राजकीय सेवा में राज्य आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों के लिए 10% क्षैतिज आरक्षण का इंतजार और बढ़ गया है। विधानसभा में लाए गए क्षैतिज आरक्षण विधेयक पर विचार करने के लिए गठित प्रवर समिति का कार्यकाल दो माह के लिए बढ़ा दिया गया है।
विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण ने समिति का कार्यकाल बढ़ाने की पुष्टि की है। ऐसा दूसरी बार है जब प्रवर समिति के कार्यकाल को विस्तार दिया गया है। अभी तक यही माना जा रहा था कि एक और बैठक के बाद समिति अपनी रिपोर्ट विस अध्यक्ष को सौंप देगी और राज्य स्थापना दिवस से पहले राज्य आंदोलनकारियों की क्षैतिज
आरक्षण की मुराद पूरी हो जाएगी।विस में पेश विधेयक पर चर्चा के दौरान उसे प्रवर समिति के हवाले कर दिया गया था। स्पीकर ने संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल की अध्यक्षता में गठित समिति को 15 दिन में विचार कर सिफारिशें देने को कहा था। साथ ही सदन में आश्वासन दियाथा कि समिति की रिपोर्ट प्राप्त होने केबाद राज्य आंदोलनकारियों के क्षैतिज आरक्षण बिल के लिए विस का विशेष सत्र आहूत किया जाएगा। समिति ने 18 सितंबर को पहली
बैठक की, जिसमें कोई नतीजा नहीं निकला। 25 सितंबर को समिति का कार्यकाल पूरा हो गया। समिति की मांग पर इसका कार्यकाल एक माह बढ़ा दिया गया। 25 अक्तूबर को समिति का कार्यकाल पूरा हो रहा है। समिति की मांग पर अब कार्यकाल 25दिसंबर तक बढ़ा दिया गया है।
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