उत्तराखण्ड सचिवालय अनु०जाति / जनजाति कार्मिक मानव संसाधन विकास कल्याण समिति के संलग्न पत्र दिनांकः 07. 07.2023 में वर्णित विषय सहित निम्न विषयों पर आपका ध्यानाकर्षण कराया जाना नितान्त आवश्यक है-
1. समिति के संलग्न पत्र दि0 07.07.2023 के माध्यम से राज्य सरकार की नीति के अनुसार राज्याधीन सेवाओं में अनुसूचित जाति वर्ग, अनुसूचित जनजाति वर्ग, अन्य पिछडा वर्ग एवं आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग हेतु कमशः 19%, 04%, 14% तथा 10% का प्रतिनिधित्व निर्धारित है, किन्तु राज्य सरकार की नीति के अनुरूप कार्मिक विभाग द्वारा निर्गत शासनादेश संख्या 426 / xxx (2)/2012/3 (2) 2006 दिनांक 25.05.2012 के प्रस्तर-5 के प्रावधान उपरोक्त राज्य सरकार की संवैधानिक व्यवस्थाओं का उल्लंघन कर रहा है, इस प्रकार का निवेदन समिति द्वारा किया गया है। उक्त तथ्यों से विस्तृत विश्लेषण से यह ज्ञात हो रहा है कि संवैधानिक व्यवस्थाओं में राज्य सरकार की नीति रही है कि राज्य के समस्त वर्गों का राज्य सरकार द्वारा पोषित संस्थाओं एवं विभागों में संविदा / आउटसोर्स / तदर्थ एवं आउटसोर्स जैसे उपनल पी. आर. डी तथा अन्य प्राइवेट संस्थानों के माध्यम से राज्य सरकार के विभागों/योजनाओं/कार्यक्रमों में विभिन्न आउटसोर्स कर्मचारी रखे गये हैं, किंतु उपरोक्त शासनादेश के प्रस्तर-5 के अनुसार इन वर्गों के संवैधानिक अधिकारों को प्रभावित किया है तथा शिक्षित बेरोजगारों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है।
उक्त समिति के तथ्यों द्वारा यह भी उल्लेख किया है कि राज्य सरकार की “सभी का साथ सभी का विकास” की नीति को देखते हुए तथ्यात्मक रूप से उक्त नीति का उक्त शासनादेश के आधार पर पालन नहीं हो रहा है। इससे सरकार की छवि प्रभावित हो रही है तथा शिक्षित बेरोजगारों में अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के शिक्षित बेरोजगरों में संवैधानिक व्यवस्थाओं के प्रति राज्य सरकार की नीति में विश्वास नहीं हो पा रहा है। अतः राज्य सरकार की आरक्षण नीति में विश्वास में परिवर्तन किये जाने तथा राज्य सरकार की नीति रोस्टर के अनुसार भरे जाने की व्यवस्था को लागू करते हुए आउटसोर्स व्यवस्थाओं में भी इसे लागू किया जाना आवश्यक प्रतीत हो रहा है। अतः तत्कम में मुख्य सचिव एवं सचिव कार्मिक को उपरोक्त शासनादेश दिनांक 25.05.2012 के प्रस्तर 5 को तत्काल प्रभाव से समाप्त किये जाने के आदेश दिये जायें।
उपरोक्त के अतिरिक्त यह भी उल्लेख किया जाना है कि राज्य सरकार की नीति के अनुसार यह संवैधानिक व्यवस्था विद्यमान है कि राज्य सरकार द्वारा पोषित योजनाओं / कार्यक्रमों तथा केंद्रपोषित योजनाओं तथा कार्यक्रमों में जो भी आउटसोर्स सेवाओं पर केंद्र / राज्य सरकार द्वारा धन व्यय किया जाता है उक्त सभी विभागों/योजनाओं में आउटसोर्स के माध्यम से योजित होने वाले मानव संसाधन पर राज्य सरकार की नीति के अनुरूप सभी वर्गों को आरक्षण का लाभ प्राप्त होना चाहिए। ऐसा मैं भी विश्वास करती हूं चूंकि यह राज्य सरकार की नीति में समाहित अतः
कि इस प्रकार के संचालित विभागीय सेवायोजना के विज्ञापन आदि द्वारा सेवायोजित मानव संसाधन को सभी आरक्षित श्रेणी के माध्यम से भरे जाने की व्यवस्था सुनिश्चित करेंगे। ऐसी मैं अपेक्षा करती हूं तथा समिति के इस प्रार्थना पत्र को शीर्ष प्राथमिकता के आधार पर कार्यवाही करते हुए प्रस्तर-5 को समाप्त किये जाने के आदेश करते हुए उक्त शासनादेश के प्रस्तर-5 को निम्नवत् संशोधित किये जाने हेतु आदेश पारित करेंगे, ताकि राज्य सरकार की आरक्षण की नीति के अनुरूप आउटसोर्स में भी आरक्षण प्रदान किये जा सके एवं संवैधानिक अधिकारों (अनुच्छेद 41 एवं 42 ) की रक्षा हो सके-
प्रस्तावित प्रस्तर- 5 “राज्यान्तर्गत केन्द्रपोषित / राज्यपोषित / वाय सहायतित योजनाओं / कार्यक्रमों में आउटसोर्स / संविदा / तदर्थ आदि सेवायोजित मानव संसाधन सेवाओं में राज्य सरकार की आरक्षण की नीति एवं कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग, भारत सरकार के आदेश सं0-36036/3/2018-Esh. (Res.) दि० 15.05.2018 के अनुरूप भरे जाने की व्यवस्था सुनिश्चित की जायेगी एवं तद्नुसार आरक्षण का अनुपालन किया जायेगा ।”
2. इस बिन्दु पर भी आपको संज्ञानित कराया जाना आवश्यक समझती हूँ कि आपके प्रदत्त अनुमोदन के क्रम में राज्यधीन सेवाओं, शिक्षण संस्थाओं, सार्वजनिक निगमों / उद्यमों / स्वायत्तशासी संस्थाओं के अर्न्तगत सीधी भर्ती के माध्यम से चयन हेतु सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व एवं समान अवसर उपलब्ध कराने हेतु शासनादेश सं0-124 / XXX (2) / 2020-53 (01)/2001, दि० 22 मई, 2020 के माध्यम से पद आधारित रोस्टर नीति का निर्धारण किया गया है, जिस हेतु मैं व्यक्तिगत रूप से आपकी कृतज्ञ हूँ, चूंकि उक्त संबंधी प्रकरण में मेरी प्रत्यक्ष भागीदारी निहित थी. किन्तु मेरे संज्ञान में यह लाया गया है कि उक्त शासनादेश का यथानुरूप अनुपालन सुनिश्चित नही हो पा रहा है। तद्हेतु शासन स्तर से उक्त शासनादेश का यथानुरूप अनुपालन सुनिश्चित किये जाने के संबंध में आदेश निर्गत किये जाने आवश्यक है, ताकि उक्त नीति का प्रभावी क्रियान्वयन हो सके।
3. राज्याधीन सेवाओं में अनुसूचित जाति / जनजाति का प्रतिनिधित्व यथानियत अनुपात में सुनिश्चित किये जाने हेतु समस्त बैकलॉग के पदों को एक नियत समयावधि में भरे जाने हेतु आदेश निर्गत किये जाये।
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