वैदिक मंत्रोचार के साथ आदिबदरी मंदिर के कपाट हुए बंद, अब मकर संक्रांति को खुलेंगे द्वार
पुजारी चक्रधर थपलियाल ने भगवान आदिबदरी को सप्तशिंधु के जल से स्नान कराया और उनका शृंगार किया। शाम को मंदिर के कपाट बंद किए गए।
भगवान श्रीआदिबदरी मंदिर के कपाट वैदिक मंत्रोचार एवं परंपराओं के साथ एक माह के लिए बंद कर दिए गए। सोमवार शाम करीब साढ़े सात बजे मंदिर के कपाट बंद हुए। इससे पहले मंदिर में सुबह से भगवान आदिबदरी की पूजा की गई और कड़ाह भोग लगाया गया। इस दौरान सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भगवान के दर्शन किए।
ब्रह्ममुहूर्त में सोमवार को पुजारी चक्रधर थपलियाल ने भगवान आदिबदरी को सप्तशिंधु के जल से स्नान कराया और उनका शृंगार किया। दिन में मंदिर परिसर में कपाट बंद के लिए समारोह शुरू हुआ। इसका उद्घाटन करते हुए विधायक अनिल नौटियाल ने कहा कि आदिबदरी में बारहमासी धार्मिक पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं।
..कार्यक्रम में जीआईसी आदिबदरी और महिला मंगल दल जुलगढ, जैम, थापली, स्यालकोट, ढमकर, मैतोली ने भी लोक नृत्य व लोक गीतों की प्रस्तुति दी। समारोह में मंदिर समिति के अध्यक्ष जगदीश बहुगुणा, पूर्व जिपंस विनोद नेगी, समिति के महासचिव हिमेंद्र कुंवर, कोषाध्यक्ष बलवंत भंडारी, उपाध्यक्ष पुष्कर रावत, गंगा रावत, यशवंत भंडारी, कैप्टेन गैंणा सिंह आदि उपस्थित थे।
कार्यक्रम में जीआईसी आदिबदरी और महिला मंगल दल जुलगढ, जैम, थापली, स्यालकोट, ढमकर, मैतोली ने भी लोक नृत्य व लोक गीतों की प्रस्तुति दी। समारोह में मंदिर समिति के अध्यक्ष जगदीश बहुगुणा, पूर्व जिपंस विनोद नेगी, समिति के महासचिव हिमेंद्र कुंवर, कोषाध्यक्ष बलवंत भंडारी, उपाध्यक्ष पुष्कर रावत, गंगा रावत, यशवंत भंडारी, कैप्टेन गैंणा सिंह आदि उपस्थित थे।

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