बागेश्वर में जोशीमठ जैसे बने गंभीर हालात, 1000 साल पुराने मंदिर में भी दरारें; एनजीटी ने सरकार से मांगा जवाब
बागेश्वर जिला, आपदा और भूस्खलन की दृष्टि से काफी संवेदनशील है। इसी जिले में खड़िया खनन के लिए सबसे अधिक खानें स्वीकृत हैं। इन खानों में जब से मशीनों से खनन शुरू हुआ है तब से लोगों के घर खतरे की जद में आ गए हैं।
बड़े पैमाने पर खनन से बागेश्वर जिले के कांडा इलाके में भी जोशीमठ जैसे हालात बन रहे हैं। इस पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने केंद्र सरकार व केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) से जवाब मांगा है
हाल में एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया था कि बागेश्वर में धड़ल्ले से हो रहे खनन के चलते कांडा में जोशीमठ जैसे हालात बन रहे हैं। यहां घरों, मंदिरों व सड़कों में दरारें पड़ने लगी हैं। मामले का स्वत संज्ञान लेते हुए एनजीटी प्रमुख जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव और विशेषज्ञ सदस्य डॉ.अफरोज अहमद की पीठ ने नोटिस जारी किया।
पीठ ने केंद्रीय वन एवं पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय,सीपीसीबी के साथ उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और बागेश्वर के डीएम को नोटिस जारी कर वास्तविक रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया है। इसके लिए पक्षकारों को एक सप्ताह का वक्त दिया गया है।
टीम ने किया निरीक्षण
जनता दरबार में लोगों की शिकायत के बाद डीएम ने एक टीम को कांडा क्षेत्र में निरीक्षण को भेजा। कांडा कन्याल गांव में निरीक्षण के दौरान टीम ने भू-धंसाव देखा। उन्हें कई घरों में दरारें भी मिलीं।
1000 साल पुराने मंदिर में भी दरारें
खनन के चलते 1,000 साल पुराना कालिका मंदिर भी खतरे में है। मंदिर परिसर में दरारें आ गई हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, स्थानीय लोगों ने मंदिर के ऐतिहासिक-धार्मिक महत्व की जानकारी देते हुए बताया कि यहां दूर-दूर से श्रद्धालु पूजा को आते हैं।
बागेश्वर में खनन के कारण लोग घर छोड़ने को मजबूर
बागेश्वर जिला, आपदा और भूस्खलन की दृष्टि से काफी संवेदनशील है। इसी जिले में खड़िया खनन के लिए सबसे अधिक खानें स्वीकृत हैं। इन खानों में जब से मशीनों से खनन शुरू हुआ है तब से लोगों के घर खतरे की जद में आ गए हैं। कांडा तहसील के कांडा कन्याल और दुग-नाकुरी तहसील के पपों गांव में 20 परिवार घर छोड़ने को मजबूर हैं। उन्होंने जिला प्रशासन से सुरक्षा की गुहार लगाई है।
जिले में धड़ल्ले से हो रहे खनन के चलते कांडा तहसील क्षेत्र के गांवों में लोगों के घरों, मंदिरों यहां तक की सड़कों में भी दरारें पड़ने लगी हैं। जब से भारी मशीनरी के साथ खनन तेज हुआ, नुकसान भी बढ़ता गया है।
अब हालात ये हैं कि दशकों से क्षेत्र में रह रहे लोगों को अपने घरों को खोने का डर सता रहा है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि उन्होंने प्रशासन से कई बार शिकायत की है, लेकिन किसी ने भी सुध नहीं ली। नतीजतन इलाके में बेतहाशा खनन जारी रहा। इस कारण आज पूरा इलाका खतरे में पड़ गया है।
कालिका मंदिर में भी आ गई थीं दरारें खनन गतिविधियों के कारण एक हजार साल पुराना कालिका मंदिर भी खतरे की जद में आ गया था। यहां मंदिर परिसर में दरारें आ गई थीं। फिलहाल दरारों को भर दिया गया है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह नुकसान 50 मीटर दूर एक स्थित एक चाक खदान को हुआ है। लोगों ने बताया कि सदियों से ये मंदिर आस्था के साथ स्थानीय अर्थव्यवस्था में भी केंद्रीय भूमिका में रहा है।
मंदिर की बिगड़ती स्थिति सीधे तौर पर स्थानीय लोगों की आजीविका को प्रभावित करती है। खेती और धार्मिक पर्यटन, इस इलाके में रहने वाले लोगों की आय के मुख्य स्रोत हैं। लेकिन बड़े पैमाने पर खनन से यह खतरे में पड़ गया है।
संयुक्त जांच टीम ने किया कांडा क्षेत्र का निरीक्षण
जनता दरबार में लोगों की शिकायत के बाद जिलाधिकारी ने एक संयुक्त टीम को कांडा क्षेत्र में निरीक्षण के लिए भेजा। टीम ने कांडा कन्याल गांव में निरीक्षण किया। भू-धंसाव आदि भी देखा। इस दौरान उन्हें कई घरों में दरारें मिलीं।
इसके अलावा टीम ने कालिका मंदिर परिसर के अलावा प्रभावित परिवारों के हेम कांडपाल, साधु राम, किशन राम, पवन कुमार, दिनेश वर्मा, हरीश राम, दौलत राम समेत 20 लोगों से बात की। टीम में जिला खनन अधिकारी जिज्ञासा बिष्ट, नायब तहसीलदार ऋतु गोस्वामी, भूगर्भ अधिकारी सुनील दत्त आदि शामिल रहे।
खनन अधिकारी जिज्ञासा बिष्ट ने बताया कि कांडा कन्याल गांव में कई मकानों में दरारें हैं। कालिका मंदिर में भी दरारें हैं। जांच रिपोर्ट जिला प्रशासन को भेजी जाएगी।
कांडा के लोगों ने सोमवार को जनता दरबार में घरों में दरारें आने की शिकायत की थी। इस पर खनन विभाग के साथ ही तहसील प्रशासन की टीम को मौका मुआयना करने भेजा है। उनकी रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई होगी। कालिका मंदिर के पास हो रहा खनन कार्य दो साल से बंद है।
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