी नहीं गुजारे।
यदि प्रतिशत में देखा जाए तो राज्य के मंत्री, विधायकों ने अब तक एक प्रतिशत समय भी गैरसैंण को नहीं दिया। करीब दौ सौ करोड़ रुपये की लागत से बने विधानसभा भवन के प्रति सरकारों का यह रवैया उनकी गैरसैंण के प्रति गंभीरता और संवेदनशीलता को भी जाहिर करता है।
पिछले साल फरवरी-मार्च 2023 में बजट सत्र के बाद से गैरसैंण में पसरा सन्नाटा बुधवार को मानसूत्र के साथ टूटा है। सुबह से गैरसैंण में रौनक दिखी। गाड़ियां दौड़ रही हैं, अफसर फाइलें लेकर इधर से उधर दौड़ रहे हैं, लेकिन यह सब आयोजन महज तीन दिन के लिए ही है।
उसके बाद फिर से अगले सत्र तक वही वीरानी पसर जानी है। मानसून सत्र के पहले दिन एक बार फिर से गैरसैंण की उपेक्षा का सवाल फिर उभरा है। मालूम हो कि गैरसैंण में नौ जून 2014 से सत्र का आयोजन होना शुरू हुआ था।
इससे पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने वर्ष 2013 में गैरसैंण में विधानसभा भवन का शिलान्यास किया था। गैरसैंण में करीब 122 महीने गुजर चुके हैं। इन 122 महीनों के 3660 दिनों में गैरसैंण में सत्र का आयोजन बामुश्किल 34 दिन तक ही हो पाया।
जिस गैरसैंण को लेकर प्रदेश की राजनीति हमेशा गरमाई रहती है, वह सत्ता में आते ही न कांग्रेस के लिए प्राथमिकता में रहता है और न ही भाजपा के लिए। भाजपा जरूर थोड़ा श्रेय यह ले सकती है कि उसकी सरकार में ही गैरसैंण को ग्रीष्म कालीन राजधानी का दर्जा मिला है।
वर्ष 2019 और 22 में सूना रहा गैरसैंण
वर्ष 2014 के बाद राज्य में वर्ष 2019 और फिर 2022 में सत्र का आयोजन नहीं हुआ। वर्ष 2019 में जहां सर्दियों की वजह से कार्यक्रम टल गया था। वहीं वर्ष 2022 में कोरोना महामारी की वजह से सत्र आयोजित नहीं हुई। बीते साल बजट सत्र होने के बाद अब इस साल मानसून सत्र का आयोजन किया जा रहा है। अब तक गैरसैंण में केवल 2018 और 2021 में ही सबसे ज्यादा अवधि तक सत्र आयोजित किए गए। अब तक 34 दिन तक सत्र का आयोजन हुआ है।
गैरसैंण पर अब तक
-2013 में तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने गैरसैंण में विधानसभा भवन और सचिवालय का शिलान्यास किया
-09 जून 2014 को तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने टैंट कालोनी में विधानसभा सत्र के आयोजन की शुरुआत की
-04 मार्च 2020 को तत्कालीन मुख्यमंत्री ने गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने की घोषणा की
-3660 दिन से ज्यादा हो चुके हैं अब तक गैरसैंण में विधानसभा का सत्र का आयोजन शुरू हुए
-34 दिन ही आयोजित हुआ है गैरसैंण में वर्ष 2014 से अब तक विधानसभा सत्र का आयोजन
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