पीड़ितों के लिए बनाया आपदा प्रबंधन जन मंच, सेतु का काम है करता, 80 से अधिक स्वयंसेवक हैं जुड़े
पीड़ितों के लिए आपदा प्रबंधन जन मंच बनाया गया है। जो कि सेतु का काम कर रहा है। 80 से अधिक स्वयंसेवक इस मंच से जुड़े हैं।
आपदा की दृष्टि से अति संवेदनशील उत्तराखंड में पहली निर्वाचित सरकार ने 2007 में राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण बनाया। उत्तराखंड देश का पहला राज्य है जिसने यह अभिनव प्रयोग किया लेकिन विडंबना यह है कि पिछले दो दशकों में विभाग खुद ही आपदा से उबर नहीं पाया है। ऐसे में नाउम्मीद उत्तरकाशी के लोगों ने स्वयं ही एक पहल की और उत्तरकाशी आपदा प्रबंधन जन मंच बना दिया।
मंच अब पीड़ित, वित्तीय सहायता एजेंसी और सरकार के बीच सेतु का काम कर रहा है और पीड़ितों तक सही और समय पर मदद पहुंचाई जा रही है। उत्तरकाशी आपदा प्रबंधन जन मंच से जिला आपदा प्रबंधन प्रधिकरण, 20 से अधिक सामाजिक संगठन, 80 से अधिक स्वयंसेवक और इसके अलावा छात्र संगठन, वकील, जिला प्रशासन, सामाजिक कार्यकर्ता, पत्रकार और जनप्रतिनिधि जुड़े हुए हैं।
मंच के अध्यक्ष द्वारिका प्रसाद सेमवाल ने बताया कि वर्ष 1997 में उनके गांव बागी में आपदा आई थी। उस दौरान पूरा गांव धंस गया था। सरकार से लेकर कई सामाजिक संगठन मदद के लिए पहुंचे लेकिन कम ही जरूरतमंदों तक राहत पहुंच पाई। ऐसे में एक ऐसे संगठन की जरूरत महसूस हुई जो पीड़ित, सामाजिक संगठनों और सरकार के बीच सेतु का काम करे। फिर लोगों से बात साझा की और वर्ष 2010 में उत्तरकाशी आपदा प्रबंधन जन मंच का गठन किया गया।
हर पीड़ित की मदद के लिए आगे रहा
उन्होंने बताया कि आपदा आने पर फौरी तौर पर तो पीड़ितों तक सुविधाएं पहुंचाने और उनकी मदद के लिए सभी आगे आते हैं लेकिन कुछ समय बाद उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया जाता है। ऐसे में फिर मंच पीड़ितों की जरूरतों का ध्यान रखते हुए सरकार, वित्तीय सहायक एजेंसियों से संपर्क कर उनकी मदद करती है। मंच 2012-13 की आपदा हो या कोरोनाकाल हर पीड़ित की मदद के लिए आगे रहा है।
सेमवाल ने बताया कि केदारनाथ आपदा के दौरान भी मंच की ओर से बिछड़े लोगों को अपनों से मिलाने के साथ ही तलाशने के लिए पहुंच रहे लोगों के खाने की व्यवस्था की गई। इसके साथ ही आपदा प्रभावितों को भी समुचित सुविधा देने में मंच के सभी स्वयंसेवक जुटे रहे। धराली आपदा में भी मंच के लोग धराली तक पहुंच गए हैं। साथ ही आपदा प्रभावितों को जरूरत की सामग्री पहुंचाने में जुटे हैं।

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