राजस्व व्यवस्था खत्म कर रेगुलर पुलिस के हाथों में सौंपेंगे कमान, हाईकोर्ट नैनीताल ने सरकार को दिए यह निर्देश
इस दौरान राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि प्रदेश के कई क्षेत्रों में रेगुलर पुलिस की व्यवस्था की जा चुकी है। बचे क्षेत्रों में यह व्यवस्था लागू करने को प्रयास जारी हैं।हाईकोर्ट नैनीताल ने उत्तराखंड सरकार को एक वर्ष के भीतर उत्तराखंड में राजस्व पुलिस व्यवस्था को पूरी तरह खत्म कर रेगुलर पुलिस व्यवस्था लागू करने के निर्देश दिए हैं। मंगलवार को इस मामले में सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रितु बाहरी एवं न्यायाधीश न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने प्रदेश सरकार को रिपोर्ट पेश करने के निर्देश देते हुए याचिका निस्तारित कर दी।
देहरादून की ‘समाधान’ संस्था ने प्रदेश में राजस्व पुलिस व्यवस्था समाप्त करने को लेकर जनहित याचिका दायर की थी। इस याचिका में कहा गया कि हाईकोर्ट ने इस संबंध में वर्ष 2018 में राज्य सरकार को कई दिशा-निर्देश दिए थे।
याचिका में कोर्ट से अनुरोध किया गया है कि पूर्व में दिए गए दिशा-निर्देशों का पूर्ण अनुपालन सुनिश्चित कराया जाए। हाईकोर्ट ने मंगलवार को इस याचिका पर सुनवाई की। इस दौरान राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि प्रदेश के कई क्षेत्रों में रेगुलर पुलिस की व्यवस्था की जा चुकी है। बचे क्षेत्रों में यह व्यवस्था लागू करने को प्रयास जारी हैं।
सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने राज्य सरकार को एक साल के भीतर पूरे उत्तराखंड में राजस्व पुलिस व्यवस्था खत्म कर रेगुलर पुलिस व्यवस्था लागू करने के निर्देश दिए। इसके साथ ही खंडपीठ ने जनहित याचिका को निस्तारित भी कर दिया। संबंधित खबर P03
अंकिता भंडारी हत्याकांड के बाद भी उठी थी मांग उत्तराखंड में राजस्व पुलिस व्यवस्था को खत्म करने के लिए उत्तराखंड हाईकोर्ट ने 13 जनवरी 2018 को आदेश पारित किए थे। तब सरकार को राजस्व पुलिस व्यवस्था छह माह में समाप्त कर अपराधों की विवेचना का काम रेगुलर पुलिस को सौंपने के निर्देश दिए गए थे।
उत्तराखंड में 98 प्रतिशत आबादी क्षेत्र पुलिस के अधीन प्रदेश सरकार लगातार आबादी क्षेत्रों को रेगुलर पुलिस को सौंपने की दिशा में आगे बढ़ रही है। पौड़ी के राजस्व क्षेत्र में हुए अंकिता भंडारी हत्याकांड के बाद इसमें तेजी आई। 2022 में प्रदेश में छह नए थाने और 20 चौकियां खोली जा चुकी हैं। कई थाने और चौकियों का राजस्व क्षेत्रों में सीमा विस्तार हो चुका है।
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अपर सचिव गृह निवेदिता कुकरेती के मुताबिक, राज्य में पहले ही 98 प्रतिशत आबादी क्षेत्र रेगुलर पुलिस के अधीन आ चुका है। अब दो प्रतिशत आबादी क्षेत्र ही राजस्व क्षेत्र में आता है। इसे भी चरणबद्ध तरीके से रेगुलर पुलिस के अधीन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि शेष गांवों को शामिल करने पर राजस्व विभाग से लिस्ट मांगी जा रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने भी की थी एक समान व्यवस्था की पैरवी हाईकोर्ट में ‘समाधान’ संस्था की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान बताया गया कि पूर्व में सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा था कि राज्य में नागरिकों के लिए कानून के पालन को एक समान व्यवस्था होनी चाहिए। वर्ष 2004 में सुप्रीम कोर्ट ने नवीन चन्द्र बनाम राज्य सरकार केस की सुनवाई में राजस्व पुलिस व्यवस्था को समाप्त करने की आवश्यकता समझी थी।
सुप्रीम कोर्ट के इस केस में कहा गया था कि राजस्व पुलिस को रेगुलर पुलिस की तरह प्रशिक्षण नहीं दिया जाता है। राजस्व पुलिस के पास आधुनिक संसाधन, कम्प्यूटर, डीएनए, रक्त परीक्षण, फॉरेंसिक, फिंगर प्रिंट जांच जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं होती हैं। ये आवश्यक सुविधाएं नहीं होने के कारण राजस्व पुलिस को अपराध की समीक्षा करने में परेशानियां पेश आती हैं।
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