Big breaking :-राज्य में 49 साल में 447 बार डोली धरती, रिक्टर स्केल पर तीन से चार की तीव्रता वाले भूकंप अधिक आए - News Height
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Big breaking :-राज्य में 49 साल में 447 बार डोली धरती, रिक्टर स्केल पर तीन से चार की तीव्रता वाले भूकंप अधिक आए

राज्य में 49 साल में 447 बार डोली धरती, रिक्टर स्केल पर तीन से चार की तीव्रता वाले भूकंप अधिक आए

उत्तराखंड में रिक्टर स्केल पर तीन से चार की तीव्रता वाले भूकंप सबसे अधिक आए हैं। आपदा प्रबंधन विभाग भूकंप से संबंधित तैयारियों को मजबूत करने का 153 करोड़ प्रस्ताव भेजेगा।

राज्य में 49 साल में 447 बार धरती डोल चुकी है। इसमें रिक्टर स्केल पर 3 से 4 की तीव्रता के अधिकांश भूकंप आए हैं। वहीं, आपदा प्रबंधन विभाग भी भूकंप से उत्तराखंड भूकंप जोखिम मूल्यांकन और शमन को लेकर राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को 153 करोड़ से अधिक का प्रोजेक्ट भेजने जा रहा है। इसके अलावा वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान, आईआईटी रुड़की, सीबीआरआई संस्थान को अलग- अलग जिम्मेदारी देना तय किया गया है।

राज्य भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील रहा है। राज्य सरकार के पास 1975 से 2024 तक 447 भूकंप आने का डेटा है। इसमें रिक्टर स्केल पर तीन से चार की तीव्रता वाले वाले सर्वाधिक (3 से 3.9 रिक्टर के भूकंप में भारी वाहन गुजरने जैसा कंपन महसूस हो सकता है) आए। चार से पांच रिक्टर स्केल वाले 90, पांच से छह वाले 34 और छह से सात रिक्टर स्केल पर तीव्रता वाले भूकंप तीन आए हैं। सात से अधिक तीव्रता का कोई भूकंप नहीं आया है।

आपदा प्रबंधन विभाग ने बनाई योजना

आपदा प्रबंधन विभाग ने भूकंप के प्रभाव को कम करने के लिए कई स्तर पर प्रयास कर रहा हे। इसमें चेतावनी देने के लिए भूदेव एप को विकसित किया गया है। इसके साथ ही राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को 153 करोड़ से अधिक का प्रोजेक्ट भेजने जा रहा है। सूत्रों के अनुसार इसके तहत राज्य के 10 उच्च प्राथमिकता वाले शहरों(देहरादून, मसूरी, हरिद्वार, ऋषिकेश, उत्तरकाशी, गोपेश्वर, चमोली, जोशीमठ, पिथौरागढ़, रुद्रप्रयाग व अल्मोड़ा) का राज्यव्यापी भूकंपीय जोखिम आकलन करने समेत अन्य कार्य होंगे। आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास सचिव विनोद कुमार सुमन कहते हैं कि भूकंप को लेकर कई स्तर पर काम किया जा रहा है, इसमें जागरूता बढ़ना, मॉक डि्रल से लेकर सेंसर की संख्या बढ़ाना शामिल है। एनडीएमएम को प्रस्ताव भेजा जा रहा है। योजना के तहत पुराने और महत्वपूर्ण भवनों की में भूकंप सुरक्षा को लेकर इंतजाम किए जाएंगे। निर्मित होने वाले नए भवनों में सुरक्षा मानकों का पालन सुनिश्चित हो। इन सभी कामों के लिए वाडिया हिमालय भू विज्ञान संस्थान, सीबीआरआई रुड़की, आईआईटी रुड़की संस्थान को अलग- अलग जिम्मेदारी सौंपी गई है।

 

बागेश्वर और पिथौरागढ़ में आ चुका भूकंप

अगर हाल के महीनों की बात करें तो राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के अनुसार 16 अगस्त को बागेश्वर में रिक्टर स्केल पर 2.9 तीव्रता का भूकंप आया था। इसके बाद 12 सितंबर को पिथौरागढ़ जिले में 3.1 तीव्रता का भूकंप आया। इस भूकंप के पांच दिन बाद फिर पिथौरागढ़ में धरती डोली और रिक्टर स्केल पर 2.8 तीव्रता का भूकंप रिकार्ड किया गया था। अक्तूबर के पहले सप्ताह में पिथौरागढ़ में फिर रिक्टर स्केल पर 3.1 तीव्रता का भूकंप आया है।

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Author: Swati Panwar
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