भूस्खलन से सुरक्षित है चौमासी-रेकाधार-केदारनाथ पैदल मार्ग, दल ने आवाजाही के लिए बताया मुफीद
बीते 31 जुलाई को आपदा से गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग व्यापक रूप से क्षतिग्रस्त हो गया है। रास्ते की मरम्मत का कार्य जोरों पर चल रहा है। पैदल मार्ग की वर्तमान स्थिति को ध्यान में रखते हुए उत्तराखंड सरकार ने केदारनाथ को वैकल्पिक पैदल रास्तों से जोड़ने के लिए सर्वेक्षण के निर्देश दिए थे।
केदारनाथ तक पहुंच के लिए वैकल्पिक मार्ग चौमासी-रेकाधार-केदारनाथ भूस्खलन व भूधंसाव से पूरी तरह से सुरक्षित है। 19 किमी लंबे इस मार्ग पर अलग-अलग प्रकृति की चट्टानें, बोल्डर मौजूद हैं। कई जगहों पर गदेरे व नाले हैं
पांच सदस्यीय दल ने रास्ते का स्थलीय निरीक्षण कर इसे यात्रा के लिए मुफीद बताते हुए सुरक्षा व सुरक्षात्मक कार्य की बात कही है। दल, ने अपनी रिपोर्ट में रास्ते पर सुधार कार्य में अनावश्यक छेड़छाड़ नहीं करने की सलाह भी दी है।
बीते 31 जुलाई को आपदा से गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग व्यापक रूप से क्षतिग्रस्त हो गया है। रास्ते की मरम्मत का कार्य जोरों पर चल रहा है। पैदल मार्ग की वर्तमान स्थिति को ध्यान में रखते हुए उत्तराखंड सरकार ने केदारनाथ को वैकल्पिक पैदल रास्तों से जोड़ने के लिए सर्वेक्षण के निर्देश दिए थे।
डीएम डाॅ. सौरभ गहरवार के निर्देश पर बीते 9 व 10 जुलाई को आपदा प्रबंधन, वन विभाग, लोनिवि, राजस्व विभाग, भू-विभाग के अधिकारियों के दल ने चौमासी-रेकाधार-केदारनाथ वैकल्पिक मार्ग का स्थलीय निरीक्षण किया था। दल ने रास्ते पर भूस्खलन, भूधंसाव जोन के साथ ही पेयजल की उपलब्धता, चढ़ाई, ढलान, बोल्डर, चट्टानों का जायजा लिया। निरीक्षण के बाद दल ने पूरे रास्ते के भौगोलिक व प्राकृतिक विश्लेषण कर पांच बिंदुओं की रिपोर्ट तैयार की, जिसे प्रशासन को सौंपा गया।
प्रशासन ने रिपोर्ट का अध्ययन कर केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग को सुरक्षा के साथ सुधारीकरण कार्य के लिए प्रस्ताव तैयार करने को कहा है। दल ने पैदल मार्ग पर मौजूद गदेरा व नालों से सुरक्षा के लिए पुलिया निर्माण की बात कही है, जिससे आवाजाही में किसी प्रकार की कोई दिक्कत न हो। साथ ही कई जगहों पर रिस रहे पानी की रोकथाम के लिए वैज्ञानिक विधि से सुरक्षा कार्य पर जोर दिया है।
रामबाड़ा व केदारनाथ के लिए अलग-अलग मार्ग
चौमासी से रेकाधार की दूरी 15 किमी है। रेकाधार से दो रास्ते हैं, जिसमें एक रामबाड़ा और दूसरी केदारनाथ के लिए निकलता है। रेकाधार-रामबाड़ा की दूरी पांच किमी है। यह रास्ता पूरी तरह से सुरक्षित और आवाजाही लायक है। विषम परिस्थितियों में रेस्क्यू के लिए यह मार्ग संजीवनी साबित हो सकता है। वहीं, रेकाधार से केदारनाथ की दूरी 4 किमी है। इस रास्ते पर सुधारीकरण व सुरक्षा कार्य की जरूरत है।
रास्ते पर कई श्रेणी की चट्टानें व बोल्डर मौजूद
चौमासी-रेकाधार-केदारनाथ पैदल मार्ग पर कई श्रेणी की चट्टानें मौजूद हैं। संयुक्त निरीक्षण दल में शामिल भू-वैज्ञानिक डाॅ. केएस सजवाण बताया कि इस रास्ते पर सेंट्रल क्रिस्टलाईन समूह, माईका सिष्ट, नाईस और क्वार्टजाइड प्रकृति की चट्टानों के छोटे-बड़े बोल्डर मौजूद हैं। भू-वैज्ञानिक दृष्टि से यह पूरा रास्ता उच्च हिमालयी क्षेत्र में है, जहां अत्यधिक छेड़छाड़ अनुचित है।
चौमासी-रेकाधार-केदारनाथ पैदल मार्ग पूरी तरह से सुरक्षित है। इस मार्ग पर कहीं भी भूस्खलन व भूधंसाव जोन नजर नहीं आए हैं। रास्ते पर सुधारीकरण व सुरक्षा कार्य जरूरी हैं। विभागीय स्तर से ही इन कार्यों को वहां की भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखकर किया जाएगा। इस संबंध में जिला प्रशासन से भी जरूरी निर्देश मिले हैं, जिनके आधार पर कार्य किए जाएंगे।
– जुगल किशोर चौहान, एसडीओ केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग गोपेश्वर, चमोली
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