उत्तराखंड विधानसभा का विशेष सत्रः भाजपा विधायकों ने गिनाईं उपलब्धियां, सदन अनिश्चितकाल के लिए स्थगित
राज्य स्थापना के रजत जयंती वर्ष पर विधानसभा के दो दिवसीय विशेष सत्र का आयोजन किया गया है। लेकिन सत्र को एक दिन और बढ़ाया गया। आज सत्र का तीसरा दिन है।
उत्तराखंड विधानसभा के विशेष सत्र को लेकर विधानसभा कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में सत्ता पक्ष और विपक्ष की मांग पर सत्र को एक दिन के लिए बढ़ाया गया है। आज तीसरे दिन भी आज राज्य की 25 वर्षों की उपलब्धियां और भविष्य के रोड मैप पर चर्चा की गई। देर शाम चर्चा के बाद सदन अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया।
रुद्रप्रयाग के विधायक भरत चौधरी ने कहा कि विशेष सत्र में राज्य की उपलब्धियां और भविष्य के रोड मैप पर चर्चा की थी इससे आने वाले समय में उत्तराखंड विकास में और तेजी से आगे बढ़ेगा।
विधायक त्रिलोक सिंह चीमा ने कहा कि आज का दिन गर्व और भावना से भरा हुआ है। हम आज रजत जयंती मना रहे हैं। 25 साल में उत्तराखंड ने जो तरक्की की, वह देश के लिए मिसाल है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में उत्तराखंड ने नए आयाम छुए। पिछले पांच साल में हेल्थ बजट 16% बढ़ा। भाजपा सरकार ने सुशासन और प्रगति की मिसाल कायम की है।
वहीं, विधायक शक्ति लाल शाह ने कहा कि प्रदेश को बनाने में सबकी भूमिका रही। ढोल नगाड़ों के साथ लोगों को इकट्ठा करने वालों की भूमिका सबसे ज्यादा रही। ढोल दमाऊ बजाने वाले उन लोगों को भी सम्मान देना चाहिए। उनको पेंशन देनी चाहिए। 2017 के चुनाव में मुझे सैकड़ों गांवों में पैदल जाना पड़ा लेकिन हमारी सरकार ने 90% सड़कें बना दी। हमें रोडमैप तैयार करना चाहिए कि उत्तराखंड और पहाड़ को किस चीज की जरूरत है। पहाड़ में रहने वाले अधिकारियों को पहाड़ के अनुरूप सम्मान देना पड़ेगा। हमें पहाड़ पर स्वास्थ्य और शिक्षा पर काम करना होगा। हमारा मुख्यमंत्री युवा है, प्रदेश भी युवा है।
विधायक मुन्ना सिंह चौहान.ने सदन में गोल्डन कार्ड का मामला उठाया। भुगतान न होने के कारण अस्पतालों ने गोल्डन कार्ड लेना बंद कर दिया। इस मामले पर सरकार संज्ञान ले।
कांग्रेस विधायक मनोज तिवारी ने कहा कि शिक्षा और स्वास्थ्य दो ऐसे बुनियादी सवाल हैं, जो आज भी खड़े हैं। राज्य की प्रगति की बात हो रही है। हम भविष्य की संभावना को तलाश रहे हैं। 1488 विद्यालयों को बंद करने की योजना है। मेरी विधानसभा में स्कूल बंद किए जा रहें। शिक्षा के लिए आज भी बहुत दूर पैसा लगाककर हालात चिंताजनक है। पहाड़ के स्कूलों में कोई प्रिंसिपल नहीं हैं। कहा कि अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज को सरकार मॉडल कॉलेज बनाए।

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